छत्तीसगढ़ के डॉक्टरों का कमाल — हादसे में छाती से बाहर निकला हार्ट व फेफड़ा, टाइटेनियम की पसली बनाकर दिया जीवनदान

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH   :रायपुर, अंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के हार्ट व प्लास्टिक सर्जन की टीम ने सड़क दुर्घटना में चकनाचूर हो चुकी छाती के बाहर आए हार्ट व फेफड़े को बचा लिया। टाइटेनियम की पसली लगाकर क्षत-विक्षत छाती को ठीक किया गया। इससे युवक की जान भी बच गई। यही नहीं क्रिटिकल सर्जरी के बाद भी युवक केवल तीन दिनों में वेंटीलेटर से बाहर आ गया। युवक को स्वस्थ होने के बाद बुधवार को अस्पताल से छुट्‌टी दे दी गई। डॉक्टरों का दावा है कि प्रदेश के किसी भी अस्पताल में छाती की पसली बनाने के लिए ज्यादा टाइटेनियम के प्लेट का उपयोग नहीं किया गया।    

बुधवार को प्रेस कांफ्रेंस में कार्डियो थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी (सीटीवीएस) के एचओडी डॉ. कृष्णकांत साहू ने बताया कि चरोदा भिलाई का 23 वर्षीय युवक की छाती की पसलियां चकनाचूर हो चुकी थी। हादसा इतना भयानक था कि जब युवक अस्पताल पहुंचा, तब उसका हार्ट व फेफड़ा दिख रहा था। छाती की बुरी चमड़ी निकल गई थी। इसलिए इसे रिपेयर करने के लिए डीकेएस के प्लास्टिक सर्जन की मदद ली गई।

बाएं फेफड़े में छेद हो गया था एवं फट गया था, जिसको रिपेयर किया गया। डायफ्रॉम को भी रिपेयर किया गया। इस ऑपरेशन में सबसे बड़ी समस्या घाव को बंद करने की थी, क्योंकि दुर्घटना में छाती की चमड़ी कट कर गायब हो गयी थी। 

ऑपरेशन में लगा चार घंटे से ज्यादा का वक्त : डॉ. साहू ने बताया कि प्लास्टिक सर्जन डॉ. कृष्णानंद ध्रुव ने आसपास की चमड़ी व मांसपेशियों को मोबलाईज करके छाती में आए गेप को भरा। मरीज के ऑपरेशन में जो पसलियां (6-7-8-9-10-11) टूटकर गायब हो गई थीं, उसके स्थान पर नई पसली बनाई गई। पसली बनाने के लिए लगभग 15 से 17 सेंटीमीटर लंबाई की चार टाइटेनियम प्लेट का उपयोग किया गया। ऑपरेशन से पहले घाव को धोकर अच्छी तरह से साफ किया गया क्योंकि फेफड़े के अंदर बहुत ज्यादा मिट्टी एवं कंकड़ घुस गया था। कृत्रिम पसली नहीं लगाई जाती तो मरीज को वेंटीलेटर से बाहर निकालना बहुत ही मुश्किल हो जाता। 

 

 

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