🎉 सोनी सब के ‘धर्म योद्धा गरुड़’ में बड़ी ही सुंदरता से भगवान शिव की गाथा और उन्हें ‘नीलकंठ’ पुकारे जाने का कारण दिखाया गया

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : सोनी सब के मायथोलॉजिकल ड्रामा ‘धर्म योद्धा गरुड़’ में हिन्दु पुराणों की मंत्रमुग्ध करने वाली कहानियां दिखाई जा रही हैं जिनमें फैंटेसी को भी खूबसूरती से पिरोया गया है। इसमें समुद्र मंथन की पौराणिक घटना के भव्य चित्रण ने दर्शकों का दिल जीत लिया है। कहानी आगे बढ़ने के साथ, भगवान शिव को ‘नीलकंठ’ क्यों कहा जाता है, इस रहस्य का खुलासा इसी हफ्ते के एपिसोड में होगा।
भगवान शिव (सचिन वर्मा) के भयंकर रूप हमेशा बुराइयों के विनाशक के तौर पर दिखाए जाते हैं। भगवान शिव की तीन आँखें हैं, उनके शीश पर चंद्रमा है, उनके गले में नाग लिपटा हुआ है और गंगाजी उनके केशों से फूटती हैं। लेकिन उनका कंठ नीला कैसे हुआ?समुद्र मंथन की ऐतिहासिक घटना में हलाहल नाम का विष निकला। वह विष ब्रह्मांड का विनाश कर सकता था। यह देखकर गरुड़ (फैज़ल खान) और नारद ने भगवान विष्णु (विशाल करवाल) से सहायता के लिये प्रार्थना की। भगवान विष्णु ने उन्हें बताया कि केवल एक ही अलौकिक शक्ति इसमें सहायता कर सकती है और उन्हें भगवान शिव के पास जाने के लिये कहा।
फिर गरुड़ और नारद ने भगवान शिव से आग्रह किया और भगवान शिव ने निस्वार्थ भाव से हलाहल पीने के लिये हामी भर दी, यह जानते हुए भी कि ऐसा करने से वह स्वयं नष्ट हो सकते हैं। देवी पार्वती भगवान शिव को विष पीने से रोकती हैं, लेकिन वह कहते हैं कि ब्रह्मांड को विनाश से और कोई नहीं, केवल वही बचा सकते हैं। फिर वह विष पी लेते हैं और उनका दम घुटने लगता है। उन्हें बचाने के लिये पार्वती अपने हाथ से उनके गले को जकड़ लेती हैं, ताकि विष उनके उदर तक न पहुँचे। इससे उनके गले में एक कंठ उभर आता है, जिसमें विष के जाने से उनके गले पर नीला निशान पड़ जाता है।
इसके बाद से उन्हें ‘नीलकंठ’ यानी नीले कंठ अथवा वाले भगवान के नाम से पुकारा जाने लगा।अपने शो के इस शानदार वर्णन पर गरुड़ की भूमिका निभा रहे फैज़ल खान ने कहा, “समुद्र मंथन हिन्दु मायथोलॉजी की सबसे महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। लेकिन हममें से कई लोग नहीं जानते हैं कि इसके बाद भगवान शिव को नीलकंठ कहा जाने लगा। ‘धर्म योद्धा गरुड़’ के आने वाले एपिसोड निश्चित तौर पर देखने लायक हैं, क्योंकि वे उन कहानियों को स्क्रीन पर ला रहे हैं, जो हमने बचपन में सुनी थीं।”
भगवान शिव की भूमिका निभा रहे सचिन वर्मा ने अपनी बात जोड़ते हुए कहा, “समुद्र मंथन की कहानी और भगवान शिव का ब्रह्मांड को बचाने के लिये आगे आना काफी आकर्षक है। यह जानते हुए भी कि हलाहल उन्हें नष्ट कर सकता है, भगवान शिव उसे पीने का निर्णय लेते हैं। ऐसा लुभावना और शक्तिशाली चरित्र निभाना मेरे लिये इनाम मिलने जैसा था। मुझे भगवान शिव के बारे में ऐसी कई बातें जानने को मिलीं, जो मुझे पहले पता नहीं थीं। आशा है कि दर्शक आने वाले एपिसोड्स का खूब मजा लेंगे, क्योंकि यह देखने में काफी आकर्षक हैं।
”देखिये ‘धर्म योद्धा गरुड़’, सोमवार से शनिवार शाम 7:30 बजे, सिर्फ सोनी सब पर!
















