अब 120 एकड़ में बनेगा भव्य और आधुनिक राम मंदिर, दुनिया का तीसरा बड़ा मंदिर होगा अयोध्या राम मंदिर —- अगस्त को PM मोदी जाएंगे अयोध्या, होगा राममंदिर निर्माण का भूमिपूजन
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH :अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण का भूमिपूजन 5 अगस्त को होगा। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है।सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री कार्यालय से संकेत दिए गए हैं कि वे पूर्वाह्न 11 बजे के आसपास अयोध्या पहुंचेंगे और अभिजीत मुहूर्त में भूमिपूजन संपन्न कराएंगे। अभी तक हालांकि प्रधानमंत्री के अयोध्या के कार्यक्रम की आधिकारिक जानकारी घोषित नहीं की गई है
सूत्रों के अनुसार श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास की ओर से मोदी को 3 एवं 5 अगस्त को आने का न्योता दिया गया था। प्रधानमंत्री की ओर से 5 अगस्त की तिथि की पुष्टि की गई है।बताया गया है कि भाद्रपद कृष्ण पक्ष की द्वितीया सह तृतीया तिथि सर्वार्थसिद्धि योग वाली है और पूर्वाह्न 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर सात मिनट के बीच अभिजीत मुहूर्त में भूमिपूजन संपन्न होने की योजना है। कोविड 19 महामारी के कारण भूमिपूजन का कार्यक्रम कई बार टाला जा चुका है
अब 120 एकड़ में बनेगा भव्य और आधुनिक राम मंदिर
100 करोड़ से अधिक होंगे खर्च
नई दिल्ली।अयोध्या में भव्य राम मंदिर दो की बजाय अब तीन मंजिला होगा। धरातल से शिखर तक की ऊंचाई 161 फिट किए जाने के कारण एक तल बढ़ाया गया है। राम मंदिर समेत देश के कई प्रसिद्ध तीर्थों का नक्शा तैयार करने वाले वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा ने शनिवार को ‘हिन्दुस्तान’ से विशेष बातचीत में यह जानकारी दी।सोमपुरा ने कहा कि मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाने के निर्णय और गुंबदों की संख्या तीन से पांच किए जाने के बाद एक मंजिल और बढ़ाना आवश्यक हो गया था। पहले के नक्शे के हिसाब से मंदिर की ऊंचाई 128 फिट प्रस्तावित थी। गुंबद और ऊंचाई के अलावा मंदिर के मुख्य परिसर का क्षेत्रफल भी थोड़ा बढ़ेगा। संतों और ट्रस्ट की इच्छा के अनुसार यह बदलाव किया गया है। तीन मंजिल के आधार पर फाइनल नक्शा भी जल्द तैयार कर लिया जाएगा।
मंदिर परिसर का दायरा भी बढ़ेगा
पहले के नक्शे के अनुसार, नागर शैली के इस मंदिर परिसर क्षेत्र का दायरा करीब 67 एकड़ में रखा गया था, जिसे नए डिजाइन और ऊंचाई की आवश्यकता के अनुसार 100 से 120 एकड़ में विस्तारित किया जा सकता है। मंदिर की रूपरेखा तैयार होने के 15 दिन के भीतर ही नई डिजाइन के अनुसार मास्टरप्लान तैयार हो सकता है।
मंदिर निर्माण में कितनी लागत आएगी?
सोमपुरा ने बताया कि मंदिर के मौजूदा डिजाइन के हिसाब से करीब 100 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगर डिजाइन में बदलाव होता है तो खर्च बढ़ सकता है। लागत इस बात पर भी निर्भर करेगी कि मंदिर को किस समयसीमा में पूरा करना है। निर्माण को समय सीमा में पूरा करने के लिए ज्यादा संसाधन और बजट की जरूरत होगी।
गर्भगृह में कोई बदलाव नहीं होगा
सोमपुरा ने शनिवार को अयोध्या में मंदिर निर्माण के संबंध में हुई एक महत्वपूर्ण बैठक में भाग लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि गर्भगृह, आरती स्थल, सीता रसोई, रंगमंडपम की संरचना में कोई बदलाव नहीं किया गया है। पहले बनाए गए नक्शे के हिसाब से ही इसकी संरचना रहेगी। सोमपुरा ने कहा कि नए राम मंदिर की ऊंचाई बढ़ाई गई है, लेकिन यह भारत में सबसे ऊंचे शिखर वाला मंदिर नहीं होगा। दक्षिण भारत में कई मंदिरों के शिखर की ऊंचाई 200 से 250 फिट से ज्यादा है। जबकि अक्षरधाम समेत कई मंदिरों में पांच गुंबद हैं। द्वारका मंदिर तो सात मंजिला है।
80 हजार घन फुट पत्थर तराशा गया
अक्षरधाम जैसे मंदिरों का डिजाइन तैयार कर चुके सोमपुरा ने बताया कि अब तक 80 हजार घन फुट पत्थर तराशा जा चुका है और करीब इतने ही पत्थर की और जरूरत पड़ सकती है। यह पत्थर बंसी पहाड़पुर से लाया जाएगा। तराशी का कार्य भी भी बरसात के बाद तेज होगा और इसमें हजारों कारीगर लगाए जा सकते हैं।
तय समय पर कार्य के लिए बड़े ठेकेदारों की भी जरूरत
उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण का कार्य तीन से साढ़े तीन साल में पूरा करने के लिए कम से कम पांच-छह बड़े ठेकेदारों की जरूरत होगी। दो मंजिला मंदिर का निर्माण दो-ढाई साल में ही पूरा करने का लक्ष्य था। मंदिर निर्माण कार्य की जिम्मेदारी संभालने वाली स्वदेशी कंपनी लार्सन एंड टुब्रो मिट्टी के परीक्षण लेकर उसकी ताकत को परख रही है। मिट्टी की ताकत के आधार पर नींव का निर्माण 60 से 70 फिट नीचे तक किया जाएगा।
लागत भी बढ़ने का अनुमान
पहले के प्रस्तावित नक्शे के हिसाब से मंदिर निर्माण की लागत सौ करोड़ रुपये आंकी गई, जिसमें भी अब बढ़ोतरी आने का अनुमान है। अगस्त में आधारशिला रखे जाने के बाद बरसात जब बंद होगी तो यह निर्माण कार्य शुरू सकता है। निर्माण जितनी जल्दी शुरू होगा, लागत उतनी ही कम की जा सकती है। आपको बता दें कि चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में मंदिर का नक्शा बनाया था। शिल्पी चंद्रकांत सोमपुरा ने 1987 में विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल के कहने पर राम मंदिर का मॉडल तैयार किया था। इसमें पूरे मंदिर के निर्माण में करीब 1.75 लाख घन फुट पत्थर की जरूरत बतायी गई थी।
अयोध्या में बनने वाले रामंदिर का नक्शा करीब 37 साल पहले बनाया गया था। इस मंदिर को और अधिक भव्य और बड़ा बनाने के लिए इसमें थोड़ा बदलाव किया जा रहा है। पर आपको जानकर आश्चर्य होगा कि विश्व का सबसे विदेश में है। यह कंबोडिया में स्थापित अंकोरवाट मंदिर है। करीब 67 एकड़ में प्रस्तावित अयोध्या के राममंदिर का दायरा भी अब 100 से 120 एकड़ तक हो सकता है। ऐसे में यह बड़े मंदिरों की श्रेणी में तीसरे स्थान पर आएगा। आइए एक नजर डालते हैं विश्व के सबसे बड़े मंदिरों पर है
अंकोरवाट मंदिर
अंकोरवाट मंदिर के शिखर की ऊंचाई 213 फीट है। अंकोरवाट दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक है, जो करीब 162.6 हेक्टेयर यानी 401 एकड़ में फैला है। इसे मूल रूप से खमेर साम्राज्य में भगवान विष्णु का मंदिर के रूप में बनाया गया था। मीकांग नदी के किनारे सिमरिप शहर में बना यह मंदिर आज भी संसार का सबसे बड़ा हिंदू मंदिर है।
श्रीरंगनाथ मंदिर
तमिलनाडु स्थित त्रिची में बना श्रीरंगनाथ मंदिर दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यह विष्णु मंदिर है जो लगभग लगभग 155.9 एकड़ में फैला हुआ है।
अक्षरधाम मंदिर
देश की राजधानी दिल्ली में बना अक्षरधाम मंदिर स्वामीनारायण संप्रदाय के सबसे बड़े प्रतीकों में शुमार है। यह लगभग 2,40,000 वर्गमीटर (लगभग 59.3 एकड़) एरिया में बना हुआ।
थिल्लई नटराज मंदिर
तमिलनाडु के चिदंबरम में बना ‘चिदंबरम मंदिर’ भगवान शिव की आस्था के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। यह लगभग 1,60,000 (लगभग 39 एकड़) वर्गमीटर के क्षेत्र में बना हुआ है।
बेलूर मठ
कलकत्ता के हुगली नदी के किनारे स्थापित बेलूर मठ को दुनिया के विशालतम मंदिरों में गिना जाता है। स्वामी विवेकानंद के बुनियादी सिद्धांतों को आगे बढ़ाने का काम आज भी कर रहा है। यहा मां आद्याकाली की पूजा होती है। यह लगभग 39 एकड़ के क्षेत्र में फैला है।
बृहदेश्वर मंदिर
तमिलनाडु के तंजौर का बृहदेश्वर मंदिर भी विशालकाय मंदिरों में शुमार है। यह शिव मंदिर करीब 1000 साल पहले राजाराज चोला प्रथम के नेतृत्व में बनाया गया था। यह लगभग लगभग 25 एकड़ में स्थित है।
अन्नामलाईयर मंदिर
तमिलनाडु के तिरुवन्नामलाई में स्थित भगवान शिव का यह मंदिर अपने ऊंचे स्तम्भों के कारण बहुत लोकप्रिय है। यह लगभग 24.9 एकड़ में फैला हुआ है।