झारखंड के पारसनाथ पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र बनाने को लेकर विवाद पर पर्यावरण मंत्रालय ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर पारसनाथ पहाड़ी पर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH झारखंड के पारसनाथ पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र बनाने को लेकर विवाद शांत होता दिख रहा है. इस मुद्दे पर वन्य और पर्यावरण मंत्रालय ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर पारसनाथ पहाड़ी पर किसी भी तरह के निर्माण पर रोक लगा दी है. झारखंड सरकार की इस योजना के विरोध में जैन समुदाय की तरफ से लगातार विरोध हो रहा था.

फ़िलहाल झारखंड राज्य में किसी भी स्थान को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने को लेकर कोई प्रावधान नहीं है.जैन समाज का कहना था कि अगर ऐसा होता है तो पारसनाथ में होटल, पार्क, बनेंगे. लोग दर्शन के साथ छुट्टियां और पिकनिक मनाने भी आएंगे.इससे पवित्र पर्वत पर मांस-मदिरा आदि के सेवन की भी खुली छूट होगी. युवाओं को मौज मस्ती का अड्डा बन जाएगा. इसे जैन धर्म में प्रतिबंधित माना गया है. हालांकि झारखंड सरकार ने पहले ही इस क्षेत्र में मांस-मदिरा के ख़रीद-बिक्री और इस्तेमाल पर रोक लगा रखी है.

वन्य और पर्यावरण राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है. यह फ़ैसला साल 1986 के पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत लिया गया है. साथ ही इसमें 2 अगस्त 2019 को जारी एक अधिसूचना का हवाला भी दिया गया है, जिसके मुताबिक़ पारसनाथ एक पहाड़ी और इको सेंस्सिटिव ज़ोन है.

अश्विनी चौबे ने ट्वीट किया है, “केंद्र सरकार ने पावन तीर्थ ‘सम्मेद शिखर जी’ की पवित्रता को बनाए रखने की दिशा में ठोस कदम उठाया है. झारखंड में ‘श्री सम्मेद शिखर जी’ तीर्थ स्थल ही रहेगा. उसमें कोई बदलाव नहीं होगा. इस संबंध में नोटिफ़िकेशन जारी कर दिया गया है. यह स्थल सिर्फ़ जैन समाज के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए पवित्र स्थान है.”

केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के बाद जैन मुनि प्रमाण सागर जी ने संदेश जारी किया है कि केंद्र सरकार ने जैन समाज की मांग मान ली है और जैन समुदाय से सारे आंदोलन रोक देने की अपील की है. इससे पहले झारखंड सरकार श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वनाथ (पारसनाथ) पर्वत को धार्मिक पर्यटन क्षेत्र घोषित करने पर विचार कर रही थी. इसके पीछे ग्रामीण पर्यटन को बढ़ाना मुख्य मक़सद बताया जा रहा था. जैन धर्म के अनुयायियों ने कर्नाटक, दिल्ली और झारखंड समेत देश के कई हिस्सों में सरकार के इस क़दम का विरोध करते हुए शांति मार्च भी निकाला था.

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के निर्देश पर पारसनाथ के अलावा देवघर, रजरप्पा, इटखोरी समेत कुछ और जगहों के लिए नीति तैयार करने पर विचार हो रहा था. इस संबंध में एक प्रस्ताव केंद्रीय वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय को भी भेजा गया था. राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद जैन समुदाय लगातार आंदोलन कर रहा था. इसके ख़िलाफ़ राजधानी दिल्ली में जैन समुदाय ने बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था. जैन धर्म का यह पवित्र स्थल झारखंड के गिरीडीह ज़िले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित है. माना जाता है कि जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थांकरों ने यहीं निर्वाण प्राप्त किया था.

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