पहले चरण में 9 स्थानों का होगा सौंदर्यीकरण और विकास — लव-कुश की जन्मस्थली छत्तीसगढ़ का तुरतुरिया बनेगा ईको टूरिज्म स्पाट
लव-कुश की जन्मस्थली छत्तीसगढ़ का तुरतुरिया बनेगा ईको टूरिज्म स्पाट, पहले चरण में 9 स्थानों का होगा सौंदर्यीकरण और विकास lशबरी की तपोभूमि शिवरीनारायण को भी संवार रही है छत्तीसगढ़ सरकार, भगवान राम का वन गमन पथ छत्तीसगढ़ के नये टूरिज्म सर्किट में शामिल
Report manpreet singh
RAIPUR chhattisgarh VISHESH : छत्तीसगढ़ में न केवल प्रभु राम की माता कौशल्या का जन्म हुआ, रामायण के माध्यम से रामकथा को दुनिया के सामने लाने वाले महर्षि बाल्मिकी ने भी इसी भूमि पर आश्रम का निर्माण कर साधना की। प्रदेश की भूपेश बघेल सरकार ने कौशल्या के जन्म-स्थल चंदखुरी की तरह तुरतुरिया के बाल्मिकी आश्रम को भी पर्यटन-तीर्थ के रूप में विकसित करने के लिए कार्य की रूप-रेखा तैयार कर ली है। इसी तरह रामकथा से संबंधित एक और महत्वपूर्ण स्थल शिवरीनारायण के विकास के लिए कार्ययोजना तैयार कर ली गई है। शिवरीनारायण वही स्थान है जहां माता शबरी ने प्रभु राम को जूठे बेर खिलाए थे।
बलौदाबाजार जिले के तुरतुरिया में बाल्मिकी आश्रम तथा उसके आसपास का सौंदर्यीकरण किया जाएगा। यह प्राकृतिक दृश्यों से भरा एक मनोरम स्थान है, जो पहाड़ियों से घिरा हुआ है। यह बारनवापारा अभयारण्य से लगा हुआ है। यहां बालमदेही नदी और नारायणपुर के निकट बहने वाली महानदी पर वाटर फ्रंट डेवलपमेंट किया जाएगा। इन स्थानों पर कॉटेज भी बनाए जाएंगे। तुरतुरिया के ही निकट स्थित एक हजार साल पुराने शिव मंदिर को भी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। भगवान राम ने अपने वनवासकाल के दौरान कुछ समय तुरतुरिया के जंगल में भी बिताए थे। ऐसी भी मान्यता है कि लव-कुश का जन्म इसी आश्रम में हुआ था। तुरतुरिया को ईको टुरिज्म स्पाट के रूप में विकसित करने की योजना है।
तुरतुरिया की ही तरह शिवरीनारायण भी एक सुंदर जगह है। जांजगीर-चांपा जिले में महानदी, जोंक और शिवनाथ नदियों के संगम पर स्थित धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का यह स्थान रामकथा से संबंधित होने के साथ-साथ भगवान जगन्नाथ से भी संबंधित है। मान्यताओं के अनुसार यह शहर चारों युगों में विद्यमान रहा, और अलग-अलग नामों से जाना गया। यहीं से भगवान जगन्नाथ का विग्रह ओडिशा के पुरी स्थित मंदिर में ले जाकर स्थापित किया गया। हर साल माघ पूर्णिमा को भगवान जगन्नाथ शिवरीनारायण में विराजते हैं। इस स्थान को गुप्त-तीर्थ तथा छत्तीसगढ़ के जगन्नाथ-पुरी के नाम से भी जाना जाता है। छत्तीसगढ़ शासन ने शिवरीनारायण के भी सौंदर्यीकरण और विकास की कार्ययोजना तैयार की है। यहां भी पर्यटन सुविधाएं विकसित की जा रही हैं।
रायपुर जिले के चंदखुरी की तरह तुरतुरिया और शिवरीनारायण भी मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की महत्वाकांक्षी राम वन गमन पथ परियोजना में शामिल हैं। 137.45 करोड़ रुपए की इस परियोजना के पहले चरण में 9 स्थानों को विकास और सौंदर्यीकरण के लिए चिन्हिंत किया गया है। प्रदेश में कुल 75 ऐसे स्थानों की पहचान की गई है, जहां अपने वनवास के दौरान भगवान राम या तो ठहरे थे, अथवा जहां से वे गुजरे थे। दिसंबर माह में चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर परिसर के सौंदर्यीकरण एवं विस्तार के कार्य के शिलान्यास के साथ ही राम वन गमन पथ में स्थित सभी 9 चिन्हिंत स्थानों के भी सौंदर्यीकरण एवं विस्तार के कार्य की शुरुआत की जा चुकी है।