प्रशासन के नियम कानूनों को एक तरफ करते हुए — लॉक डाउन की आड़ में M M I हॉस्पिटल द्वारा लोगो की मज़बूरी का फायदा उठाते लूटमार
रिपोर्ट मनप्रीत सिंह
रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : कोरोना का कहर थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। यह खतरनाक वायरस देश में करीबन 200 लोगों की जान ले चुका है जबकि कितने ही संक्रमित है। इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कोरोना की जांच को लेकर निजी लैब द्वारा लिए जा रहे 4,500 रुपए को लेकर कहा है कि ये अपनी मनमानी से पैसे नहीं वसूल सकते। राज्य सरकार को इसकी जांच मुफ्त में करनी है
ऐसी विषम् परिस्थिति में एक ओर जहा राज्य शासन की जितनी सराहना की जाये वो कम है , दूसरी ओर राज्य एवं माननीय सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशो की अव्वेलना करते हुए M M I हॉस्पिटल ने आज सारी हदे पार कर दी है , M M I हॉस्पिटल एक ऐसा ही मोकापरास्त हॉस्पिटल है जो इस समय नाजायज फायदा उठा रहा है लोगो को मन मानी बिलिंग कर उन्हें आर्थिक एवं मानसिक रूप से परेशांन कर अपनी जेब भर रहा है , और पते की बात ये है की ये सब प्रशासन की नाक के निचे हो रहा है , अभी इसी सिलसिले में एक केस जो की सीमा सलूजा के नाम से आया है इसमें हॉस्पिटल प्रशासन ने सभी हदे पार कर दी , उन्होंने पक्का बिल पेशेंट को नहीं दिया उनके बार बार बोलने पर भी उन्हें प्रोविशनल बिल दिया गया , और उस बिल को देख कर आप सब भी आचार्य करेंग़े जिसमे , पेशेंट द्वारा एक्चुअल 2.5 दिन हॉस्पिटल में रुखा , उस से 04 दिन का प्राइवेट रूम रेंट के अलावा 700 प्रतिदिन हॉस्पिटल रूम क्लेनिंग चार्ज कोविड-19 के नाम से , 250 /- सनिटीज़र प्रतिदिन कोविड-19 के नाम से , एडमिशन चार्ज , डॉ के एंटी
एप्रन कोविड-19 के नाम से ( ड्रेस) का 7000 , और खाने का घर का पास होने के बाद भी पेशेंट से उसका भी चार्ज लिया गया , जब की पेशेंट ने एक भी टाइम हॉस्पिटल का खाना खाया नहीं
और ऐसी ऐसी दवाइया का पैसा लिया गया जिसका दूर दूर तक पेशेंट से सम्बन्ध नहीं वो सब ,अमानवीय तरीके से लिया गया पेशेंट से पहले 30000 /- एडवांस लिया गया , फिर बाकि का 17000 के लिए दबाव डाला गया , जिसमे वहा के स्टाफ द्वारा बदसलूकी भी की गयी और धमकी भी दी गयी लॉक डाउन के समय ये आमानवीय हरकते कहा तक शोभनीय एवं उचित है
उक्त विषय में आज विभागीय मंत्री टी. एस. बाबा जी को भी पत्र दिया गया है , विभाग द्वारा बोला गया है की लॉक डाउन के इस विषम परिस्थिति में M M I द्वारा ये सब आमानवीय है , एवं हॉस्पिटल द्वारा प्रदेश सरकार एवं सुप्रीम कोर्ट के फासले को दर किनारे करते हुए जो कृत किया है उसका उसे हिसाब देना होगा ,मंत्री महोदय से निवेदन है की पेशेंट का जायज पैसा ले कर बाकि का पैसा पेशेंट को रिफंड कराया जाये , एवं ऐसा हॉस्पिटल जिसे प्रसासन के नियम कानूनों की चिंता न हो उसका लाइसंस रद्द किया जाये , उक्त लेख केंद्रीय प्रशासन को भी भेजा जायेगा , पेशेंट द्वारा आज राज्य के स्वास्थय मंत्री जी को पत्र दिया गया करवाई हेतु