व्यक्ति जन्म से अपने साथ सत्य के संस्कार लेकर ही आता है – साध्वी सम्यकदर्शना श्री

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : रायपुर, श्री जिनकुशल सूरी जैन दादाबाड़ी में शनिवार को चातुर्मासिक प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत परम पूज्य साध्वी श्री सम्यकदर्शनाश्रीजी महाराज साहब ने कहा कि उत्तम सत्य धर्म विषय पर कहा कि जिन्होंने भी इस उत्तम सत्य धर्म को अपनाया है, निश्चित रूप से अपने परमात्मा स्वरूप को प्रकट किया है। हमारे महापुरूषों ने यह बताया कि शरीरबल, धन बल आदि सब बलों में सत्य का बल चिरकाल तक स्थायी रहता है। यदि किसी को बहुत सुंदर रूप मिला लेकिन आंखों में दृष्टिहीनता है तो शरीर की शोभा भी किसी काम की नहीं, वैसे ही सब कुछ मिला है लेकिन सत्य का बोध नहीं तो सत्य के अभाव में सारे गुण गौण हो जाते हैं। जब बच्चा जन्म लेकर आता है तो वह अपने साथ सत्य को लेकर ही आता है, सत्य उसके संस्कार में विद्यमान होता ही है। बच्चे सच ही बोलते हैं। लेकिन बच्चों के सानिध्य में रहने वाले ही धीरे-धीरे उसे ाूठ या असत्य का परिचय करा देते हैं।साध्वी भगवंत ने आगे कहा कि आगमों में भी सत्य की परिभाषा यही बताई गई है कि निश्चित रूप से सत्य ही भगवान है।

हमारी संस्कृति सत्यम् शिवम् सुंदरम् की संस्कृति है। सत्य ही शिव है और जो शिवत्व यानि मोक्ष को प्राप्त कर ले वह शिव है। वे शिव ही भगवान हैं और वे भगवान ही सुन्दर हैं। सत्य मेव जयते का नारा लगाने का हमारा तात्पर्य भी यही है कि जय सदा सत्य की होती है। कभी-कभी हमें यह लगता है कि सत्ता के सामने सत्य पानी भर रहा है, सत्ता के सामने भले सत्य पानी भरे लेकिन याद रखना कि एक दिन ऐसा भी होगा जब सत्य के सामने सत्ता को घुटने टेकने ही पड़ेंगे। सत्य के बल पर ही हमारी जीत हुई और देश परतंत्रता से मुक्त होकर स्वतंत्र बना। जीत हमेशा सत्य की ही होती है। हां यह जरूर है कि कभी-कभी हमें यह अहसास होता है कि सत्यवादी कितना परेशान हो रहा है। सत्य बोलने वाला परेशान हो सकता है लेकिन पराजित नहीं हो सकता। सत्य ज्यादा काल तक छिपा नहीं रह सकता, वह सबके सामने जरूर आता ही है। सत्य पर अटल, अचल रहने वाला एक दिन भगवान बनकर ही रहता है। क्योंकि चंदन को जितना घिसा जाए सुगंध ही मिलेगी, सोने को जितना तपाएं उतनी चमक मिलेगी। सत्यवादी की यदि मृत्यु भी हो जाए तो उसका नाम अमर ही रह जाता है, वह मधुरस ही देता है। जिसके जीवन में सत्यवादी होने का संकल्प होता है, उसका संकल्प अटल होता है, भले मृत्यु का वरण करना पड़े लेकिन सत्य से विमुख नहीं होउंगा। सत्यवादी राजा हरिशचंद्र ने सत्य के लिए अपने राज्य और पुत्र तक का त्याग कर दिया। सत्य सदा बलवान होता है, और असत्य सदैव कमजोर ही रहता है। सत्य भाषी अपनी एक सत्य बात पर अचल रहता है और असत्य भाषी को बार-बार अपनी बात बदलनी पड़ती है। असत्यवादी को गिरगिट की तरह रंग बदलना पड़ता है। बादल सूर्य को ढंक सकते हैं लेकिन वे सूर्य की प्रभा, प्रकाश, उजाले को कभी नष्ट नहीं कर सकते। बादल जैसे ही हटते हैं, सूर्य अपने प्रकाश से धरती को रौशन कर देता है। ऐसे ही जीवन में सत्य के सामने कभी असत्य के बादल आ सकते हैं, असत्यवादी कभी हावी हो सकता है, लेकिन अंतत: जीत सत्य की होती है। नकली वस्तु का ज्यादा आडम्बर होकर पर भी कभी असली वस्तु का अस्तित्व या महत्व खत्म नहीं हो सकता। उत्तम सत्य धर्म का हम अपने जीवन में अनुसरण करने स्वयं को मिली इंद्रियों का सार्थक सदुपयोग करें। परमात्मा के वचनों को मानना ही सत्य है। निरग्रंथों का प्रवचन ही सत्य है। निरग्रंथ वे हैं जो राग-द्वेष से रहित होते हैं। निरग्रंथों के वचनों को स्वीकार करना ही हमारा उत्तम सत्य धर्म है।

तपस्वी का बहुमान

श्रीऋषभदेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष विजय कांकरिया व कार्यकारी अध्यक्ष अभय भंसाली ने बताया कि अखंड आयम्बिल तप की कड़ी में शनिवार को श्रीमती कांता बरड़िया ने आयम्बिल किया। कल रविवार को श्रीमती पुष्पा बैद का आयम्बिल रहेगा। वहीं अखंड तेला तप के अंतर्गत श्रीमती मधुजी कोठारी का तेला आज संपन्न हुआ। 30 अगस्त से 1 सितम्बर तक श्रीमती पूनम बैद का आयम्बिल रहेगा।

उक्त जानकारी हमे प्रचार प्रसार प्रभारी , तरुण कोचर जी से प्राप्त हुआ है l 

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