भिलाई के रुंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज के इंजीनियर्स की टीम ने एक अनोखी सुरक्षा डिवाइस तैयार किया : संदिग्ध व्यक्ति और लावारिस सामान दिखते ही अलार्म बजने लगेगा
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : भिलाई के रुंगटा इंजीनियरिंग कॉलेज के इंजीनियर्स की टीम ने एक अनोखी सुरक्षा डिवाइस तैयार की है। भारत सरकार ने उन्हें इस डिवाइस का पेटेंट भी दे दिया है। इंजीनियर्स की माने तो उनकी यह डिवाइस रेलवे स्टेशन, बस स्टॉफ जैसी भीड़ भाड़ वाली जगहों के लिए है।
डिवाइस को लगाने से वो संदिग्ध व्यक्ति को देखकर और लावारिस सामान दिखते ही अलार्म बजने लगेगा। इस डिवाइस का नाम ‘थ्रेट डिटेक्टिव सिस्टम’ रखा गया है। डिवाइस तैयार करने वाले इंजीनियर्स ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर काम करने वाले इस डिवाइस की मदद से कैंपस में भीतर आने वाले हर एक व्यक्ति की स्कैनिंग ऑटोमेटिक हो जाएगी।
डिवाइस में लगा स्पेशल कोडिंग युक्त कैमरा सिस्टम वहां मौजूद हर एक व्यक्ति के हावभाग को परखेगा। यदि कुछ भी संदिग्ध लगा तो इसकी सूचना सीधे सुरक्षा अधिकारी को देगा। इतना ही नहीं कैंपस में मौजूद कौन सा व्यक्ति अपने साथ क्या सामान लाया था, और क्या साथ ले गया इसकी भी पूरी जानकारी डिवाइस के पास फीड होगी। यदि कोई व्यक्ति लावारिश रूप से सामान रखकर वहां जाएगा तो ये डिवाइस अलार्म बजाकर सुरक्षा कर्मियों को अलर्ट कर देगी।
इस एडवांस डिटेक्टिव को भारत सरकार ने पेटेंट जारी कर दिया है। इसे तैयार करने वाली फैकल्टी डॉ. हूमा खान, डॉ. आराधना साहू और सुशील जनार्दन ने बताया कि डिवाइस की कोडिंग को हैक नहीं किया जा सकता। आम तौर पर रेलवे स्टेशन में अभी तक मेटल डिटेक्टर से ही जांच की जाती है, लेकिन उसमें कई बार चूक हो जाती है, लेकिन इस डिवाइस में ये नहीं होगा।
किसी व्यक्ति का कोई सामान चलते हुए गिरेगा भी तो इसके बारे में सूचना ये डिवाइस संबंधित कार्यालय को भेज देगी। डिवाइस उक्त व्यक्ति के हावभाव, फेस एक्सप्रेशन और चलते समय की हलचल को डिटेक्ट कर बताएगा कि व्यक्ति ने सामान जानबूझकर गिराया है या फिर किसी वजह से गिर गया है। इसी तरह रेलवे स्टेशन में बेवजह बैठकर पटरियों और अन्य जगहों पर टहल रहे व्यक्तियों की जानकारी भी भेजी जा सकेगी। इसकी मदद से उन लोगों को भी बचाया जा सकेगा, जो आत्महत्या के इरादे से ट्रैक पर टहल रहे होते हैं।
रूंगटा आर-1 ग्रुप के डायरेक्टर सोनल रूंगटा ने बताया कि इसे पेटेंट मिलने के साथ ही डवलपर्स फैकल्टी इसमें और रिसर्च के लिए जुट गए हैं। यह डिवाइस जल्द ही भारतीय रेलवे को सौंपी जाएगी। इसकी तैयारी जारी है। इसे सिर्फ शासकीय सुरक्षात्मक एजेंसियों को ही दिया जाएगा।