निजी अस्पतालों में कोरोना मरीज के परिजनों से लाखों की वसूली पर छत्तीसगढ़ विशेष के सम्पादक मनप्रीत सिंह CMO, बघेल से मिल शिकायत की

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH :  रायपुर राजधानी में स्थित निजी अस्पतालों द्वारा कोविड-19 के मरीजों से मनमाने तरीके से पैसे वसूली करने का गंभीर आरोप लगाते हुए छत्तीसगढ़ विशेष के सम्पादक मनप्रीत सिंह ने कल CMO ( स्वास्थ्य विभाग) से मुलाकात कर अपनी बाते उनके सामने रखी इस विषय के चर्चा के दौरान उनके साथ भारत सता समाचार पत्र के सम्पादक भी मौजूद थे उन्होंने कहा स्वास्थ्य सेवाएं देना किसी सामान बेचने जैसा नहीं है और ऐसा कर स्वास्थ्य सेवाएं देने वाले निजी अस्पताल के संचालक मेडिकल क्लीनिक कंज्यूमर प्रोटेक्शन ऐक्ट का खुलम खुला उलंघन कर रहे हैं।इन्हें प्रशासन का जरा भी डर नहीं है l 

छत्तीसगढ़ विशेष के सम्पादक मनप्रीत सिंह को  लगातार पीडि़तों द्वारा शिकायत मिल रही थी कि निजी अस्पतालों में कोरोना का डर दिखा कर उनसे मनमाने तरीके से लाखों रुपए वसूली की जा रही है। कई मरीज तो ऐसे भी हैं जो इन निजी अस्पतालों में महज 3 दिन का फ़ीस 03 – 06 लाख रुपये तक चुकाए हैं। उन्होंने कहा पूरे देश में लगातार कोविड.19 के मरीजों की इजाफा के साथ ही छत्तीसगढ़ में भी इसकी बढ़ोतरी हुई है, नतीजन सरकारी अस्पतालों में अब जगह कम होने से सभी पीडि़तों को भर्ती करना भी सम्भव नहीं है, तो मजबूरन प्रदेश भर के संक्रमित लोग अच्छे इलाज के आशा में राजधानी रायपुर के निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं और स्थिति ये है कि अब इन अस्पतालों में कोविड.19 के अलावे अन्य बीमारी से ग्रसित लोग नहीं के बराबर ही हैं। जिसका फायदा ये निजी अस्पतालों के संचालक भरपुर उठा रहे हैं और उन्हें  इलाज के विकल्पों के बारे में बताया जाना चाहिए पर जो  निजी अस्पतालों में नही हो रहा है।अगर अस्पताल एक पुस्तिका के माध्यम से मरीज़ों को इलाज / जांच आदि के खर्च के बारे में बताएं तो ये अच्छी बात होगी। इससे मरीज़ के परिवार को इलाज पर होने वाले खर्च को समझने में मदद मिलेगी। मनप्रीत सिंह ने आगे कहा अस्पताल, मरीज या उसके परिजनों को केस से जुड़े सभी कागज़ात की फ़ोटोकॉपी दे। ये फ़ोटोकॉपी अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर और डिस्चार्ज होने के 72 घंटे के भीतर दी जानी चाहिए, पर ये भी नहीं किया जा रहा है।  कई बार यहा तक देखा गया है कि अगर मरीज़ द्वारा अस्पताल का पूरा बिल न अदा किया गया हो तो मरीज़ को अस्पताल छोडऩे नहीं दिया जाता है। बाम्बे हाई कोर्ट ने इसे ग़ैर कानूनी  बताया है। कभी-कभी अस्पताल बिल पूरा नहीं दे पाने की सूरत में लाश तक नहीं ले जाने देते। अस्पताल की ये जि़म्मेदारी है कि वो मरीज़ और परिवार को दैनिक खर्च के बारे में बताएं लेकिन इसके बावजूद अगर बिल को लेकर असहमति होती है तब भी मरीज को अस्पताल से बाहर जाने देने से या फिर शव को ले जाने से नहीं रोका जा सकता है , पर रायपुर के कई अस्पतालों में इसके ठीक विपरीत हो रहा है। मनप्रीत सिंह ने CMO बघेल से आग्रह किया है कि वे वर्चुअल मीटिंग लेकर सभी निजी अस्पतालों के संचालकों को इस बाबत बात कर स्पष्ट हिदायत दें पर इस पर बघेल मेडम जी ने कहा कि जिला दंडाधिकारी ही इस बात पर आदेश पारित कर सकता है, और आप और हम मिलकर जिला दंडाधिकारी से इसके लिए अनुरोध करेंगे, कि छत्तीसगढ़ की आम जनता के साथ किसी तरह की लूट ना हो,और साथ ही  मनमानी जारी रही तो ऐसे अस्पतालों के लाइसेंस केंसिल किया जाए उन्होंने कहा कि अस्पताल इस वैश्विक महामारी के समय मानवता का सही परिचय दें l 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MATS UNIVERSITY

ADMISSION OPEN


This will close in 20 seconds