ऑटो ड्राइवर…. जब जिम्मेदारी बड़ी होती है, तब कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता !!

Raipur chhattisgarh VISHESH एक बार मैं बेंगलुरु में एक ऑटो में चढ़ा तो कुछ दूर चलने के बाद मेरी नज़र ऑटो ड्राइवर के ड्रेस पर गयी। *मैंने देखा कि ऑटो ड्राइवर Microsoft की जर्सी पहने हुए है। जर्सी वेल मेन्टेंड थी* इसलिए मुझसे रहा नहीं गया तो मैंने ऑटो ड्राइवर से पूछ लिया कि भाई ये पुल ओवर किसकी पहने हो? यह तो बिलकुल नयी है। *ऑटो ड्राइवर ने जवाब दिया कि मेरी ही है सर।*

उसकी बात सुनकर मुझे बड़ी ही हैरानी हुई।
तुम शक्ल सूरत से भी मुझे काफी पढ़े-लिखे लगते हो। जब माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी में इंजीनियर हो तो लाखों का पैकेज तो होगा ही पर एक बात मुझे समझ में नहीं आयी कि तुम माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनी में एक इंजीनियर होकर भी आटो क्यों चलाते हो ?

         ऑटो ड्राइवर ने कहा कि सर, वीकेंड पर मेरे पास कोई काम नहीं होता है तो मुझे बहुत ही अकेलापन महसूस होता है। हां , *मैं पढ़ने का शौकीन जरूर हूं इसलिए मैं खाली समय में खूब पढ़ता हूं लेकिन कितना पढ़ूं। 48 घंटे बहुत होते हैं। शुक्रवार शाम के बाद से ही मैं बड़ा ही तनहा महसूस करने लगता हूं इसलिए उसी अकेलेपन से छुटकारा पाने के लिए मैं चार-पांच घंटे ऑटो चला लेता हूं। समय का भी सदुपयोग हो जाता है और कुछ पैसे भी आ जाते हैं।* 

     मैं उसकी बात सुनकर हैरान था। *खाली समय का यूं उपयोग करने की थ्योरी मुझे कुछ हजम नहीं हो रही थी।* मैं सोच रहा था कि खाली समय के सदुपयोग के तो और भी बहुत सारे रास्ते हैं। *यह जरूर मुझसे कुछ छुपा रहा है वरना इतना अच्छा पैकेज होने पर कोई आदमी आटो क्यों चलाएगा?*

   मेरे मन के भावों को समझ कर वह बोला , *हैरान न हो सर। मेरा पैकेज जरूर अच्छा है पर मुझे जो वेतन मिलता है , वह तो मैं पत्नी को घर चलाने के लिए घर भेज देता हूं। पर इस काम से जो पैसे मिलते हैं उससे मैं किसी न किसी जरूरतमंद की मदद कर देता हूं।*

     मेरी उत्सुकता बढ़ती जा रही थी। मैंने उससे पूछा कि *क्या तुम्हारे घर वालों और पत्नी को यह बात मालूम है कि तुम वीकेन्ड पर आटो चलाते हो?*

         वह बोला , *नहीं सर ,अभी तक तो नहीं मालूम है लेकिन अगर मालूम चल ही गया तो क्या फर्क पड़ेगा?  मैंने हाईस्कूल से लेकर इंजीनियरिंग तक की पढ़ाई आटो चलाकर ही की है*। रात में मैं आटो चलाता था और दिन में पढ़ाई करता था इसलिए मैं इंजीनियर हो गया तो क्या हुआ? *मूल रूप में तो मैं आटो ड्राइवर ही हूं न ?* आदमी को अपनी जड़ को कभी नहीं भूलना चाहिए।

  *सर मैं देखता हूं कि आज कितने सारे लोग अच्छी खासी डिग्री लेकर भी बेरोजगार घूम रहे हैं। मैंने देखा है कि जिन बच्चों की पढ़ाई के लिए मॉं-बाप पैसे भेजते थे , उनमें बहुत सारे बच्चे पढ़ाई के नाम पर मौज मस्ती करते रहते थे। घर से आए पैसे गर्लफ्रेंड व सिनेमा पर खर्च करते थे।*

      मैं काफी गरीब परिवार से हूं इसलिए यह सब करने के लिए न तो मेरे पास पैसे थे और न ही समय। इसलिए मैं पढ़ाई के वक्त केवल व केवल पढ़ाई करता था। इसी का नतीजा है कि *मेरा तो कैम्पस में ही प्लेसमेंट हो गया पर मेरे साथ पढ़ने वाले बहुत सारे लड़के या तो आज भी बेरोजगार हैं या फिर बेहद ही मामूली पैकेज पर इसी बंगलूरू में काम कर रहे हैं। उनको इतना भी वेतन नहीं मिलता कि वे बंगलूरू जैसे मंहगे शहर में परिवार सहित रहने का खर्च निकाल सकें इसलिए नौकरी करने के बावजूद किसी न किसी बहाने से हर महीने पैसे मंगाते रहते हैं।*

        मैं अपने जीवन में काफी संघर्ष कर यहां तक पहुंचा हूं इसलिए *अपने जैसे संघर्षशील व्यक्ति को मैं काफी मदद करता हूं। पहले मैं इसे अपने वेतन से ही करता था पर शादी के बाद श्रीमती जी वेतन का हिसाब-किताब रखने लगी इसलिए अपने इस शौक को जिंदा रखने के लिए मैंने यह रास्ता चुना है। और कोई बात नहीं है सर!*

     फिर वह मुझे प्रश्न सूचक नजरों से देखते हुए बोला , *" मैं कुछ गलत तो नहीं कर रहा सर। आटो ही तो चला रहा हूं? आटो चलाने वाला भी तो इंसान ही होता है। कोई भी काम छोटा-बड़ा नहीं होता। हमारा देश  इसीलिए विकास के मामले में पीछे है क्योंकि यहां के युवा काम को भी स्टैटस से जोड़ कर देखते हैं। जिस दिन लोग काम को केवल काम समझकर करने लगेंगे तो बहुत सारे लोगों के जीवन से बहुत सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।*

     मेरी मंजिल आ चुकी थी। मैंने उसे मन ही मन धन्यवाद किया और अपने गंतव्य की ओर चल पड़ा।

दोस्तों, आज के बेरोजगार युवक से यदि पूछा जाए…
फल-सब्जी बेचने का काम करोगे ??? नहीं
दुकान पर काम करोगे ??? नहीं
डोर टू डोर मार्केटिंग ???
नहीं

ऑटो या टैक्सी चला सकते हो ??? नहीं
बिजली का काम आता है ??? नहीं
शोरूम में हेल्पर का काम कर लोगे ??? नहीं
फ्रिज/टीवी/वाशिंग मशीन आदि रिपेयर कर सकते हो ??? नहीं
बाइक या कार रिपेयर करना आता है ??? नहीं

केवल B.A., B.Com., B.Sc. आदि करने से नौकरी नहीं मिलती… कुछ प्रोफेशनल कोर्स करना या काम वाले हुनर भी सीखने जरूरी हैं। साथ ही यह भी याद रखना होगा कि जब जिम्मेदारी बड़ी होती है, तब कोई काम छोटा या बड़ा नहीं होता !!

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