छत्तीसगढ़ में होगी करोना की रेंडम जांच – CM भूपेश
रिपोर्ट मनप्रीत सिंह
रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने आज दिल्ली के पत्रकारों को संबोधित किया, इस दौरान उन्होने कहा कि आज पूरी दुनिया एक कठिन दौर से गुजर रही है और इसमें भारत भी शामिल है। भारत में भी अभी कोरोना का प्रकोप चरम पर है और हम सब उससे चिंतित भी हैं, बहुत से हमारे परिचित प्रभावित भी हैं और इसके लिए केन्द्र सरकार और राज्य सरकार ने अलग-अलग ढंग से तैयारी शुरु की है।
राज्य सरकारों ने अपनी-अपनी तैयारी की, लेकिन हमारे यहाँ छत्तीसगढ़ में हम लोगों ने जो शुरुआत की, माननीय राहुल गांधी जी ने जो हमारे पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, उन्होंने चिंता जाहिर की और तब से हमने इसकी तैयारी शुरु कर दी थी। सबसे पहले हम लोगों ने जो फैसला लिया 13 मार्च को कि चाहे आंगनवाडी हों, चाहे प्राइमरी स्कूल हों, मिडल स्कूल हों, कॉलेज हों, शापिंग माल हों, टॉकिज, इन सबको हमने बंद किया और इसके साथ-साथ मंत्रालय को भी हमने बंद किया और सभी अधिकारियों से कहा कि आप अपने घरों से ही काम संचालित करें, बहुत आवश्यक हो तभी किसी कर्मचारी को अपने निवास या ऑफिस बुला कर काम करें।
इस प्रकार के निर्देश 13 मार्च को ही दे दिए गए थे। 15 मार्च को सबसे पहला टेस्ट हुआ और 18 मार्च को पहला पॉजिटिव केस हमें मिला, उसी दिन से पूरे प्रदेश में धारा 144 हमने लागू कर दी थी और 21 मार्च को हमने पूरे प्रदेश में लॉक डाउन कर दिया था, पूरे शहरों को। 18 तारीख को जब पहला केस मिला, तो उसी समय वहाँ जिस एरिया में वो पहला मरीज लिया, उस एरिया को हमने सील कर दिया था, किसी को भी आने-जाने की अनुमति नहीं थी और एक–एक को चैक करना शुरु किया।
दो दिन बाद हमें तीन और केस मिले और केस हिस्ट्री हमने देखी तो उसमें मैक्सिमम मरीज जो हमें मिल रहे हैं वो यूके से यात्रा करके लौटे हैं, वो पॉजिटिव मिले। हमारे यहाँ छत्तीसगढ़ में कई सौ व्यक्ति विदेश यात्रा करके लौटे थे, उन्हें तुरंत तत्काल क्वारेंटांइन में रखा और उसके बाद जो यूके से आए थे, हमारे पास टेस्टिंग किट सीमित था, तो सबसे पहले हमने निर्णय लिया, क्योंकि ट्रेंड दिखाई दे रहा था कि यूके से आए ज्यादा मरीज मिल रहे हैं, हमें 90 लोग मिले और सभी 90 लोगों की हमने जांच की। हमारे यहाँ सबसे विशेष बात ये रही है कि जहाँ ये कहा गया कि 21 दिन में या 14 दिन में कोरोना का प्रभाव, चेन खत्म हो जाता है, लेकिन हम देखा कि जिनको कोई सिम्टमस नहीं था, उसकी भी जांच की, तो वो भी पॉजिटिव मिला।
एक केस है जो 18 दिन तक क्वारेंटांइन में रहा, उसमें कोई सिम्टमस नही था, फिर भी पॉजिटिव मिला। एक केस जो फरवरी में जो विदेश यात्रा करके यात्री लौटा था, उसका भी टेस्ट किया गया तो 2 महीने बाद वो पॉजिटिव मिला। इस प्रकार हमने देखा कि बिना सिम्टमस के भी कोरोना कैरियर के रुप में लोग हैं। उसके बाद जितने भी उसके परिवार के लोग हैं, उन सबको भी क्वारेंटांइन में रखा। अभी छत्तीसगढ़ में कुल 76,000 लोग होम क्वारेंटांइन में हैं, क्वारेंटाइंन में भी लोग हैं, लेकिन होम क्वारेंटांइन में उनकी पूरी देख-रेख से संबंधित थानेदार है, हेल्थ वर्कर हैं, महिला विकास विभाग के जो कर्मचारी हैं, नगर निगम के कर्मचारी लगातार मॉनिटिरिंग कर रहे हैं कि वो अपने घरों निकल रहे हैं या नहीं, पड़ोसियों को भी बता दिया गया है। उसके साथ-साथ सबसे पहला काम हमने किया है, अपनी जो सीमा है उसको सील कर दिया।
आपको जानकारी होगी कि छत्तीसगढ़ 7 राज्यों से घिरा हुआ है और बॉम्बे हावड़ा जो मुख्य हमारा सड़क और रेल मार्ग दोनों हैं, रेल मार्ग को हम नहीं रोक सकते, लेकिन सड़क मार्ग को हमने सबसे पहले सील किया, सातों राज्यों की जो सीमा है, उसको हमने सील कर दिया, उसके कारण से कोई भी बाहरी व्यक्ति यहाँ नहीं आ सकता और यहाँ से व्यक्ति बाहर नहीं जा सकता और तत्काल किया। फिर हमने जिलों को सील किया और जिला बंदी के बाद लगातार मीडिया के माध्यम से हम लोगों को जागरुक करते रहे, संदेश भेजते रहे। उसका असर ये हुआ कि गांव में, मान लीजिए किसी गांव नें तीन सड़क हैं, तो तीनों सड़कों पर उन्होंने बैनर टांग दिए, स्वयं होकर और बैरियर लगा दिए, खंबे गाड़ दिए और गांव में ये तय कर दिया कि कोई आदमी बाहर नहीं जाएगा और कोई आदमी अंदर नहीं आएगा।
आपको आश्चर्य होगा कि बस्तर में हमारे यहाँ पर मुर्गा लड़ाई का जो बाजार लगता है, जो बहुत प्रसिद्ध है, हर परिस्थिति में आज तक के इतिहास में वो कभी बंद नहीं हुआ, ये पहली बार है कि बस्तर के आदिवासियों ने मुर्गा लड़ाई का बाजार बंद किया हुआ है और गांव के लोगों की जागरुकता इतनी रही है, उनकी व्यवस्था इतनी मजबूत है कि जो भी लोग कमाने-खाने बाहर गए हैं, उनको गांव से बाहर रखा गया, खासकर जो तेलंगाना है और आंध्र प्रदेश में अभी मिर्च की खेती हो रही है, वहाँ तोड़ने जा रहे थे, लेकिन जब पता चला कि इस प्रकार से बीमारी होने की संभावना है, तो गांव के ही लोगों ने गांव के बाहर, स्कूल में, आश्रम में उन्होंने उनके भोजन और रहने की व्यवस्था कर दी, लेकिन गांव में उन्होंने प्रवेश नहीं होने दिया।
ग्रामीण क्षेत्र में लॉक डाउन का जबरदस्त प्रभाव रहा है। इसके बाद जो परिस्थिति उत्पन्न हुई, सबसे पहला काम ये हुआ कि सब्जियों के दाम एकदम से बढ़ने लगे, तत्काल हमने फैसला किया कि सब्जी मार्केट को शुरु करना होगा, लोगों को सब्जियां उपलब्ध करानी होगी और जो बाड़ी है, वहाँ तोड़ने की व्यवस्था हो और उसकी ट्रांसपोटेशन की व्यवस्था की हमने शुरुआत की। दूसरे दिन उसमें 50 से 70 प्रतिशत की कमी आई। आज छत्तीसगढ़ में जितना भी सब्जी का उत्पादन होता है, उनके रेट, पहले जैसे ही दर में बिक्री हो रही है। उसके बाद आटा मील बंद हो गए थे, राशन की परेशानी हो रही थी, तो आटा मील शुरु किए, दाल मील शुरु किए, सभी जिलों में वितरण का काम शुरु किया।
आपको मैं बताना चाहूंगा कि हमारे यहाँ छत्तीसगढ़ में लगभग 65 लाख राशन कार्ड हैं, जिसमें 56 लाख गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यापन करने वाले लोग हैं और उन्हें हमने 2 महीने का राशन मुफ्त देने का फैसला किया है। एक महीने में हम 35 किलो चावल देते थे, जिसका अर्थ ये है कि 70 किलो चावल हमने एक साथ दिए और कल तक का जो डेटा है उसमें 40 लाख परिवार वो चावल उठा चुके हैं। उसी प्रकार से गांव में बहुत सारे ऐसे लोग हैं, जिनके पास राशन कार्ड नहीं हैं, तो उनके लिए प्रत्येक पंचायत में 2 क्विंटल चावल हमने रखा ताकि जरुरतमंद लोगों को सरपंच वहाँ उपलब्ध करवा सके।
शहरी क्षेत्र में भी इस प्रकार की समस्या आई, जो मजदूर हैं, उसके लिए बड़ी समस्या थी और तत्काल हम लोगों ने लॉक डाउन से पहले ही सभी उद्योगपतियों से बात कर ली थी कि जो भी आपके मजदूर हैं, उनकी आप 1 महीने की तनख्वाह देंगे और उनके रहने-खाने, पीने और राशन की व्यवस्था करेंगे। शुरुआत में करीब 39 लाख मजदूरों की व्यवस्था हमारे उद्योगपतियों और व्यवसायियों ने की और इसी कारण से हमारे छत्तीसगढ़ में मजदूर सड़कों पर दिखाई नहीं दिए।
जो मजदूर दूसरे प्रदेश के थे, या फिर एक जिले से दूसरे जिले के जो मजदूर थे, उनकी भी व्यवस्था हमने की और लगभग 10 हजार ऐसे लोग हैं, जिनको हमने आश्रय में रखा है और उनके भोजन-पानी की व्यवस्था हम लोग लगातार कर रहे हैं। बिजली बिल भरने में भी दिक्कत हो रही थी, हमने कहा कि लाइन लगेगी, भीड़ बढ़ेगी इसलिए 2 महीने का, जो आधे कीमत में जो बिजली हम दे रहे हैं, उसमें छूट हमने दी और दो महीने बाद एकसाथ वो भर सकेंगे। आठवीं-नवमी और ग्यारवीं के बच्चों को प्रमोशन दिया। जो बच्चे आंगनवाड़ी में थे, रेडी टू इट, उनको घर में पहुंचा कर दिया, जो मध्यमवर्ग में प्राइमरी और मिडल स्कूल के बच्चे थे, उनको सूखा राशन हमने स्कूलों में उनके पालकों को बुलाकर स्कूलों में वितरीत करने का काम किया।
साथ ही में समाज सेवी संगठनों का भी हमने सहयोग लिया और बड़ी संख्या में लोगों ने सहायता की, बढ़-चढ़ कर लोगों ने हिस्सा लिया और प्रतिदिन लगभग ढाई लाख लोगों को वो भोजन करा रहे हैं। सूखा राशन वितरण करने का काम भी हमने किया है – उसमें 5 किलो चावल, 2 किलो आटा, शक्कर, नमक, मसाले, आलू, प्याज इस प्रकार के उस पैकेट में रहता है। हमने देखा कि बहुत सारे अब जो बड़े संगठन हैं, उन्होंने सहयोग दिया है, नकद भी दिया है और हमें राशन भी दिया है।
लेकिन जो मध्यम आय वर्ग के लोग भी हैं, वो भी सहयोग करना चाहते थे, तो हम लोगों ने डोनेशन ऑन व्हिल, एक नया प्रोजेक्ट शुरु किया, रायपुर में 6 गाड़ी से हमने शुरुआत की और कल दो दिन में करीब ढाई हजार लोगों ने 17 हजार पैकेट हमें दान में दिए। जो भिखारी हैं, मजदूर हैं, जो रोज कमाते-खाते हैं, उनके लिए सामाग्री वितरण करने का काम किया जा रहा है।छत्तीसगढ़ में अभी के समय में कल ही एक और कोरोना वायरस मरीज मिला, तो कुल मिलाकर 11 मरीज हुए और 9 मरीज जो हैं, वो स्वस्थ होकर घर वापस जा चुके हैं, एक मरीज है वो भी स्वस्थ है और बहुत जल्दी वो भी डिस्चार्ज हो जाएगा। एक 11वां कल रात मिला, जिस एरिया में मिला, वहाँ पूरी तरह से हमने लॉक डाउन किया हुआ है, वो किस-किस से मिला, उसकी हिस्ट्री पूरी ले रहे हैं, उन सबकी जांच हम करा रहे हैं। अभी जिस प्रकार से राहुल जी ने निर्देश दिया है कि हमें रेंडम सैंपल लेना है, उसके लिए भी आदेश दे दिया गया है और बहुत जल्दी वो रेंडम सैंपल का काम शुरु हो जाएगा।