छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक के प्रारूप को दी गई मंजूरी, जल जीवन मिशन के सभी टेंडर निरस्त साथ ही मंत्रिमंडल ने लिये अन्य महत्वपूर्ण निर्णय

Report manpreet singh 

RAIPUR chhattisgarh VISHESH : रायपुर, राज्य सरकार ने जल जीवन मिशन का टेंडर रद्द कर दिया है। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में आज मुख्यमंत्री ने 10 हजार करोड़ के टेंडर को रद्द करने के निर्देश दिए। दरअसल पिछले कई दिनों से जल जीवन मिशन के टेंडर को लेकर शिकायत आ रही थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर इस मामले में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी भी बनी थी। इस मामले में शिकायत को सही पाये जाने के बाद इस टेंडर को रद्द करने का निर्देश दिया गया है। इस योजना के तहत कई स्तर पर गड़बड़िया सामने आयी थी।

एक तो आपत्र लोगों को भी करोड़ों के ठेके आवंटित कर दिये गये थे, वहीं कई जगहों पर ये शिकायत भी आयी थी कि राज्य के बाहर के लोगों को 6 हजार करोड़ से ज्यादा का ठेका दे दिया गया, वहीं स्थानीय ठेकेदार को बस्तर और सुदूर नक्सल क्षेत्र में 2 से 10 करोड़ का ठेका ही मिल पाया था। इसे लेकर गहरी नाराजगी थी, जिस पर पहले भी मुख्यमंत्री ने नाराजगी जतायी थी।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इस योजना के तहत छत्तीसगढ़ के भी 38.34 लाख घरों में पाइप लाइन के जरिये पानी की आपूर्ति की जानी थी। 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री के इस योजना के घोषणा के एक साल बाद भी इस योजना के टेंडर का मसला ही नहीं सुलझ पाया था।

इसके अलावा मंत्रिमंडल ने कई अन्य महत्वपूर्ण निर्णय भी लिए हैं। उनमें

औद्योगिक नीति 2019-24 में संशोधन के प्रस्ताव को अनुमति दी गई। जिसमें राज्य के वनोपज, हर्बल तथा वन पर आधारित अन्य उत्पादों का प्रसंस्करण, खाद्य प्रसंस्करण उत्पादों के निर्माण और मूल्य संवर्धन के कार्य राज्य में ही किए जाने को प्रोत्साहित करने के लिए विशेष निवेश प्रोत्साहन पैकेज (वनांचल उद्योग पैकेज) का अनुमोदन किया गया। जिसके तहत लघु उद्योगों को औद्योगिक नीति 2019-24 के प्रावधान में स्थायी पूंजी निवेश अनुदान के स्थान पर, उत्पादन में आने के उपरांत उद्योगों को मान्य स्थायी पूंजी निवेश पर अनुदान के रूप में विशेषकर पिछड़े क्षेत्र विकासखण्डों जिसमें ”स”श्रेणी के विकासखण्डों में कुल निवेश का 40 प्रतिशत 5 वर्षो में अधिकतम 40 लाख रूपए प्रतिवर्ष तथा ”द” श्रेणी के विकासखण्डों में कुल निवेश का 50 प्रतिशत 5 वर्षो में अधिकतम 50 लाख रूपए प्रतिवर्ष पात्रतानुसार देय होगा। विशेष पैकेज के लिए लघु उद्योगों के द्वारा प्लांट एवं मशीनरी के अंतर्गत न्यूनतम 50 लाख तथा अधिकतम 5 करोड़ रूपए का निवेश किया जाना आवश्यक होगा।

वहीं,छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं प्रबंधन नियम-2015 में संशोधन का अनुमोदन किया गया। जिसमें औद्योगिक भूमि, भवन, शेड, प्रकोष्ठ एवं लैण्ड बैंक से आबंटित भूमि का आबंटन पश्चात नियमन एवं प्रबंधन की कंडिका में संशोधन किया गया। जिसके तहत प्रब्याजी में 70 प्रतिशत के स्थान पर प्रब्याजी में 60 प्रतिशत से अधिक का वाक्यांश प्रतिस्थापित किया गया। इसके साथ ही कोविड-19 की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए ऐसी औद्योगिक इकाईयां जिनके द्वारा उत्पादन प्रारंभ न किए जाने की स्थिति में तथा पट्टाभिलेख निरस्त होने की स्थिति में संबंधित आबंटित को प्रचलित प्रब्याजी का 10 प्रतिशत अतिरिक्त भुगतान करने पर उत्पादन प्रारंभ करने के लिए एक वर्ष की अतिरिक्त अवधि जो 31 अक्टूबर 2021 को समाप्त होगी। सक्षम प्राधिकारी द्वारा सशर्त प्रदाय की जा सकेगी। यह सुविधा कोविड-19 की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मात्र एक बार उपलब्ध होगी, जिसे अन्य प्रकरणों में पूर्व उदाहरण के रूप में उपयोग नही किया जा सकेगा। उक्त अवधि के पश्चात भी उद्यम में उत्पादन आरंभ न होने पर दी गई यह अतिरिक्त अवधि शून्य होगी तथा संबंधित इकाई पर छत्तीसगढ़ औद्योगिक भूमि एवं भवन प्रबंधन नियम 2015 के मूल प्रावधानों के अनुरूप कार्यवाही की जा सकेगी।

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मण्डी (संशोधन) विधेयक-2020 के प्रारूप को मंजूरी दी गई। इसके अलावा राज्य शासन द्वारा वर्ष 2012 में राज्य के ग्रामीण अंचलों के त्वरित एवं सर्वांगींण विकास की पूर्ति के लिए वर्तमान में विकास कार्यो की स्वीकृति के लिए गठित छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण एवं अन्य पिछड़ा वर्ग क्षेत्र विकास प्राधिकरण के पुनर्गठन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया गया। साथ ही छत्तीसगढ़ आबकारी नीति वर्ष 2013-14 के क्रियान्वयन के संबंध में प्रदेश में नशा मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान हेतु छत्तीसगढ़ शराब व्यसन मुक्ति अभियान (भारत माता वाहिंनी योजना) को समाज कल्याण विभाग को सौंपने का निर्णय लिया गया।

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