सफलता की कहानी : लखपति दीदी बनकर विशेष पिछड़ी जनजाति की लीलावती बाई अपने समुदाय के लिए बनी प्ररेणा

Raipur chhattisgarh VISHESH लखपति दीदी बनकर विशेष पिछड़ी जनजाति की लीलावती बाई अपने समुदाय के लिए बनी प्ररेणा

 जशपुरनगर 09 अक्टूबर 2024/लखपति दीदी के नाम से अपनी पहचान बनाने वाली विशेष पिछड़ी जनजाति कोरवा समुदाय की लीलावती बाई आज अपने क्षेत्र के लिए एक प्रेरणा बन गई है। राष्ट्रीय आजीविका मिशन से जुड़ने से पहले लीलावती की आय सिमित थी। इससे बमुश्किल ही उनका गुजारा हो पाता था। बिहान से जुड़ने के बाद उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आना शुरू हो गया। आज वह खुश होकर बताती है कि अब वह अपनी जरूरतों को पूरा कर पा रही है।  
      जिले के बगीचा विकासखंड के ग्राम पंचायत कुटमा जहाँ मुख्य रूप से विशेष पिछड़ी जनजाति के लोग रहते हैं। यहां की निवासी लीलावती बाई का प्रमुख आजीविका का स्रोत कृषि और मजदूरी था। उनकी आय इतनी नहीं थी कि वे अपने परिवार की आवश्यकताओं को ठीक से पूरा कर सकें। उनकी स्थिति में बदलाव आना तब शुरू हुआ जब वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान योजना) के अंतर्गत उन्हें एक स्व-सहायता समूह मीनू लक्ष्मी स्व सहायता समूह से जोड़ा गया। इस मिशन के माध्यम से उन्हें विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण और वित्तीय सहायता प्राप्त हुई। लीलावती बाई ने अपने समूह के साथ मिलकर दोना-पत्तल निर्माण का कार्य शुरू किया। उन्हें शुरुआत में योजना के अंतर्गत 15,000 रुपये की रिवॉल्विंग फंड राशि और 60,000 रुपये की सामुदायिक निवेश कोष राशि मिली। इसके बाद, मार्च 2022 में उन्हें बैंक लिंकेज के माध्यम से 2 लाख रुपये की राशि स्वीकृत हुई। जिससे उन्होंने दोना-पत्तल निर्माण के लिए मशीन खरीदी और इसका प्रशिक्षण लिया।
     अब लीलावती बाई दोना-पत्तल निर्माण के व्यवसाय से 65,000 रुपये से अधिक की वार्षिक आय अर्जित कर रही हैं। इसके अलावा, वे कृषि कार्य और लघु वनोपज के संग्रह एवं विक्रय से भी लगभग 40,000 रुपये कमाती हैं। आज वह अपनी कमाई से प्रसन्न है और बताती है कि बिहान योजना ने उनकी जिंदगी बदल दी। आज वह अपने समुदाय के लिए प्रेरणादायी भी बन गई है।

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