क्या है श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियों का राज

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : रायपुर, भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कहते हैं, क्योंकि यह दिन भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिवस माना जाता है। श्रीकृष्ण के बारे में कहा जाता है कि उनकी 16 हजार रानियां थीं। इस संबंध में कई कथाएं प्रचलित हैं।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक सबसे पहले कृष्ण ने रुक्मिणी का हरण कर उनसे विवाह किया था। बताया जाता है कि एक दिन अर्जुन को साथ लेकर भगवान कृष्ण वन विहार के लिए निकले। जिस वन में वे विहार कर रहे थे वहां पर सूर्य पुत्री कालिंदी, श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की कामना से तप कर रही थी। कालिंदी की मनोकामना पूर्ण करने के लिए श्रीकृष्ण ने उसके साथ विवाह कर लिया। फिर एक दिन श्रीकृष्ण उÓजयिनी की राजकुमारी मित्रबिन्दा को स्वयंवर से वर लाए। उसके बाद श्री कृष्ण ने कौशल के राजा नग्नजित के सात बैलों को एक साथ नाथ कर उनकी कन्या सत्या से विवाह किया। उसके बाद उन्होंने कैकेय की राजकुमारी भद्रा से विवाह हुआ। भद्रदेश की राजकुमारी लक्ष्मणा भी कृष्ण को चाहती थी, लेकिन उनका परिवार कृष्ण से विवाह के लिए राजी नहीं था तब लक्ष्मणा को श्रीकृष्ण अकेले ही हरकर ले आए। इस तरह कृष्ण की आठ पत्नियां हुईं- रुक्मिणी, जाम्बवन्ती, सत्यभामा, कालिंदी, मित्रबिन्दा, सत्या, भद्रा और लक्ष्मणा। इन 8 पटरानियों अष्टा भार्या कहा जाता था। इनसे श्रीकृष्ण के 80 पुत्र हुए हैं। 

1. श्रीकृष्ण-रुक्मिणी के पुत्रों के नाम- प्रद्युम्न, चारुदेष्ण, सुदेष्ण, चारुदेह, सुचारू, चरुगुप्त, भद्रचारू, चारुचंद्र, विचारू और चारू।

2.जाम्बवती-कृष्ण के पुत्रों के नाम- साम्ब, सुमित्र, पुरुजित, शतजित, सहस्त्रजित, विजय, चित्रकेतु, वसुमान, द्रविड़ और क्रतु।

&.सत्यभामा-कृष्ण के पुत्रों के नाम- भानु, सुभानु, स्वरभानु, प्रभानु, भानुमान, चंद्रभानु, वृहद्भानु, अतिभानु, श्रीभानु और प्रतिभानु।

4.कालिंदी-कृष्ण के पुत्रों के नाम- श्रुत, कवि, वृष, वीर, सुबाहु, भद्र, शांति, दर्श, पूर्णमास और सोमक।

5.मित्रविन्दा-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- वृक, हर्ष, अनिल, गृध्र, वर्धन, अन्नाद, महांस, पावन, वह्नि और क्षुधि।

6.लक्ष्मणा-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- प्रघोष, गात्रवान, सिंह, बल, प्रबल, ऊध्र्वग, महाशक्ति, सह, ओज और अपराजित।

7.सत्या-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- वीर, चन्द्र, अश्वसेन, चित्रगुप्त, वेगवान, वृष, आम, शंकु, वसु और कुंति।

8.भद्रा-श्रीकृष्ण के पुत्रों के नाम- संग्रामजित, वृहत्सेन, शूर, प्रहरण, अरिजित, जय, सुभद्र, वाम, आयु और सत्यक।

किसतरह हुई श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां

पौराणिक कथाओं के मुताबिक एक दिन देवराज इंद्र ने भगवान कृष्ण को बताया कि प्रागÓयोतिषपुर के दैत्यराज भौमासुर के अत्याचार से देवतागण त्राहि-त्राहि कर रहे हैं। इंद्र की प्रार्थना स्वीकार कर के श्रीकृष्ण अपनी प्रिय पत्नी सत्यभामा को साथ लेकर गरुड़ पर सवार हो प्रागÓयोतिषपुर पहुंचे। वहां पहुंचकर भगवान कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के छह पुत्र- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया। दैत्य के वध हो जाने का समाचार सुन भौमासुर अपने सेनापतियों और दैत्यों की सेना को साथ लेकर युद्ध के लिए निकला। भौमासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को सारथी बनाया और घोर युद्ध के बाद अंत में कृष्ण ने सत्यभामा की सहायता से उसका वध कर डाला। इस तरह भौमासुर को मारकर श्रीकृष्ण ने उसके पुत्र भगदत्त को अभयदान देकर उसे प्रागÓयोतिष का राजा बनाया। भौमासुर के द्वारा हरण कर लाई गईं 16 हजार कन्याओं को श्रीकृष्ण ने मुक्त कर दिया। ये सभी अपहृत नारियां थीं या फिर भय के कारण उपहार में दी गई थीं अन्यथा किसी और माध्यम से उस कारागार में लाई गई थीं। सामाजिक मान्यताओं के चलते भौमासुर द्वारा बंधक बनकर रखी गई इन नारियों को कोई भी अपनाने को तैयार नहीं था, तब अंत में श्रीकृष्ण ने सभी को आश्रय दिया और उन सभी कन्याओं ने श्रीकृष्ण को पति रूप में स्वीकार किया। इस तरह से श्रीकृष्ण की 16 हजार रानियां हुईं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MATS UNIVERSITY

ADMISSION OPEN


This will close in 20 seconds