अक्षय तृतीया : न बैंड-बाजे, न बारात, सामाजों के सामूहिक विवाद भी स्थगित
रिपोर्ट मनप्रीत सिंह
रायपुर छत्तीसगढ विशेष : सरकारी शादियां टाली गईं, नहीं होगा 10 हजार जोड़ों का अब गठबंधन । यह दूसरा साल है जब अक्षय तृतीया पर सरकारी की ओर से कराई जाने वाले सामूहिक विवाह टल गए हैं। पिछली बार वजह आचार संहिता और इस बार कोरोना वायरस। इसका असर प्रदेशभर के 10 हजार से ज्यादा जोड़ों पर पड़ेगा, जिन्हें गठबंधन के लिए अब लॉकडाउन खुलने और स्थिति सामान्य होने तक इंतजार करना होगा। इधर, समाजों ने भी सामूहिक आदर्श विवाह रद्द कर दिए हैं। इनमें भी हर साल 5 हजार से ज्यादा जोड़े परिणय सूत्र में बंधते हैं। दरअसल, अक्षय तृतीया 26 अप्रैल को है। यह अबूझ मुहूर्त वाली तिथि होती है। इसीलिए इस दिन सबसे ज्यादा शादियां होती हैं। बहुत से लोग पारिवारिक सदस्यों की मौजूदगी में शादी की तैयारियों में जुटे हुए हैं। अनुमति के लिए कलेक्टर को हर दिन दर्जनभर आवेदन शादियों के लिए मिल रहे हैं। विवाह के मुहूर्त मई और जून महीने में ही हैं। 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी के साथ मांगलिक कार्यों पर 4 महीने के लिए पूर्ण प्रतिबंध लग जाएगा। तैयारी पूरी पर शादी टलने की आशंका : आकाश सिन्हा (बदला हुआ नाम) ने बताया, उनकी बहन की शादी 30 अप्रैल को है। अप्रैल के पहले हफ्ते में ही उन्होंने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर शादी के लिए अनुमति मांगी थी। इसमें वर-वधु पक्ष को मिलाकर 10 से ज्यादा लोगों के शामिल नहीं होने की बात भी लिखी थी, लेकिन अब तक अनुमति नहीं मिल पाई है। अब 8 दिन ही बाकी हैं और घर में तैयारी पूरी है। अनुमति नहीं मिलती है तो उन्हें यह शादी टालनी होगी।
अनुमति के लिए 29 मार्च से इंतजार : अंकुश यादव (बदला हुआ नाम) ने बताया कि 2 तारीख को उनकी शादी धमतरी में होनी है। सिर्फ माता-पिता और भाई-बहन को साथ लेकर जाना चाहते हैं। वो भी इसलिए क्योंकि इनके बिना शादी हो नहीं सकती। कलेक्टर को 29 मार्च को अनुमति के लिए पत्र लिखा था, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं मिली। मई-जून में शादी के ज्यादा मुहूर्त नहीं हैं और लॉकडाउन बढ़ता है तो उन्हें नवंबर तक इंतजार करना होगा।