
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH भारत, चीन और नेपाल में पच्चीस हिमनद झीलों और जल निकायों ने साल 2009 के बाद से अपने जल प्रसार क्षेत्रों में 40 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की है. एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि जल निकायों में आए ये बदलाव पांच भारतीय राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों के लिए गंभीर खतरा हैं. ‘स्टेट ऑफ इंडियाज एनवायरनमेंट 2022 के फिगर्स’ रिपोर्ट में छपे आंकड़े चिंताजनक स्थिति बयां कर रहे जिसके अनुसार 1990 और 2018 के बीच भारत के एक तिहाई से अधिक तटरेखा में कुछ हद तक कटाव देखा गया है. इस मामले में पश्चिम बंगाल सबसे बुरी तरह प्रभावित है, क्योंकि यहां तटरेखा कटाव 60 प्रतिशत से अधिक है. इसमें कहा गया है कि बार-बार चक्रवातों का आना, समुद्र के स्तर में वृद्धि, मानवजनित गतिविधियां जैसे कि बंदरगाहों का निर्माण, समुद्र तट खनन और बांधों का निर्माण तटीय कटाव के कुछ कारण हैं.सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में हर चार नदी-निगरानी स्टेशनों में से तीन में बड़ी जहरीली धातुओं, जैसे- सीसा, लोहा, निकल, कैडमियम, आर्सेनिक, क्रोमियम और तांबे के खतरनाक स्तर दर्ज किए गए हैं. 117 नदियों और सहायक नदियों में फैले एक-चौथाई निगरानी स्टेशनों में, दो या अधिक जहरीली धातुओं के उच्च स्तर पाए गए है. खासकर गंगा नदी के 33 निगरानी स्टेशनों में से 10 में प्रदूषण का स्तर काफी अधिक है.सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) की रिपोर्ट के अनुसार, जिन सात राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खतरा है, वे हैं असम, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, बिहार, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर व लद्दाख. हालांकि, यह सिर्फ जल प्रसार में वृद्धि का विषय नहीं है.
