टनल में फंसे मजदूरों का हौसला धीरे-धीरे टूट रहा : निर्माणाधीन टनल में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब नए तरीके खोजे जा रहे

उत्तराखंड में उत्तरकाशी के सिलक्यारा गांव में सुरंग में फंसे क़रीब 40 मज़दूरों को निकालने का काम 7वें दिन भी जारी है.

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन टनल में फंसे 40 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब नए तरीके खोजे जा रहे हैं. उत्तरकाशी के निर्माणाधीन टनल में फंसे क़रीब 40 मज़दूरों को निकालने के काम फिलहाल ठप सा पड़ गया है जिससे अंदर फंसे मज़दूरों के परिजनों के बीच मायूसी की एक लहर दौड़ गई है

अब तक टनल में हॉरिजॉन्टली यानी सामने से ड्रिल कर मलबा हटाया जा रहा था, लेकिन अब वर्टिकली भी ड्रिलिंग का सहारा भी लिया जा रहा है.अधिकारियों का कहना है कि पहाड़ के ऊपर से पेड़ों को हटाकर ड्रिलिंग मशीन रखी जा रही है l उन्होंने बताया कि नई मशीन के शुरू होने के बाद टनल में सामने से मलबे को हटाने के लिए जो ड्रिलिंग की जा रही है, वह भी शुरू हो जाएगी.

मलबे में सामने से छेद करने के तीन प्रयास अब तक फेल हो चुके हैं. अब अधिकारियों का कहना है कि फंसे हुए मजदूरों को निकालने के लिए हॉरिजोंटल के साथ वर्टिकली ड्रिलिंग भी करनी होगी.उन्होंने बताया कि अगर सब कुछ ठीक रहा, तो मजदूरों तक पहुंचने में चार से पांच दिन लग सकते हैं.

12 नवंबर यानी दिवाली की सुबह अचानक निर्माणाधीन टनल में ऊपर से मलबा गिरने लगा और देखते ही देखते इतना बढ़ ढेर लग गया कि टनल के अंदर फंसे 40 मजदूर बाहर नहीं आ पाए. रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए शनिवार को एक और मशीन को इंदौर से एयरलिफ्ट कर टनल तक पहुंचाया गया है. इंदौर से मंगवाई गई यह तीसरी अमेरिकन ऑगर मशीन टनल के पास शनिवार सुबह 11 बजे पहुंच गई थी.

बीते शुक्रवार सरकार की हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी एनएचआईडीसीएल (NHIDCL) के डायरेक्टर अंशु मनीष खलको ने बताया था, अगर यह मशीन कहीं रूकती है, तो इंदौर से मँगवाई मशीन की सहायता से हम आगे का काम कर सकेंगे. उनका कहना था कि टनल में मौजूद मलबे में 24 मीटर तक ड्रिल किया जा चुका है.इसके अलावा कहीं ओर से रास्ता खोजे जाने पर भी एक्सपर्ट सलाह मशविरा कर रहे हैं और बैठकों का दौर जारी है.

शनिवार को प्रधानमंत्री कार्यालय के डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल भी टनल का मुआयना करने पहुंचे.

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