देश में चौथी तिमाही की विकास दर का आंकड़ा मंगलवार को जारी किया गया – वित्तीय वर्ष 2021-22 की आखिरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.1 फीसदी रही

Read Time:4 Minute, 27 Second

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH नई दिल्ली देश में चौथी तिमाही की विकास दर का आंकड़ा मंगलवार को जारी किया गया. वित्तीय वर्ष 2021-22 की आखिरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 4.1 फीसदी रही है. जबकि पूरे वित्त वर्ष की बात करें तो यह 8.7 फीसदी रही है. देश में लगातार चौथे साल अच्छे मानसून के संकेतों के बीच ये विकास दर शुभ संकेत हैं. हालांकि कोरोना के दो साल में अर्थव्यवस्था के बाद औद्योगिक विकास की रफ्तार दोबारा पटरी पर लौट रही है.मंगलवार को जारी आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि 2021-22 के चौथे क्‍वार्टर में भारतीय इकोनॉमी ने 4.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की इसके फलस्‍वरूप वार्षिक वृद्धि दर 8.7 फीसदी तक पहुंच गई है.मुख्य आर्थिक सलाहकार अनंता नागेश्वरन ने जीडीपी के आंकड़ों पर कहा है कि 4.1 फीसदी की जीडीपी दर (4.1% GDP growth) अनुमान से बेहतर है, जनवरी में ओमिक्रॉन की लहर को लेकर चिंताओं के बीच यह बेहतर है. नागेश्वरन ने कहा कि आयातित सामानों पर बढ़ते दबाव के बीच महंगाई को लेकर दबाव है. वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल के दाम दोबारा 120 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गए हैं. भारत दुनिया भर में आसमान छूती महंगाई के बदलाव से बेअसर नहीं है, लेकिन दूसरे देशों से ज्यादा बेहतर स्थिति में है. हालांकि खाद्यान्न उत्पादन में 1.2 फीसदी की वृद्धि के साथ अच्छे मानसून की संभावनाएं प्रबल हैं. गेहूं खरीद कम रही है, क्योंकि उत्पादन कम हुआ है औऱ निर्यात के रास्ते खोले गए थे. हालांकि खाद्यान्न स्टॉक पर्याप्त मात्रा में है. हालांकि जनवरी से मार्च की अवधि में वृद्धि दर अक्‍टूबर से दिसंबर के 2021-22 के पूर्ववर्ती क्‍वार्टर के 5.4 फीसदी की तुलना में धीमी रही.वर्ष 2021-22 के चौथे क्‍वार्टर के दौरान भारत की आर्थिक वृद्धि दर के धीमी होने के पीछे कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के कारण लगे प्रतिबंध, वैश्विक आपूर्ति में कमी और उच्‍च इनपुट लागत जैसे कारण रहे. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनामी ने कोरोना महामारी जनित मंदी से उबरना शुरू ही किया था कि इस वर्ष जनवरी माह में ओमिक्रॉन वेरिएंट के बढ़ते मामले में प्रतिबंधों को वापस ला दिया. फरवरी माह में यूक्रेन पर रूस के हमले में संकट को और बढ़ाने का काम किया. इससे कमोडिटी प्राइज बढ़ी और आपूर्ति भी प्रभावित हुई.राष्‍ट्रीय सांख्यिकी कार्यालस (NSO)की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, वित्‍त वर्ष 2020-21 की इसी जनवरी से मार्च की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2.5 फीसदी की वृद्धि हुई थी. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2021-22 के पूरे साल में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 8.7 प्रतिशत रही जबकि इसके पहले वर्ष 2020-21 में अर्थव्यवस्था में 6.6 प्रतिशत की गिरावट आई थी.हालांकि मार्च 2022 में समाप्त वित्त वर्ष का वृद्धि आंकड़ा एनएसओ के पूर्वानुमान से कम रहा है. एनएसओ ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में इसके 8.9 प्रतिशत रहने की संभावना जताई थी.

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %