प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप कॉन्क्लेव के पहले संस्करण का उद्घाटन किया

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स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप ऐसे नेता तैयार करेगा जो राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर उत्कृष्टता हासिल करेंगे: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा- भारत आज एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में उभर रहा है

प्रधानमंत्री ने कहा- नेताओं को रुझान निर्धारित करने चाहिए

भविष्य के नेतृत्व में विकसित भारत के निर्माण के लिए प्रत्येक क्षेत्र में इस्पात और उत्साह का संचार करना एसओयूएल का उद्देश्य होना चाहिए: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने कहा- भारत को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो वैश्विक उत्कृष्टता के नए संस्थान विकसित कर सकें

साझा उद्देश्य के लिए विकसित सम्बंध खून के रिश्तों से भी अधिक मजबूत होता है: प्रधानमंत्री

Posted On: 21 FEB 2025 12:54PM by PIB Delhi

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नई दिल्ली के भारत मंडपम में स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप (एसओयूएल) लीडरशिप कॉन्क्लेव 2025 का उद्घाटन किया। सभी बड़े नेताओं और उभरते युवा नेताओं का स्वागत करते हुए श्री मोदी ने कहा कि कुछ कार्यक्रम बहुत खास होते हैं और आज का कार्यक्रम ऐसा ही था। प्रधानमंत्री ने कहा, “राष्ट्र निर्माण के लिए बेहतर नागरिकों का विकास आवश्यक है, प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे नेताओं का विकास आवश्यक है।” उन्होंने कहा कि प्रत्येक क्षेत्र में अच्छे नेताओं को तैयार करना आवश्यक है और यह समय की मांग है। इसलिए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप विकसित भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। उन्होंने कहा कि एसओयूएल सिर्फ संगठन का नाम नहीं है, बल्कि एसओयूएल भारत के सामाजिक जीवन की आत्मा होगी। उन्होंने कहा कि दूसरे अर्थों में, एसओयूएल आध्यात्मिक अनुभव के सार को भी खूबसूरती से दर्शाता है। एसओयूएल के सभी हितधारकों को शुभकामनाएं देते हुए श्री मोदी ने घोषणा की कि निकट भविष्य में गुजरात की गिफ्ट सिटी के निकट एसओयूएल का एक नया, विशाल परिसर बनकर तैयार हो जाएगा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज एसओयूएल की यात्रा का पहला कदम है, देश को संस्थानों के भविष्य को आकार देने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को याद रखना होगा। स्वामी विवेकानंद का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि दूरदर्शी नेता हमेशा भारत को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त करना चाहते थे और केवल 100 प्रभावी और कुशल नेताओं की मदद से इसे बदलना चाहते थे। उन्होंने कहा कि देश को उसी जोश के साथ आगे बढ़ना होगा। यह देखते हुए कि प्रत्येक नागरिक 21वीं सदी के विकसित भारत के सपनों को सच करने के लिए चौबीसों घंटे काम कर रहा है, श्री मोदी ने 140 करोड़ की आबादी वाले देश में सभी क्षेत्रों में अच्छे नेतृत्व की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने उम्मीद जताई कि स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप ऐसे नेताओं को तैयार करेगा जो राजनीति के क्षेत्र सहित पूरी दुनिया में अपनी छाप छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री ने किसी भी राष्ट्र की प्रगति में मानव और प्राकृतिक संसाधन की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने एक उदाहरण भी दिया कि कैसे गुजरात पर्याप्त प्राकृतिक संसाधनों की कमी के बावजूद अपनी मानव पूंजी द्वारा संचालित नेतृत्व के कारण एक शीर्ष राज्य के रूप में उभरा है। उन्होंने कहा कि मानव संसाधन सबसे अधिक क्षमता वाला है। उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में ऐसे संसाधनों की आवश्यकता है जो नवाचार का नेतृत्व करने और कौशल को दिशा देने में सक्षम हों। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कौशल के बढ़ते महत्व की ओर इशारा किया। श्री मोदी ने नए कौशल को अपनाने के लिए नेतृत्व विकास की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि इसे वैज्ञानिक और संरचित दृष्टिकोण के माध्यम से आगे बढ़ाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने इस प्रक्रिया में एसओयूएल जैसे संस्थानों की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार स्वीकार किया और उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि संस्था ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राज्य शिक्षा सचिवों, राज्य परियोजना निदेशकों और अन्य अधिकारियों के लिए कार्यशालाएं आयोजित की गई हैं। इसके अतिरिक्त, गुजरात में मुख्यमंत्री कार्यालय के कर्मचारियों के लिए नेतृत्व विकास शिविर का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ शुरुआत है, और एसओयूएल को नेतृत्व विकास के लिए दुनिया की अग्रणी संस्था बनने का लक्ष्य होना चाहिए।

प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, “भारत एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर रहा है।” उन्होंने कहा कि सभी क्षेत्रों में गति को बढ़ाने के लिए विश्व स्तरीय नेताओं और अंतरराष्ट्रीय नेतृत्व की आवश्यकता है। एसओयूएल जैसे नेतृत्व संस्थानों की परिवर्तनकारी बदलाव लाने की क्षमता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय संस्थान न केवल एक विकल्प हैं, बल्कि आवश्यकता भी हैं। श्री मोदी ने कहा, “प्रत्येक क्षेत्र में ऊर्जावान नेताओं की आवश्यकता है जो वैश्विक जटिलताओं का समाधान ढूंढ सकें, आवश्यकतों को पूरा कर सके और साथ ही वैश्विक मंच पर राष्ट्र हितों को प्राथमिकता दे सकें।” उन्होंने जोर देकर कहा कि इन नेताओं का दृष्टिकोण वैश्विक होना चाहिए, लेकिन मानसिकता स्थानीय भी होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मानसिकता दोनों को समझने वाले, रणनीतिक निर्णय लेने, संकट प्रबंधन और भविष्य की सोच के लिए तैयार व्यक्तियों को तैयार करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों और वैश्विक संस्थानों में प्रतिस्पर्धा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार की गतिशीलता को समझने वाले नेताओं की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि एसओयूएल की भूमिका ऐसे नेताओं को तैयार करना है, जिनका दायरा बड़ा हो और उनसे उच्च अपेक्षाएं हों।

श्री मोदी ने सभी को यह ध्यान रखने की सलाह दी कि भविष्य का नेतृत्व केवल सत्ता तक सीमित नहीं होगा, बल्कि नेतृत्व की भूमिका के लिए नवाचार और प्रभाव की क्षमताओं की आवश्यकता होगी। उन्होंने देश में व्यक्तियों के इस आवश्यकता के अनुरूप तैयार होने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि एसओयूएल इन व्यक्तियों में आलोचनात्मक सोच, जोखिम लेने और समाधान-संचालित मानसिकता विकसित करेगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि संस्था ऐसे नेता तैयार करेगी, जो बाधाकारी परिवर्तनों की स्थिति में काम करने के लिए तैयार हों।

प्रधानमंत्री ने ऐसे नेताओं को तैयार करने की आवश्यकता पर बल दिया, जो केवल अनुसरण करने के बजाय रुझान तय करते हैं। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत कूटनीति से लेकर तकनीकी नवाचार तक के क्षेत्रों में नए नेतृत्व को आगे बढ़ाएगा, देश का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों में कई गुना बढ़ जाएगा। भारत के संपूर्ण दृष्टिकोण और भविष्य की निर्भरता एक मजबूत नेतृत्व पीढ़ी पर होने के तथ्य पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने वैश्विक सोच को स्थानीय परवरिश के साथ जोड़कर आगे बढ़ने के महत्व पर जोर दिया। शासन और नीति-निर्माण को विश्वस्तरीय बनाने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि यह तब हासिल किया जा सकता है जब नीति निर्माता, नौकरशाह और उद्यमी वैश्विक सर्वोत्तम तौर-तरीकों को शामिल करते हुए नीतियां बनाएं। उन्होंने इस सम्बंध में एसओयूएल जैसी संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

विकसित भारत के निर्माण के लिए सभी क्षेत्रों में तेजी से प्रगति की आवश्यकता को दोहराते हुए, श्री मोदी ने शास्त्रों का उदाहरण देते हुए बल दिया कि लोग महान व्यक्तियों के आचरण का अनुसरण करते हैं। इसलिए, उन्होंने ऐसे नेतृत्व के महत्व को रेखांकित किया जो भारत के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुसार खुद को दर्शाता है और संचालित करता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि एसओयूएल का उद्देश्य एक विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक शक्ति और भावना का संचार करना होना चाहिए। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि एक बार मजबूत नेतृत्व स्थापित हो जाने के बाद आवश्यक परिवर्तन और सुधार स्वाभाविक रूप से होंगे।

सार्वजनिक नीति और सामाजिक क्षेत्रों में शक्ति और भावना दोनों विकसित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, प्रधानमंत्री ने डीप-टेक, अंतरिक्ष, बायोटेक और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उभरते क्षेत्रों के लिए नेतृत्व तैयार करने की आवश्यकता पर टिप्पणी की। उन्होंने खेल, कृषि, विनिर्माण और सामाजिक सेवा जैसे पारंपरिक क्षेत्रों के लिए नेतृत्व तैयार करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत को न केवल सभी क्षेत्रों में उत्कृष्टता की आकांक्षा करनी चाहिए बल्कि इसे प्राप्त भी करना चाहिए। श्री मोदी ने कहा, “भारत को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है, जो वैश्विक उत्कृष्टता के नए संस्थान विकसित कर सकें”। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास ऐसे संस्थानों की शानदार कहानियों से भरा पड़ा है और उन्होंने उस भावना को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस बात पर विश्वास व्यक्त करते हुए कि कार्यक्रम में उपस्थित लोगों में कई सक्षम व्यक्ति हैं, श्री मोदी ने कहा कि संस्थान उनके सपनों और दृष्टि के लिए एक प्रयोगशाला होनी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि आज जो नींव रखी जा रही है, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए गर्व का स्रोत होनी चाहिए, जो इसे 25-50 साल बाद गर्व के साथ याद करेंगे।

श्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि संस्थान को करोड़ों भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों की स्पष्ट समझ होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चुनौतियों और अवसरों को प्रस्तुत करने वाले क्षेत्रों और कारकों को अच्छी तरह से परिभाषित किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा, “जब हम एक साझा लक्ष्य और सामूहिक प्रयास के साथ आगे बढ़ते हैं, तो परिणाम सर्वश्रेष्ठ होते हैं।” उन्होंने कहा कि साझा उद्देश्य से बना बंधन खून के रिश्तों से भी मजबूत होता है, दिमागों को जोड़ता है, जुनून को बढ़ाता है और समय की कसौटी पर खरा उतरता है। उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण साझा लक्ष्य और उद्देश्य नेतृत्व और टीम भावना के विकास की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने लक्ष्यों के लिए स्वयं को समर्पित करते हैं तो अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं से काम करते हैं। श्री मोदी ने इस बात पर बल दिया कि साझा उद्देश्य न केवल व्यक्तियों से सर्वश्रेष्ठ काम करवाता है बल्कि बड़े उद्देश्य के अनुसार उनकी क्षमताओं को भी बढ़ाता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि यह प्रक्रिया ऐसे नेताओं को विकसित करती है जो उच्च स्तर तक पहुंचने के लिए आवश्यक कौशल हासिल करने का प्रयास करते हैं।

श्री मोदी ने कहा, “साझा उद्देश्य टीम भावना की अभूतपूर्व भावना को बढ़ावा देता है।” उन्होंने कहा कि जब लोग साझा उद्देश्य के साथ सह-यात्री के रूप में साथ-साथ चलते हैं, तो एक मजबूत बंधन विकसित होता है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि टीम निर्माण की यह प्रक्रिया नेतृत्व को भी जन्म देती है। उन्होंने साझा उद्देश्य के सर्वोत्तम उदाहरण के रूप में भारत के स्वतंत्रता संग्राम का उदाहरण दिया, और कहा कि उस दौरान न केवल राजनीति में बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी नेताओं का जन्म हुआ। श्री मोदी ने स्वतंत्रता आंदोलन की भावना को पुनर्जीवित करने और आगे बढ़ने के लिए इससे प्रेरणा लेने की आवश्यकता पर बल दिया।

प्रधानमंत्री ने संस्कृत के एक श्लोक का उदाहरण देते हुए इस बात पर जोर दिया कि ऐसा कोई शब्द नहीं है जिसे मंत्र न बनाया जा सके, ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं है जो औषधि न बन सके और ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है जो अक्षम हो। उन्होंने व्यक्तियों का उचित उपयोग करने और उनका मार्गदर्शन करने के लिए एक योजना बनाने वाले की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि आत्मा ऐसे योजनाकार की भूमिका निभाती है। श्री मोदी ने कहा कि कार्यक्रम में उपस्थित कई नेताओं ने सीख कर अपने नेतृत्व कौशल हासिल किया और इसे निखारा है। उन्होंने विकास के विभिन्न स्तरों पर जोर देते हुए एक उद्धरण दिया: आत्म-विकास के माध्यम से व्यक्तिगत सफलता, टीम विकास के माध्यम से संगठनात्मक विकास और नेतृत्व विकास के माध्यम से अविश्वसनीय वृद्धि। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमेशा इन सिद्धांतों द्वारा सभी को अपने कर्तव्यों और योगदानों को याद रखना चाहिए।

देश में 21वीं सदी और खासकर पिछले दशक में पैदा युवाओं द्वारा तैयार की जा रही नई सामाजिक व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए श्री मोदी ने कहा कि यह पीढ़ी सही मायने में भारत की पहली विकसित पीढ़ी होगी। उन्होंने इसे “अमृत पीढी” कहा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि नई संस्था, एसओयूएल, इस “अमृत पीढी” का नेतृत्व तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। उन्होंने संस्थान से जुड़े सभी लोगों को शुभकामनाएं दीं।

इस कार्यक्रम में भूटान के प्रधानमंत्री श्री दाशो शेरिंग तोबगे, एसओयूएल बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुधीर मेहता और उपाध्यक्ष श्री हसमुख अधिया अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ में उपस्थित थे। इन गणमान्य लोगों ने इस अवसर पर अपने विचार प्रस्तुत किए। श्री मोदी ने भूटान के प्रधानमंत्री को भूटान नरेश के जन्मदिवस के दिन इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के लिए धन्यवाद भी दिया।

पृष्ठभूमि

21 से 22 फरवरी तक चलने वाला दो दिवसीय एसओयूएल लीडरशिप कॉन्क्लेव प्रमुख मंच के रूप में काम करेगा। कार्यक्रम में राजनीति, खेल, कला और मीडिया, आध्यात्मिक दुनिया, सार्वजनिक नीति, व्यवसाय और सामाजिक क्षेत्र जैसे विविध क्षेत्रों के नेता अपनी प्रेरक जीवन यात्राएं साझा करेंगे और नेतृत्व से सम्बंधित पहलुओं पर चर्चा करेंगे। कॉन्क्लेव सहयोग और विचार नेतृत्व के एक इको-सिस्टम को बढ़ावा देगा, जिससे युवा दर्शकों को प्रेरित करने के लिए विफलताओं और सफलताओं दोनों से सीखने का मौका मिलेगा।

स्कूल ऑफ अल्टीमेट लीडरशिप गुजरात में आगामी नेतृत्व संस्थान है जो विश्वसनीय नेताओं को सार्वजनिक भलाई के काम को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाता है। इसका उद्देश्य औपचारिक प्रशिक्षण के माध्यम से भारत में राजनीतिक नेतृत्व के परिदृश्य को व्यापक बनाना और उन लोगों को शामिल करना है जो केवल वंशवादी राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं बल्कि सार्वजनिक सेवा के लिए योग्यता, प्रतिबद्धता और जुनून के माध्यम से आगे बढ़ते हैं। एसओयूएल आज की दुनिया में नेतृत्व की जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए आवश्यक अंतर्दृष्टि, कौशल और विशेषज्ञता लाता है

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