पति के रिश्तेदार के घर में भी महिला का अधिकार

Read Time:1 Minute, 46 Second

सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष एक और फैसला दिया

अब महिला के लिए घर का मतलब पति के रिश्तेदार का आवास भी

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : बेटियों को संपत्ति में जन्म से ही अधिकार देने के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं के पक्ष में एक और फैसला दिया जिसमें कोर्ट ने कहा है कि घरेलू हिंसा की शिकार महिला के लिए घर का मतलब पति के किसी भी रिश्तेदार का आवास हो सकता है । उसे उनके घर में रहने का अधिकार दिया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने यह टिप्पणी करते हुए घरेलू हिंसा कानून, 2005 की धारा 2 (एस) का दायरा विस्तारित कर दिया। इस धारा में पति के साझा घर की परिभाषा है। इसके अनुसार हिंसा के बाद घर से निकाली महिला को साझा घर में रहने का हक है।

अब तक ये साझा घर पति का घर, चाहे ये किराए पर हो या संयुक्त परिवार का घर जिसका पति सदस्य हो, माना जाता था। इसमें ससुरालियों के घर शामिल नहीं थे। 2007 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि साझा घर में ससुरालियों/रिश्तेदारों के घर शामिल नहीं होंगे, लेकिन अब शीर्ष कोर्ट ने अपने दो जजों की पीठ के इस फैसले को पलट दिया है।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %