तीन दिवसीय “जनजातीय वाचिकोत्सव 2023” का TRTI नवा रायपुर मे विभागीय मंत्री डॉ. प्रेमसाय के कर कमलों से हुआ शुभारंभ

“मौखिक परंपराओं की रक्षा करने के साथ-साथ समाज को इनके प्रति संवेदनशील बनाना भी जरूरी – श्री पंकज चतुर्वेदी

27 मई तक प्रतिदिन विषयानुसार किया जाएगा वाचन

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH तीन दिवसीय “जनजातीय वाचिकोत्सव 2023 का TRTI भवन, नया रायपुर में आज माननीय विभागीय मंत्री डॉ. प्रेमसाय सिंह टेकाम जी के कर कमलों से शुभारंभ हुआ। डॉ. टेकाम ने जनजातियों की लोक परंपराओं, गोत्र, टोटम आदि का महत्व बताते हुए कहा कि यह जनजातीय याचिकोत्सव आदिवासियों की समृद्ध परंपराओं के संरक्षण व उनका अभिलेखीकरण करने की दिशा में मील का पत्थर साबित होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता माननीय श्री द्वारिकाधीश यादव संसदीय सचिव, आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग द्वारा की गई। इसके अलावा अन्य गणमान्य अतिथि भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर करमा नर्तक दल सरगुजा के द्वारा खूबसूरत प्रस्तुति दी गई।

कार्यक्रम के प्रथम दिवस आज तीन विषयों जनजातीय देवी-देवता एवं मड़ई मेला के संबंध में वाचिक ज्ञान, जनजातियों में प्रचलित लोक कहानियाँ कहावतें एवं लोकोक्तियां, जनजातीय लोकगीत, उनका अभिप्राय एवं भावार्थ विषय पर जनजातीय वाचन किया गया।

प्रथम सत्र की अध्यक्षता डॉ. किरण नुरूटी, सहायक प्राध्यापक, कोंडागाव ने की। इस सत्र में कुल 21 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय देवी-देवताओं एवं मड़ई मेला के संबंध में पूर्वजों द्वारा बताए गए सहज ज्ञान को बखूबी साझा किया। साथ ही उन्होंने इसका अपने जीवन में महत्त्व बताते हुए कहा कि जनजातीय समाज की सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था में इनका अत्यंत घनिष्ठ संबंध है। द्वितीय सत्र की अध्यक्षता डॉ. अश्वनी कुमार पंकज, जनजातीय साहित्य सर्जक, रांची, झारखण्ड ने की। उन्होंने कहा कि “वाचिकता जीने का एक तरीका है यह असीमित है…. केवल कहना और सुनना ही वाचिकता नहीं है, बल्कि उसके हर भाव को प्रदर्शित करना भी वाचिकता है। इस सत्र में कुल 17 जनजातीय याचकों ने जनजातियों में प्रचलित लोक कहानियाँ, कहावतें एवं लोकोक्तियां के संबंध में वाचिक ज्ञान साझा किया गया।

तृतीय सत्र की अध्यक्षता श्री पंकज चतुर्वेदी, संपादक नेशनल बुक ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नई दिल्ली ने की। इस मौके पर उन्होंने कहा कि “मौखिक परंपराओं की रक्षा करने के साथ-साथ समाज को इनके प्रति संवेदनशील बनाना भी जरूरी है।” इस सत्र में कुल 18 जनजातीय वाचकों ने जनजातीय लोकगीत, उनका अभिप्राय एवं भावार्थ विषय पर जनजातीय वाचन किया।

उल्लेखनीय है कि 03 दिवसीय यह जनजातीय वार्षिकोत्सव आदिम जाति अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान द्वारा भारत सरकार जनजातीय कार्य मंत्रालय एवं राज्य शासन के सहयोग से आदिवासी जीवन से संबंधित वाचिक परंपरा के संरक्षण, संवर्द्धन एवं उनके अभिलेखीकरण के उददेश्य से TRTI भवन, नवा रायपुर में आयोजित किया जा रहा है। तीन दिवसीय यह आयोजन 25 मई से 27 मई तक चलेगा, जिसमें राज्य के विभिन्न क्षेत्रों के जनजातीय वाचकों द्वारा जनजातीय वाचिक परंपरा की विभिन्न विधाओं के अंतर्गत अपनी प्रस्तुति दी जाएगी।

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