कोरोना के खिलाफ पूरी दुनिया जूझ रही है – इसमे एलोपैथ से अधिक कारगर आयुर्वेद की दवाएं, रिसर्च में हुआ खुलासा

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : नई दिल्ली, कोरोना के खिलाफ पूरी दुनिया जूझ रही है। वैक्सीन भी तलाशी जा रही है, लेकिन जब तक इसका पक्का इलाज नहीं मिल जाता, तब तक वैकल्पिक इलाज पर ध्यान दिया जा रहा है। इस मामले में एलोपैथ की तुलना में आयुर्वेद कहीं अधिक कारगर साबित हुआ है। केंद्रीय आयुष मंत्रालय की आर्थिक मदद और तमिलनाडु सरकार के सहयोग से द आर्या वैद्य फार्मेसी (एवीपी) रिसर्च फाउंडेशन कोयंबटूर तथा स्टेनली मेडिकल कॉलेज चेन्नई के संयुक्त क्लीनिकल शोध में यह बात सामने आई है। शोध टीम के निदेशक डा. सोमित कुमार के अनुसार, शोध के दौरान मरीजों के 2 समूह बनाकर यह शोध किया गया। एक समूह को एलोपैथ और दूसरे को आयुर्वेद की दवाएं दी गई थीं। जिन्हें आयुर्वेदिक दवाएं दी गईं, उनके शरीर में लिंफोसाइट तेजी से बढ़ा। इस कारण वे अपेक्षाकृत जल्द स्वस्थ हो गए। डा. सोमित ने यह रिपोर्ट आयुष मंत्रालय को सौंप दी है। 29 जुलाई से शोध प्रारंभ किया गया था। ऐड-आन समूह के 27 सदस्यों ने यह अध्ययन किया है।

शोध के दौरान यह पाया गया कि जिन्हें आयुर्वेद की दवाएं दी गईं, उनके शरीर में लिंफोसाइट तेजी से बढ़ा और एलोपैथ वाले मरीजों की स्थिति स्थिर रही। तकरीबन 15 दिनों के शोध में पाया गया कि 29 फीसदी लिंफोसाइट वाले मरीजों में आयुर्वेद दवाओं के इस्तेमाल के बाद लिंफोसाइट का स्तर 33 फीसदी हो गया। इस कारण वे जल्द स्वस्थ हो गए। डा. सोमित ने बताया कि लिंफोसाइट सफेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार है, जो बोन मैरो (अस्थि मज्जा) में बनते हैं। ये कोशिकाएं शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में अहम भूमिका निभाती है। साथ ही यह शरीर को रोग के वायरस और कैंसर कोशिकाओं से बचाती हैं।

इन दवाओं का हुआ प्रयोग

मरीजों पर इंद्रकांतम कसायम, पंच तिखत्म कसायम, गिलोय, भृंगादि कसायम, द्रक्षादि कसायम, श्वांसानंदम गुलिका, गुड़ुची, अष्टांग चूर्ण, गोरोचनादि गुलिका जैसी औषधियों का प्रयोग किया गया। ये दवाएं 14 तरह के औषधीय पौधों से बनाई जाती है। इनमें छह औषधियों का प्रयोग ज्यादा किया गया है।

मरीजों को दो समूहों में बांटकर किया गया अध्ययन

गंभीर रूप से पीडि़त 54 मरीजों के दो समूहों पर यह अध्ययन किया गया। इनमें 30 को आयुर्वेद समूह में रखा गया, जबकि 24 को एलोपैथ समूह में। एलोपैथ समूह को अंग्रेजी स्टेरॉयड व अन्य दवाएं, जबकि आयुर्वेद समूह को आयुर्वेद की दवाएं दी गईं। इस दौरान आयुर्वेद श्रेणी वाले मरीजों से प्राणायाम भी कराया गया।

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