जब सरकार ने बाबा राम रहीम को कहा दिया न बाबा ना

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रिपोर्ट मनप्रीत सिंह

रायपुर  छत्तीसगढ विशेष : अपनी करतूतों के लिए बदनाम बाबा और डेरा सच्चा सौदा के स्वयंभू प्रमुख गुरमीत राम रहीम का जेल की सलाखों से बाहर आने का सपना एक बार फिर से टूट गया है। बाबा फिर से जेल से बाहर आने की तिकड़म में सफल नहीं हुआ।

दरअसल, कोरोना संकट की आड़ लेकर राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता था। उसने कोर्ट में कोरोना संकट और मां की बीमारी का हवाला देते हुए अपनी मां नसीब कौर से खुद को पैरोल देने के लिए आवेदन किया था,

जिसमें कोरोना से खतरा और मां की बीमारी का हवाला देते हुए पैरोल देने की मांग की गई थी। सुनारिया जेल प्रशासन से होते हुए पैरोल की अर्जी सरकार तक पहुंची। सरकार ने शुक्रवार को जेल प्रशासन की ओर से आए राम रहीम की मां के आवेदन को खारिज कर दिया।

हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद दुराचारी बाबा गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर आने के लिए लगातार तिकड़म करता रहा है। अब सरकार के फैसले से डेरा प्रमुख का सपना फिर टूट गया है, क्योंकि इससे पहले भी वह जेल से बाहर आने के लिए कई बार पैरोल की मांग कर चुका है। राम रहीम तीन सप्ताह की पैरोल चाहता था लेकिन सरकार ने इस बार भी उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
कोरोना संक्रमण के बीच बहुत से बंदी और कैदियों को जेल से छोड़ा गया है। इसका फायदा उठाकर बाबा भी बाहर आना चाहता था। अंततः सरकार ने कह दिया- न बाबा ना।

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