राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल पारित

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH राज्यसभा में सोमवार को दिल्ली सेवा बिल पारित हो गया. यह विधेयक लोकसभा में भी पारित हो चुका है. आज इस पर बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच कई बार गतिरोध हुआ.इस विधेयक के ज़रिए मोदी सरकार उस अध्यादेश को क़ानून बनाना चाहती है, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल के पास दिल्ली में अधिकारियों की पोस्टिंग या ट्रांसफ़र का आख़िरी अधिकार होगा.

पर्ची के जरिए इस बिल पर वोटिंग हुई. बिल के पक्ष में 131 वोट जबकि इसके विरोध में 102 वोट पड़े. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, दिल्ली सेवा बिल इसलिए लाया गया क्योंकि आप सरकार नियमों का पालन नहीं करती है. शाह ने कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियों पर इस विधेयक का विरोध करने के बारे में कहा कि विपक्षी दल सिर्फ़ अपना गठबंधन बचाने के लिए इसका विरोध कर रहे हैं.

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फ़ैसला सुनाते हुए कहा था कि अधिकारियों के ट्रांसफ़र और पोस्टिंग का अधिकार दिल्ली सरकार के पास होना चाहिए. पीठ ने कहा था कि दिल्ली में सभी प्रशासनिक मामलों में सुपरविज़न का अधिकार उपराज्यपाल के पास नहीं हो सकता. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार के हर अधिकार में उपराज्यपाल का दखल नहीं हो सकता.

पीठ ने कहा था अधिकारियों की पोस्टिंग और ट्रांसफ़र का अधिकार लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार के पास होता है और भूमि, लोक व्यवस्था, पुलिस जैसे मामलों को छोड़ कर सर्विस से जुड़े सभी फैसले, आईएएस अधिकारियों की पोस्टिंग (भले ही दिल्ली सरकार ने किया हो या नहीं) उनके तबादले के अधिकार दिल्ली सरकार के पास ही होंगे.

गुरुवार को चार घंटे तक चली बहस के बाद ये विधेयक लोकसभा में पास हो चुका है. लोकसभा में विपक्ष की ओर से वॉक आउट करने के बाद इस विधेयक को ध्वनि मत से पारित कर लिया गया था. अमित शाह ने लोकसभा में कई मामलों का हवाला दिया, जिनमें केजरीवाल सरकार के ख़िलाफ़ सतर्कता विभाग जांच कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद दिल्ली सरकार की चिंता सड़कें, पानी की सप्लाई, सफ़ाई और स्वास्थ्य होना चाहिए था, लेकिन उन्हें सबसे ज़्यादा चिंता सतर्कता विभाग की थी, इन लोगों ने सतर्कता विभाग को इसलिए निशाना बनाया क्योंकि यहाँ कई सारी संवेदनशील फाइलें पड़ी हैं. इस विभाग में शराब नीति के केस की फ़ाइलें हैं, जिसमें दिल्ली के डिप्टी सीएम जेल में हैं. यहां सीएम के आवास को बनाने में मोटे पैसे खर्च करने के मामले की फ़ाइल है, जो उन्हें आने वाले समय में मुश्किल में डाल सकती है.

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