
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश की गौशालाओं में पशुओं के चारे का संकट गहरा गया है. इसी के चलते सूबे के सभी जिलाधिकारियों से करीब दो लाख टन भूसा दान में लेने का लक्ष्य रखा गया है. इधर बुधवार को केंद्र सरकार ने भी भूसा संकट को स्वीकार किया है. पशुपालन मंत्री संजीव बालियान ने कहा है कि कई किसानों ने भूसे का दाम बढ़ने की शिकायत की है. मंत्री से किसानों ने कहा कि दूध के दाम न बढ़ने से किसान अपने मवेशी बेच रहे हैं.मंत्री ने माना कि भूसे का संकट गहरा है उन्होंने किसानों को आश्वासन दिया कि भूसे का विकल्प साइलस बनाने पर सरकार जोर देगी.

बाजार में गेहूं 2000 रुपएक्विंटल है और भूसा 1400 से 1600 रुपए क्विंटल. आजादी के बाद पहली बार भूसे की महंगाई ने किसानों के ‘पशुपालन का अर्थशास्त्र’ बिगाड़कर रख दिया है. उत्तर प्रदेश में भूसा संकट को लेकर किसानों का कहना है कि छुट्टा पशुओं के चलते इस बार लोगों ने गेहूं कम बोया था. चारे वाली फसल किसान कर ही नहीं पा रहा है. इसके वजह से भी भूसे का संकट है. ऐसी स्थिति में आसानी से समझा जा सकता है कि चारे की महंगाई से छुट्टा मवेशियों की तादात बढ़ने और सरकार के लिए गौशालाओं में 8 लाख से ज्यादा मवेशियों के लिए 10 लाख टन से ज्यादा भूसे का इंतजाम करना कितनी बड़ी बड़ी चुनौती है.
संजीव बालियान ने कहा कि भूसे की कमी है हरियाणा सरकार ने भूसे बेचने पर रोक लगा दी है. जिससे अफरा तफरी और फैली है. लेकिन इसका दाम मार्केट फोर्सेस तय करती है. हम इसमें ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं. केंद्र सरकार को भी हालात के गंभीरता का अंदाजा है. लेकिन उनका कहना है कि इस मामले पर साइलस यानि पैकिंग चारे के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. बताते चलें कि किसानों की तरफ से सरकार पर दूध की कीमत को बढ़ाने की मांग की जा रही है. किसानों का कहना है कि भूसे के आसमान छूते भाव ने किसानों को मवेशी तक बेचने पर मजबूर कर दिया है.