केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अफ्रीकी.एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO) की कार्यकारी समिति के 77वें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित किया

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AARDO परिवर्तनकारी समाधान तलाशने और मजबूत साझेदारी को बढ़ावा देने के प्रति आपकी प्रतिबद्धताए एकता और प्रगति के लिए दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग की भावना का प्रमाण: श्री चौहान

Posted On: 19 FEB 2025 2:38PM by PIB Delhi

केंद्रीय ग्रामीण विकास और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने आज अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण विकास संगठन (AARDO) की कार्यकारी समिति के 77वें सत्र के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि भारत विश्व बंधुत्व में विश्वास करने वाला देश है एवं हम सभी प्राणियों में सदभाव एवं विश्व कल्याण की भावना रखते हैं। भारत वसुधैव कुटुम्‍बकम में विश्वास करता है, यह हमें अपने घरों व अपने समुदाय, अपने देशों, अपने ब्रह्मांड से दूर जाने और पूरे ब्रह्मांड को एक परिवार के रूप में मानने के लिए कहता है। हमारे ऋषियों ने भी कहा है कि केवल हम ही नहीं बल्कि सब सुखी, निरोग व सबका मंगल हो और सबका कल्याण हो इसी भाव को भारत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में अपनी धरती पर उतारने की कोशिश कर रहा है।

श्री चौहान ने कहा कि दुनिया का बहुत बड़ा हिस्सा अभी भी गांव में बसता है। भारत में भी बहुत बड़ा हिस्सा गांव में बसता है। जब तक गांव की प्रगति नहीं होगी तब तक किसी भी देश की प्रगति विशेषकर अफ्रीकी और एशिया के देशों में। मैं AARDO का धन्यवाद देना चाहता हूं तो ग्रामीण क्षेत्रों में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक समर्पण को दर्शाता है। जो हमारे क्षेत्रों में ग्रामीण समुदायों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए सामूहिक समर्पण को दर्शाता है। परिवर्तनकारी समाधान तलाशने और मजबूत साझेदारी को बढ़ावा देने के प्रति आपकी प्रतिबद्धता, एकता और प्रगति के लिए दक्षिण-दक्षिण और त्रिकोणीय सहयोग की भावना का प्रमाण है, जो AARDO को परिभाषित करता है और भारत के लिए भी एक मंत्र है। कार्यकारी समिति की बैठक का 77वां सत्र निश्चित रूप से आगामी मंत्रिस्तरीय सम्मेलन के लिए आधार बनेगा, जब AARDO अपने विविध कार्यक्रमों का विश्लेषण करेगा और एक और महत्वाकांक्षी त्रिवर्षीय अवधि 2025-2027 पर विचार करेगा जिसमें AARDO के कार्यनीतिक ढांचे का व्यापक मध्यावधि मूल्यांकन और समीक्षा शामिल होगी। 

उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में, हम हरित क्रांति जिससे कृषि उत्पादकता में सकारात्मक परिवर्तन हुए और एकीकृत कार्यक्रम जो ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका, रोजगार और आधारभूत अवसंरचना में सुधार पर केंद्रित थे जैसे साहसिक कदमों के साथ आगे बढ़े हैं। अब हम अन्‍न के उत्‍पादन में ना सिर्फ आत्‍मनिर्भर है अपितु हम अन्‍य देशों को भी खाद्य प्रदार्थों का निर्यात कर रहे हैं। हमारे गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम जैसे कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का उद्देश्य विभिन्न सामाजिक-आर्थिक विकास कार्यक्रमों के माध्यम से, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबों के कल्याण और उत्थान को बढ़ावा देना है। इन कार्यक्रमों ने स्वरोजगार, वित्तीय समावेशन और कौशल विकास को बढ़ावा देकर अनगिनत परिवारों को सशक्त बनाया है। इस योजना के तहत अब तक विभिन्‍न हस्‍तक्षेपों के माध्‍यम से 10 करोड़ से अधिक ग्रामीण महिलाओं तक पहुंच बनाया है और इन्‍हें 90 लाख से अधिक स्‍वयं सहायता समूहों में संगठित किया गया है और उन्‍हें 50 हजार करोड़ रूपये से अधिक की पूंजीकरण सहायता प्रदान की गई है एवं 10.05 लाख करोड़ रूपये का बैंक लिंकेज भी प्रदान किया गया है। इस योजना की एक उप योजना र्स्‍टाटअप विलेज इंटरप्रेन्‍योरशिप प्रोग्राम के तहत 4.40 करोड़ महिला किसानों और 3.30 लाख उद्यमों को समर्थन दिया है। 

श्री चौहान ने कहा कि अब मैं एक ऐसी पहल पर प्रकाश डालना चाहूंगा जो हमारे देश के अनगिनत महिलाओं के जीवन में बदलाव ला रही है, यह पहल लखपति दीदीयों पर केंद्रित है। मैं सबसे पहले आपको “लखपति दीदी” का मतलब समझाता हूँ। इसका तात्पर्य ऐसी दीदी से है जो कम से कम एक लाख भारतीय रुपए प्रतिवर्ष कमाती है। लखपति दीदी न केवल वित्तीय सशक्तिकरण का प्रतिनिधित्व करती हैं, बल्कि ग्रामीण महिलाओं के लिए आर्थिक स्वतंत्रता, सम्मान और नेतृत्व का एक शक्तिशाली प्रतीक भी हैं।

श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि लखपति दीदी पहल ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बनाकर उनके उत्थान के लिए हमारी सरकार के प्रयासों की आधारशिला है। इस पहल के तहत हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि स्वयं सहायता समूहों की दीदीयां स्थायी आजीविका के माध्यम से प्रति वर्ष कम से कम एक लाख रुपये कमाएं। हमारी सरकार ने 3 करोड़ लखपति दीदी बनाने का लक्ष्‍य रखा है जिसमें से अब तक 1.15 करोड़ लखपति दीदी बन चुकी है। हमारी लखपति दीदीयां, सिर्फ आय ही नहीं कमा रही हैं; वे अपने परिवारों और समुदायों की प्रगति में प्रभावी भूमिका भी निभा रही हैं। वे दूसरों के लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग दिखाने वाली आदर्श बन गई हैं। विभिन्न जिलों में हजारों महिलाएं अब आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर हैं तथा कृषि, डेयरी फार्मिंग, उद्यमशीलता तथा अन्य संबद्ध गतिविधियों से नियमित आय अर्जित कर रही हैं।

हमारे विभाग की एक अन्‍य योजना महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत, हमारी सरकार ने महिलाओं, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और हाशिए पर स्थित समुदायों के लिए सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हुए स्थाई परिसंपत्तियों का निर्माण किया है। यह कार्यक्रम अकुशल मानवीय श्रम करने के इच्छुक ग्रामीण परिवारों के वयस्क सदस्यों को प्रति वर्ष 100 दिनों का मजदूरी रोजगार की गारंटी देता है। इस कार्यक्रम ने न केवल गरीबी को कम किया है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को भी पुनर्जीवित किया है। यह योजना जल संरक्षण एवं पर्यावरण सुरक्षा की दृष्टि से भी महती कार्य कर रहा है। अब तक लगभग 1.11 करोड़ जल स्रोतों और जल संबंधित परिसंपत्तियों का निर्माण/पुर्ननिर्माण और करीब 88 लाख वृक्षारोपण संबंधित कार्यों को किया गया है। जिससे भू-जल स्‍तर में सुधार हुआ है और पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने में मदद मिली है। श्री चौहान ने कहा कि हमने लगभग 88 लाख वृक्ष रोपण का काम किया है। उन्होंने कहा कि मैं स्वंय भी हर दिन पेड़ लगाता हूं। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि मुझे रोज़ पेड़ लगाते हुए 4 साल हो गये हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का संकल्प पर्यावरण को बचाना भी है और उसे पूरा करने में मनरेगा जैसे कार्यक्रम महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने एक पेड़ मां के नाम अभियान की भी शुरूआत की है।

हमारी सरकार के दूरदर्शी नेतृत्व में कार्यान्वित एक और बड़ी पहल, मिशन अमृत सरोवर, न केवल हमारे पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए सतत विकास का वादा भी करती है। हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में शुरू की गई इस दूरदर्शी योजना का उद्देश्य पूरे देश में जल निकायों का कायाकल्प करना है। हमारे जीवन में जल की महत्ता को कम करके नहीं आंका जा सकता। यह हमारे समुदायों, हमारी कृषि और हमारे उद्योगों के लिए जीवनरेखा समान है। फिर भी, जल संसाधनों की कमी, जलवायु परिवर्तन और बढ़ती मांग के कारण हमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे समय में, मिशन अमृत सरोवर जैसी पहल न केवल फायदेमंद है, बल्कि आवश्यक भी है। इस मिशन के माध्यम से, पूरे भारत में प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर (जल निकाय) (कुल 50,000) विकसित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष अभी तक 68,000 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण हो चुका है। हमारी सरकार ने अब मिशन अमृत सरोवर के दूसरे चरण की शुरुआत की है, जिसमें जल उपलब्धता सुनिश्चित करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित किया जाएगा, जिसमें सामुदायिक भागीदारी (जनभागीदारी) को केंद्र में रखा जाएगा और इसका उद्देश्य जलवायु प्रतिरोधकता के मजबूत करना, पारिस्थितिकी संतुलन को बढ़ावा देना और भावी पीढ़ियों को स्थायी लाभ पहुंचाना है।

अधोसंरचना विकास एक और प्रमुख विशेष क्षेत्र रहा है। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर की पहल के रूप में वर्ष 2000 में शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य हजारों गांवों को जोड़ने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क के संरचना विकास में सुधार करना, बाजारों, स्कूलों और स्वास्थ्य सुविधाओं तक पहुंच सुनिश्चित करना है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 7.75 लाख कि.मी. से अधिक सड़क मार्गों का निर्माण हो चुका है। हमने विभिन्न ग्रामीण सड़क प्रौद्योगिकियों को साझा करने के लिए वर्ष 2022 एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित किया था।

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण के अंतर्गत भारत में पात्र ग्रामीण आबादी को किफायती आवास उपलब्ध कराना है। इस योजना ने लाखों लोगों को सम्मान और सुरक्षा प्रदान की है तथा उनके जीवन और आकांक्षाओं में बदलाव किया है। योजना के अंतर्गत अब तक 2.70 करोड़ से अधिक परिवारों को बुनियादी सुविधाओं सहित पक्‍का आवास दिया जा चुका है। भारत में किसी भी गांव में कोई भी ग़रीब परिवार कच्चे घर में नहीं रहेगा, हर किसी के पास पक्का घर होगा, इस संकप्ल के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं।

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना, ग्रामीण युवाओं के कौशल को उन्नत करती है और उन्हें विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अवसर प्रदान करती है। उद्योग-संबंधित कौशल से युक्‍त करके, यह योजना उन्हें आजीविका सुरक्षित करने और देश की अर्थव्यवस्था में योगदान करने के लिए सशक्त बनाती है। ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान, ग्रामीण युवाओं को उद्यमिता से संबंधित निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, जिससे उन्हें अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने में मदद मिलती है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में स्वरोजगार, आर्थिक स्वतंत्रता और स्थायी आजीविका को बढ़ावा देना है। इन योजनाओं को हमारे लोगों के उत्थान, हमारे युवाओं को सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत में स्थायी परिवर्तन लाने के लिए ध्‍यानपूर्वक तैयार किया गया है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ग्रामीण समुदायों के उत्थान, गरीबी उन्मूलन और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के अपने मिशन पर दृढ़ है। हमारा दृष्टिकोण समावेशिता, समानता और स्थिरता में निहित है जो यह सुनिश्चित करता है कि प्रगति की इस यात्रा में कोई भी पीछे न छूटे।

भारत देश में, हम बहुत भाग्यशाली हैं कि हमारे यहां कई दूरदर्शी लोगों ने जन्म लिया, जिन्होंने हमें ग्रामीण लोगों के समग्र विकास के लिए मार्ग दिखाया, जैसे नानाजी देशमुख, पंडित दीन दयाल उपाध्याय, विनोबा भावे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन जमीनी स्तर पर ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कार्य करने के लिए समर्पित कर दिया। नानाजी देशमुख एक महान दूरदर्शी, समाज सुधारक और एक प्रमुख नेता थे, जिन्होंने भारत में ग्रामीण विकास के लिए अपना जीवन समर्पित किया। इस क्षेत्र में उनके योगदान को परिवर्तनकारी माना जाता है, विशेष रूप से आत्मनिर्भर और स्थायी ग्रामीण समुदायों को बढ़ावा देने के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों को।

AARDO का जोर सतत कृषि, ग्रामीण विकास और सामाजिक विकास पर है, जो ग्रामीण समुदायों द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियों के समाधान के लिए अत्यंत आवश्यक है। ग्रामीण विकास मंत्रालय, AARDO के साथ अपने सहयोगात्मक प्रयासों के माध्यम से, ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और समाज के वंचित वर्गों को मुख्यधारा में लाने के लिए, कार्यक्रमों को तैयार करने और कार्यान्वित करने के लिए निरंतर कार्य करता है। कृषि उत्पादकता बढ़ाने की पहल से लेकर ग्रामीण आय में वृद्धि करने की योजनाओं तक, ये दोनों संस्थाएँ जमीनी स्तर पर परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

भारत और AARDO के संबंध तब से इसकी ऐतिहासिक जड़ों में निहित हैं, जब 1961 में नई दिल्ली में ग्रामीण पुनर्निर्माण पर पहला अफ्रीकी-एशियाई सम्मेलन आयोजित किया गया था। इसके बाद, 1962 में काहिरा में दूसरा सम्मेलन हुआ, जिसने अफ्रीकी-एशियाई ग्रामीण पुनर्निर्माण संगठन (AARDO) की नींव रखी। भारत उन पाँच संस्थापक सदस्यों में से एक था और तब से AARDO परिवार का अभिन्न हिस्सा बना हुआ है। भारत सबसे अधिक वार्षिक सदस्यता अंशदान 1,55,300 ( एक लाख पचपन हजार तीन सौ) अमेरिकी डॉलर देता है। भारत सरकार समय-समय पर AARDO को संगठनात्मक, तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती रही है। यह शुरू से ही कार्यकारी समिति के माध्यम से AARDO की संचालन प्रक्रिया का हिस्सा रहा है । भारत ने वर्ष 2000 और 2009 में क्रमशः 13वें और 16वें AARDO महासम्मेलन की मेजबानी की थी और 2000-2002 तथा 2009-2011 के दौरान AARDO के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया है।

भारत सरकार वर्ष 2009 से 2,00,000 (दो लाख) अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष की दर से AARDO को 6,00,000 ( छ लाख ) अमेरिकी डॉलर त्रैवार्षिक के लिए अतिरिक्त तकनीकी योगदान प्रदान कर रही है, ताकि भारत में उत्कृष्टता केंद्र में प्रशिक्षण और उन क्षेत्रों में, जहां ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन के सफल और अभिनव मॉडल लागू किए गए हैं, के एक्सपोजर विजिट के माध्यम से सदस्य देशों के नामांकित व्यक्तियों की क्षमता निर्माण की जा सके। “वसुधैव कुटुंबकम” की भावना से प्रेरित होकर, भारत AARDO के बहुपक्षीय मंच के माध्यम से ज्ञान, तकनीकी विशेषज्ञता, सफल नीतियों और कार्यक्रमों का आदान-प्रदान जारी रखेगा, ताकि अन्य AARDO सदस्य देशों में ग्रामीण परिवर्तन को बढ़ावा दिया जा सके।

श्री चौहान ने कहा कि मैं यह भी घोषणा करता हूँ कि हमारी तकनीकी सहायता वर्ष 2025-27 के दौरान भी जारी रहेगी। मैं यह भी घोषणा करता हूं कि वर्ष 2025-27 के दौरान यह सहायता प्रतिवर्ष 50 हज़ार अमेरिकी डॉलर की बढ़ोतरी के साथ अब यह सहायता 2,50,000 ( दो लाख पचास हजार) अमेरिकी डॉलर प्रति वर्ष होगा। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रयासरत रहेंगे कि क्षमता निर्माण हमारी प्राथमिकताओं में से एक बना रहे। हमें विश्वास है कि शिक्षा, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और समावेशी विकास वे आधारशिलाएँ हैं जिन पर हम एशिया और अफ्रीका की ग्रामीण आबादी के लिए एक बेहतर भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। भारत सरकार की ओर से, मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि हम भारतीय अपनी सफलता की कहानियाँ आप सभी के साथ साझा करने के लिए तत्पर हैं और साथ ही, हम आपकी सफलता की कहानियों से भी सीखने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री के रूप में, मैं आपको यह भी आश्वस्त करता हूँ कि AARDO सदस्य देशों के कृषि क्षेत्र की जटिल चुनौतियों को समझते हुए, भारत कोई भी कसर नहीं छोड़ेगा और अपनी सफल योजनाएँ, मॉडल और तकनीकी समाधान साझा करता रहेगा ताकि AARDO सदस्य देशों में खाद्य एवं पोषण सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और किसान सशक्त बन सकें। भारत ने AARDO सचिवालय के निर्माण एवं समय-समय पर नवीनीकरण के लिए अपना योगदान दिया है। भारत सरकार ने अभी हाल में सचिवालय भवन के नवीनीकरण के लिए 4,77,12,700 करोड़ रूपये की धनराशि स्‍वीकृत किया है।

केंद्रीय मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मैं AARDO के सभी सदस्य देशों को उनके निरंतर सहयोग और सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद देना चाहता हूँ। भारत और AARDO के बीच साझेदारी हमारे क्षेत्र में ग्रामीण विकास को नई दिशा देने में सफल हुई है। मैं यह दोहराना चाहता हूँ कि AARDO में हमारी सामूहिक प्रयासों का अंतिम लक्ष्य हमारे सदस्य देशों के ग्रामीण समुदायों में खुशी और समृद्धि लाना है। यह लक्ष्य तभी प्राप्त किया जा सकता है जब हम उन लोगों को सशक्त बनाएं, जो अक्सर सबसे अधिक असुरक्षित होते हैं—विशेष रूप से महिलाएँ और युवाओं को । हम मिलकर ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाएंगे, आजीविकाओं को उन्नत करेंगे और आने वाली पीढ़ियों के लिए एक सतत भविष्य का निर्माण करेंगे। मैं हमारी कार्यकारी समिति और आगामी AARDO महासम्मेलन के लिए अपनी शुभकामनाएँ देता हूँ

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