शिक्षक जंगल-पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे करा रहें पढ़ाईशिक्षक जंगल-पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे करा रहें पढ़ाई
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : शिक्षक जंगल-पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे करा रहें पढ़ाईशिक्षक जंगल-पहाड़ों के बीच खुले आसमान के नीचे करा रहें पढ़ाई l कहते हैं यदि आप ठान ले तो लक्षित कार्य अपनी सुगमता के लिये रास्ते अपने आप खोज लेता जाता है, आवश्यकता है तो दृढ़ इच्छाशक्ति और अपने काम के प्रति समर्पण की। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर कोरोना संक्रमण की विषम परिस्थितियों में बच्चों तक शिक्षा की अलख जगाने और बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए महत्वाकांक्षी योजना पढाई तुंहर दुआर का क्रियान्वयन राज्य में किया जा रहा है। योजना के तहत गुरूजन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने की अलख जगा रहे हैं।
कोरोना महामारी के चलते शिक्षा पर काफी प्रभाव पड़ा है, और स्कूल तीन महीनो से बंद है। प्रदेश के नक्सल प्रभावित जिला नारायणपुर के सुदूर अंचलों में जिला प्रशासन बच्चों तक शिक्षा पहुंचाने के लिए काफी गंभीरता से प्रयास कर रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है शिक्षक ऑनलाइन पढ़ाई के साथ-साथ ऑफ लाइन कक्षाओं का भी संचालन कर रहे हैं। शिक्षक घर-घर पहुंच कर बच्चों को शिक्षा पहुंचाने का कार्य कर रहे हैं। वे इसके साथ ही घर-घर जाकर कोरोना महामारी से बचाव के लिए भी बच्चों और पालकों को जागरुक करने का भी कार्य कर रहे हैं। नारायणपुर जिले में कई स्थानों पर नेटवर्क नहीं होने के बावजूद ऑफ लाइन क्लास का संचालन कर रहे हैं। यहां के गुरूजन शिक्षा के प्रसार के लिए काफी गंभीर है।
नारायणपुर जिले की विषम भौगोलिक परिस्थितियों के कारण जहंा मोबाइल नेटवर्क काम नहीं करता वहां पर ऑफ लाईन क्लास के माध्यम से शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहें हैं। यहां के शिक्षकों को आभास हो गया है, कि केवल मोबाइल वाले माध्यम से सफलता नहीं मिल सकती है। शिक्षकों ने जंगल-पहाड़ों के बीच बच्चों को खुले आसमान के नीचे बैठाकर ऑफ़ लाइन क्लास के माध्यम से पढ़ाई करा रहे हैं। शिक्षक कोविड-19 से बचाव का भी पूरा ध्यान रख रहे हैं। सभी बच्चे मास्क लगाते है। बकायदा उनके हाथों को सेनेटाइज किया जाता है। अपनी क्लास में शिक्षक अपने मोबाइल से आने वाली शिक्षण सामग्री को दिखाते हैं, फिर उसे समझाते हैं। एन्ड्राइड मोबाइल की अभिभावकों के पास अनुपलब्धता का असर बच्चों की शिक्षा पर ना पड़े इसके लिए इन शिक्षकों के द्वारा किया जाने वाला यह कार्य न केवल सराहनीय है, बल्कि अनुकरणीय भी है।