चक्रधर समारोह-2024 : प्रसिद्ध अभिनेत्री और विख्यात नृत्यांगना श्रीमती मीनाक्षी शेषाद्रि ने दी घुंघरू को समर्पित मनमोहक प्रस्तुति

भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण

बीस साल बाद सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने शास्त्रीय नृत्य का सफर रायगढ़ की सांगीतिक धरा से फिर से किया शुरू

राकेश और निशा के सूफी गजलों ने बांधा समां

रायगढ़ की सौम्या नामदेव ने तबले की थाप पर दी आकर्षक प्रस्तुति

कथक नृत्यांगना सुश्री दीप माला सिंह ने अपनी मनभावन अदाकारी से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

सुश्री रीति लाल ने अमीर खुसरो के प्रसिद्ध गीत मोसे नैना मिलाई के पर दी कत्थक की मनमोहक प्रस्तुति

जबलपुर की सुश्री अनुष्का सोनी द्वारा सुरीली सितार वादन की दी गई मनमोहक प्रस्तुति

धमतरी की उपासना भास्कर ने शिव स्तुति पर पेश किया मनमोहन कथक नृत्य

विधि सेन गुप्ता ने मां दुर्गा के विहंगम रूप का ओडिसी नृत्य के जरिए किया  प्रदर्शन

रायगढ़, 12 सितंबर 2024

भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण
भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण
भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण
भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण
भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण
भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण
भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का किया भावुक प्रस्तुतिकरण

सुर-ताल, छंद और घुंघरू के 39 बरस के अवसर पर आयोजित चक्रधर समारोह के पांचवी संगीत संध्या में मुम्बई की प्रसिद्ध अभिनेत्री और विख्यात नृत्यांगना सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने घुंघरू को समर्पित करते हुए भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का भावुक प्रस्तुतिकरण किया। इसी तरह रायगढ़ के कला मंच पर संगीत की सुरीली शाम में राकेश और निशा के सूफी गजलों ने समां बांध दिया। वहीं कथक नृत्यांगना सुश्री दीप माला सिंह ने अपनी मनभावन अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। साथ ही धमतरी की उपासना भास्कर ने शिव स्तुति पर मनमोहक कथक नृत्य की प्रस्तुति दी।

कार्यक्रम के पहली कड़ी में रायगढ़ की नन्ही होनहार सौम्या नामदेव ने कथक नृत्य पर आकर्षक प्रस्तुति दी। तबले की थाप एवं अन्य वाद्य यंत्रों की बेहतर संयोजन के साथ कथक नृत्यांगना सुश्री सौम्या नामदेव ने अपनी भाव भंगिमाओं बेहतर तालमेल स्थापित किया। इसी तरह कथक नृत्यांगना दीपमाला ने अपनी मनभावन अदाकारी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।  इंदिरा संगीत कला विश्वविद्यालय खैरागढ़ से स्नातक की उपाधि प्राप्त सुश्री दीप माला सिंह के कथक नृत्य को न केवल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है बल्कि उन्हें कला रत्न सहित अनेक सम्मान से नवाजा गया है। दीपमाला के साथ कथक पर संगत कर रहे थे जिनमें खैरागढ़ से श्री गौतम दास, वाराणसी उत्तर प्रदेश से श्री शिवांशु चौबे, मध्य प्रदेश से श्री अजय कुमार कुशवाहा, जगदलपुर से सितार वादक श्री अखिलेश सेठिया और शक्ति जिले से श्री सौरभ पटेल शामिल थे। समारोह की अगली कड़ी में सुश्री रीति लाल ने अमीर खुसरो के प्रसिद्ध मोसे नैना मिलाई के गीत पर नृत्य और भाव की बहुत ही सुंदर और सुमधुर कत्थक की प्रस्तुति दी जिसने लोगों का मन मोह लिया। छाप तिलक सब छीनी रे तोसे नैना मिलाई के गीत के स्वर अनिलभान भट्टाचार्य और कंपोजिशन अनुरेखा घोष कोलकाता द्वारा दिया गया है। सुश्री रितीलाल को अनेक राष्ट्रीय, अंतराष्ट्रीय पुरुस्कार से नवाजा जा चुका है। सुश्री रीति लाल श्री तरुण शर्मा की शिष्या है।

चक्रधर समारोह की सांगीतिक यात्रा के अगली कड़ी में जबलपुर के सेनिया घराने से संबद्ध सुश्री अनुष्का सोनी द्वारा सुरीली सितार वादन की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। सुश्री अनुष्का सोनी चौथे पीढ़ी की विख्यात प्रतिष्ठित सितार वादिका है। सुश्री अनुष्का सोनी बाल्यावस्था से ही सांगीतिक शिक्षा अपने दादा श्री रूप कुमार सोनी और पिता से तालीम प्राप्त कर रही है। श्री रूप कुमार सोनी अंतर्राष्ट्रीय सीतार वादक है साथ ही प्रसिद्ध बासुरी वादक भी है। सुश्री अनुष्का सोनी ने राज्य स्तरीय युवा महोत्सव ग्वालियर में प्रथम स्थान, संस्कृति मंत्रालय द्वारा आयोजित कला उत्सव में प्रथम स्थान, भारत संस्कृति उत्सव में प्रथम स्थान सहित अनेक पुरुस्कार और सम्मान प्राप्त किए है।

धमतरी की उपासना भास्कर ने शिव स्तुति पर आधारित मनमोहक कथक नृत्य पेश किया। उपासना ने महज 9 वर्ष की उम्र में ही गुरु मनुराज से कथक की बारीकियों को सीख लिया था। उनका कथक नृत्य मुख्यतः राधा कृष्ण के प्रणय पर आधारित है। उपासना ने देश के विभिन्न प्रतिष्ठित कला मंचों पर अपने प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्हें नाट्य नर्तक, नृत्यानुभूति सहित अनेक सम्मान से नवाजा जा चुका है। सक्ती जिले की विधिसेन गुप्ता ने महिषासुर वध एवं मां दुर्गा के विहंगम रूप का ओडिसी नृत्य के जरिए शानदार प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने मानव उद्धारणा जिसमे श्री कृष्ण द्रौपदी के चीरहरण के समय उनकी गरिमा की रक्षा के लिए प्रकट होते हैं। अपने भावों और कुशल अंग संचालन के जरिए बेहतरीन प्रस्तुतीकरण किया। विधिसेन गुप्ता की प्रारंभिक शिक्षा सक्ती जिले में हुई एवं उच्च शिक्षा गुरु घासीदास केंद्र विश्वविद्यालय में प्राप्त किया। इन्होंने अपने गुरु गजेंद्र पंडा से ओडिसी की शिक्षा प्राप्त की। विधिसेन न केवल भारत बल्कि सिंगापुर मलेशिया जैसे देशों में अपने नृत्य का प्रदर्शन कर चुकी हैं।
सांगीतिक यात्रा की अगली कड़ी में मुंबई से आई फिल्म जगत की प्रसिद्ध अदाकारा और भरतनाट्यम की विख्यात नृत्यांगना श्रीमती मीनाक्षी शेषाद्रि ने बहुत ही सुंदर भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी। बीस साल बाद सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि ने शास्त्रीय नृत्य का सफर रायगढ़ की सांगीतिक धरा से फिर से शुरू किया। उन्होंने भरतनाट्यम शैली में पंचदेव आराधना का बेहतरीन प्रस्तुतिकरण किया जिससे चक्रधर समारोह में उपस्थित सभी लोगों के मन में देवी-देवताओं के पांचों रूप का भावविभोर करने वाला रूप प्रस्तुत हुआ। श्रीमती मीनाक्षी शेषाद्रि ने यूएसए से भारत वापसी के बाद आज बीस साल के बाद रायगढ़ की सांगीतिक धरा में भरतनाट्यम की पहली बार प्रस्तुति दी है। उन्होंने भगवान श्री गणेश की स्तुति से आरंभ करते हुए नृत्य और उल्लास का बेहतरीन प्रदर्शन प्रभु नटराज शिव, मां सरस्वती, भगवान शिव के तांडव रूप, देवी के श्रृंगार सुंदरता रूप और मां चंडी के रूप सहित भगवान श्री कृष्ण के रूप का प्रदर्शन करते हुए मंत्रमुग्ध करने वाला पंचदेव आराधना का प्रदर्शन किया। सुश्री मीनाक्षी शेषाद्रि का फिल्मी कैरियर में भी एक अलग पहचान है। इनके भीतर प्रख्यात फिल्मी पर्दे के इतर विशेष सांस्कृतिक संपन्नता है। इन्होंने बाल्यावस्था में तीन साल की उम्र से ही संगीत व नृत्य सीखना शुरू कर दिया था। वे एक, दो या तीन नही बल्कि भरतनाट्यम, कत्थक, ओडीसी और कुचीपुड़ी सहित चार शास्त्रीय विधा में पारंगत है। उन्होंने आज चक्रधर समारोह में ओडिसी और भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति दी। इन्होंने पेंटर बाबू, दामिनी जैसी कई चर्चित फिल्मों में अपनी कला का प्रदर्शन किया है। इन्होंने देश और देश से बाहर भी भरतनाट्यम का कई बड़े मंचों पर प्रदर्शन किया है। उन्होंने राजा चक्रधर समारोह में आए सभी दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि यहां आकर मैं अपने भीतर बहुत ही उल्लास का अनुभव कर रही हूं। राजा चक्रधर समारोह के अवसर पर रायगढ़ जिले में बहुत ही मनोरम वातावरण है। उन्होंने कहा कि मां सरस्वती के आशीर्वाद से ही मैं आपके सामने हूं। आज की तारीख उनके लिए बहुत ही खास है।

रायगढ़ के कला मंच पर संगीत की सुरीली शाम में राकेश और निशा के सूफी गजलों ने समां बांध दिया। प्रेम और रस से परिपूर्ण उनकी गजलों की खुशबू से पूरा परिवेश महक गया। रायगढ़ में जन्में राकेश ने 1996 से अपनी संगीत यात्रा की शुरुआत की। उन्होंने भारत के विभिन्न मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए सूफी का परचम लहराया। राकेश शर्मा को प्रसिद्धि सब टीवी शो के संगीत प्रतियोगिता से मिली। उन्होंने अब्बड मया करथो गीत में बेस्ट प्लेबैक सिंगर का अवार्ड जीता। उनका सूफियाना गीत के प्रति शोध कार्य अभी भी जारी है। उनकी पत्नी श्रीमती निशा शर्मा रायगढ़ राजघराने के राजाराम गुरु की प्रपौत्री हैं और अपने पति श्री राकेश शर्मा के साथ सूफी गायन करती हैं।

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