भारत में स्वास्थ्य सेवा में बदलाव: आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई का प्रभाव और वादा
विनोद के पॉल
Raipur chhattisgarh VISHESH राजू (बदला हुआ नाम), आयु 18 वर्ष, को सामान्य रूप से चलते हुए भी सांस लेने में तकलीफ होती थी और वह थकान महसूस करता था। साल 2017 में उसे सीने में दर्द के कारण दिल की गंभीर बिमारी से पीडि़त होने के बारे में पता चला। इलाज की अंतहीन जद्दोजहद में उसके पिता ने परिवार के मवेशी और जमीन तक बेच डाली और पांच लाख रुपये से अधिक रकम के कर्ज में डूब गए। साल 2019 में, उन्हें आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (एबी पीएमजेएवाई) की ओर से एक पत्र मिला,लेकिन उन्होंने इसको ज्यादा अहमियत नहीं दी। साल 2022 में, राजू की हालत बिगड़ गई, जिसके लिए फौरन सर्जरी करने की आवश्यकता थी। वे हताश और बेबस हो चुके थे। तभी अस्पताल के एक कर्मचारी ने उनके परिवार को पीएमजेएवाई के बारे में पता करने की सलाह दी और उनकी पात्रता की पुष्टि की। इसकी बदौलत राजू की लगभग 1.83 लाख रुपये की लागत वाली जीवन रक्षक सर्जरी संभव हो सकी । आखिरकार, 67 दिन बाद उसे नए सिरे से जिंदगी शुरु करने के लिए अस्पताल से छुट्टी दे मिल गई।
आशा, सेहत और खुशी से भरपूर यह कहानी, उन अनगिनत कहानियों में से एक है, जो एबी पीएमजेएवाई के लाभार्थियों के जीवन के इर्द-गिर्द बुनी गई हैं।
बीते छह वर्षों में इस योजना के तहत अस्पतालों में लगभग 7.8 करोड़ दाखिलों के साथ पीएम-जेएवाई ने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाया है और उनके प्राणों की रक्षा की है और साथ ही, उन रोगियों के परिवारों को अस्पताल के खर्च के कारण गरीबी और पीड़ा के चंगुल में फंसने से भी बचाया है। यह योजना माननीय प्रधानमंत्री द्वारा परिकल्पित सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के लिए भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
पीएमजेएवाई ने प्रति लाभार्थी परिवार द्वितीयक और तृतीयक उपचार के लिए 5 लाख रुपये तक की निःशुल्क स्वास्थ्य सेवा प्रदान करके सरकारी और निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी के आधार को छुआ है। निजी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों द्वारा प्रचारित भारी-भरकम रकम की तुलना में यह राशि छोटी लग सकती है, लेकिन योजना की रूपरेखा और पैमाने को देखते हुए लाखों परिवारों के लिए इस राशि का प्रभाव जीवन बदलने वाला और जीवन रक्षक है।
योजना की रूपरेखा के अनुसार, पीएमजेएवाई का उद्देश्य अस्पताल में भर्ती रोगियों को द्वितीयक और तृतीयक देखभाल उपलब्ध कराना है, तथा बहिरंग रोगी सेवाएं इस योजना के अंतर्गत नहीं आती। एक महत्वाकांक्षी व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल मिशन के माध्यम से सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज (यूएचसी) के इस दूसरे घटक पर समान रूप से गौर किया जा रहा है, जिसके तहत 1,75,000 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर (एएएम) स्थापित किए गए हैं, जिन्हें पहले स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र कहा जाता था। इनमें निःशुल्क परामर्श, और कई दवाएं (172 तक) और निदान (63 तक) निःशुल्क प्रदान किए जा रहे हैं। वर्तमान में सरकारी प्रयासों का केंद्र इन दोनों प्रणालियों में देखभाल का सुदृढ़ दो-तरफ़ा सम्मिलन और निरंतरता है। भारत का यूएचसी मॉडल सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित व्यापक प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा पर आधारित है। स्वास्थ्य नीति और सेवाओं को अलग-थलग करके नहीं अपितु समग्रता में देखे जाने की आवश्यकता है।
इस योजना के कार्यान्वयन के दौरान, स्वास्थ्य लाभ पैकेज (एचबीपी) के तहत प्रक्रियाओं और कीमतों को संशोधित और युक्तिसंगत बनाया गया है। साल 2018 में एचबीपी की संख्या 1393 थी, जो 2022 तक बढ़कर 1949 हो गई। स्वास्थ्य सेवाओं की लागत में क्षेत्रीय भिन्नता को ध्यान में रखते हुए, विभेदक मूल्य निर्धारण की अवधारणा शुरू की गई है। साथ ही, स्थानीय संदर्भ के अनुसार एचबीपी दरों को और अधिक अनुकूलित करने के लिए राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को अतिरिक्त लचीलापन प्रदान किया गया है।
सेवाओं की निर्बाध प्रदायगी सुनिश्चित करने और व्यवस्था में दुरुपयोग की गुंजाइश को कम करने के लिए पीएमजेएवाई स्वाभाविक रूप से प्रौद्योगिकी-संचालित है, और पेपरलेस या कागज़ रहित होने के साथ-साथ कैशलेस या नकदी रहित भी है। इसमें प्रतिपूर्ति या सह-भुगतान का कोई प्रावधान नहीं है। हालांकि अधिकांश दावों का निपटान समय पर होता है, लेकिन राज्यों के साथ साझेदारी में और सुधार लाने के लिए गहन प्रयास किए जा रहे हैं।
इस योजना की सफलता और जन कल्याण के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता के कारण इस वर्ष इसके दायरे को बढ़ाने के लिए दो बड़े कदम उठाए गए हैं। अंतरिम बजट में सरकार द्वारा इस योजना को विस्तारित करते हुए आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं के लगभग 37 लाख परिवारों को इसके दायरे में लाया गया।
दूसरा, भारत की बढ़ती जीवन प्रत्याशा के मद्देनजर, एक और बड़ा कदम सरकार का 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह न करते हुए पीएमजेएवाई कवरेज देने का निर्णय है। इससे 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों वाले 4.5 करोड़ परिवारों को लाभ होगा। भारत में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण (एनएसएस) की स्वास्थ्य से संबंधित 75वें चरण की रिपोर्ट से पता चलता है कि इस आयु वर्ग के लिए अस्पताल में भर्ती होने की दर 11 प्रतिशत से अधिक है। लॉन्गिट्यूडिनल एजिंग स्टडी ऑफ इंडिया (एलएएसआई) की 2021 की रिपोर्ट से पता चलता है कि 75 प्रतिशत बुजुर्गों को एक या एक से अधिक पुरानी बीमारियां हैं, 40 प्रतिशत को किसी न किसी तरह की विकलांगता है, और 4 में से 1 बहु-रुग्णता से पीड़ित है। उल्लेखनीय रूप से, 58 प्रतिशत बुजुर्ग आबादी महिलाओं की है, जिनमें 54 प्रतिशत विधवाएं हैं। वरिष्ठ नागरिकों से संबंधित अनेक निजी बीमा उत्पादों के विपरीत, पीएमजेएवाई किसी भी वरिष्ठ नागरिक को पहले से चली आ रही बीमारी के कारण बाहर नहीं करता है; न ही यह लाभ देने से पहले किसी वर्ष की प्रतीक्षा अवधि की शर्त रखता है। वरिष्ठ नागरिकों की स्वास्थ्य देखभाल संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करके यह योजना उन्हें स्वस्थ और सम्मानजनक जीवन जीने में समर्थ बनाती है।
पीएमजेएवाई सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य क्षेत्रों को एक राष्ट्र, एक प्रणाली के सूत्र में जोड़ता है। वर्तमान में, पीएमजेएवाई के पास 29,000 से अधिक सूचीबद्ध अस्पतालों का अखिल भारतीय नेटवर्क है, जिनमें लगभग 13,000 निजी अस्पताल शामिल हैं। इसके अलावा, इनमें से लगभग 25,000 अस्पताल टियर-2 और टियर-3 शहरों में स्थित हैं। निजी क्षेत्र में अधिकृत अस्पताल में भर्ती मरीजों की संख्या और मात्रा का अनुपात क्रमशः 57 प्रतिशत और 67 प्रतिशत है, जो इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण भागीदारी को दर्शाता है। लाभार्थी के पास राज्य के दिशा-निर्देशों के अनुसार सूचीबद्ध अस्पताल, सार्वजनिक या निजी, चुनने का विकल्प मौजूद है।
इस योजना ने अनेक राज्यों में सरकारी अस्पतालों में भी सेवा प्रदायगी को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है। इन अस्पतालों ने अपनी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए योजना के तहत प्रतिपूर्ति की गई धनराशि का उपयोग किया है। कवरेज और पहुंच की बढ़ती रफ्तार के साथ पीएमजेएवाई में टियर 2 और 3 शहरों में एक ऐसे बाजार के निर्माण के जरिए निजी अस्पतालों के विकास को बढ़ावा देने की क्षमता मौजूद है, जहां पहले भुगतान क्षमता की कमी के कारण मांग पूरी नहीं हो पाती थी।
हाल ही में एक प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री द्वारा किए गए अध्ययन (घरेलू उपभोग व्यय सर्वेक्षण 2022-23 से इकाई-स्तरीय डेटा पर आधारित) में निष्कर्ष निकाला गया है कि पिछले 10 वर्षों में हमारी आबादी का निचला 50 प्रतिशत हिस्सा चिकित्सा व्यय से संबंधित आघातों के प्रति काफी कम संवेदनशील हो गया है; और यह प्रवृत्ति निकटता से पीएमजेएवाई से संबद्ध है।
आज बहुत से लोग स्वास्थ्य सेवाओं का उपयोग कर रहे हैं और साथ ही अपनी संपत्ति और बचत का भी संरक्षण कर पा रहे हैं।
आयुष्मान भारत पीएमजेएवाई विकसित भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने को तत्पर है। आखिरकार,अच्छा स्वास्थ्य, कल्याण, राष्ट्रीय उत्पादकता और समृद्धि का आधार है।
डॉ. विनोद के पॉल, सदस्य (स्वास्थ्य)
नीति आयोग
आलेख में व्यक्त विचार निजी हैं