46 डॉक्टर परीक्षा मे फेल , 34 अपात्र , नहीं कर सखेगें सोनोग्राफी , फिर से देनी होगी पीसीपीएनडीटी परीक्षा , सोनोग्राफी करते पकडे जाने पर होगा कार्यवाही

रिपोर्ट मनप्रीत सिंह

रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : छत्तीसगढ़ के करीब डेढ़ दर्जन निजी अस्पताल के डॉक्टर पीसीपीएनडीटी परीक्षा में फेल हो गये हैं जिसके बाद ये चिकित्सक अल्ट्रासाउंड सोनोग्राफी नही कर सकेंगे. अधिकांश डॉक्टर निजी अस्पतालों से जुड़े हैं या संचालित कर रहे हैं. सोनोग्राफी करते पकड़े जाने पर कार्यवाही भी होगी.

सूत्रों के मुताबिक फेल हुए या अपात्र हुए डॉक्टरों को सोनोग्राफी अल्ट्रासाउंड या एक्सरे करने एवं मान्यता लेने के लिए फिर से नीट का परीक्षा देना होगा. आवश्यक छह माह के कोर्स के साथ डेढ़ साल का अनुभव होना बेहद जरुरी है. अपात्र होने बाद भी यदि किसी डॉक्टर के द्वारा अल्ट्रासाउंड, अल्ट्रा सोनोग्राफी, एक्सरे करते पाए गए तो कड़ी कार्यवाही की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद संचानालय चिकित्सा शिक्षा ने सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे यानि पीसीपीएनडीटी परीक्षा के लिए आवेदन पुरे प्रदेश भर के डॉक्टरों से मंगाए थे जिसमे कुल 86 आवेदन संचानालय में प्राप्त हुए थे जहाँ पर डीएमई के द्वारा गठित समिति ने इन अस्पताल संचालकों के दस्तावेजो की स्क्रूटनी की थी जिसमें 63 डॉक्टरों को पात्र पाया गया था. उसके बाद संचालनालय ने 23 डॉक्टरों के दस्तावेज सत्यापन के लिए समय सीमा निर्धारित की थी. उनमे से 14 डॉक्टर पात्र पाए गये एवं 9 डॉक्टर अपात्र हो गये थे.

इस प्रकार से कुल 77 डॉक्टरों के दस्तावेज सत्यापन के पश्चात पात्र पाए गये थे जिनका थ्योरी की परीक्षा 9 फरवरी को मेडिकल कालेज में आयोजित की गयी थी. इस परीक्षा में 43 डॉक्टर प्रेक्टिकल परीक्षा के लिए पास हो गये, लेकिन 26 डॉक्टर फेल हो गये हैं तो वहीं 8 डॉक्टर एन के टावरी, रीता अग्रवाल, आर सी अग्रवाल, हरख बहादुर कालिकोठी, सुरेश तिवारी, नितिन जैन, और हरिकृष्णा ने थ्योरी की परीक्षा दी ही नही. इस वजह से 34 डॉक्टर सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, के लिए पहले ही अपात्र हो गये हैं.

विभागीय सूत्रों के मुताबिक थ्योरी परीक्षा में पास हुए इन डॉक्टरों का प्रेक्टिकल परीक्षा 24 एवं 25 फरवरी को अम्बेडकर अस्पताल के रेडियो डायग्नोसिस विभाग में आयोजित किया गया था जिसमें 26 डॉक्टर पास हो गये हैं. अब यह डॉक्टर सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे के लिए स्वास्थ्य विभाग से पंजीयन करा सकेंगे एवं सुप्रीम कोर्ट के गाईड लाईन के अनुसार वैधता भी मिल जाएगी. फेल हुए या परीक्षा नही दिए हुए डॉक्टर सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे  नही कर सकेंगे और न ही उनका पंजीयन किया जायेगा.

क्या है पीसीपीएनडीटी एक्ट
केंद्र सरकार ने 1994 में कन्या भ्रूण हत्या व गिरते लिंगानुपात को रोकने के लिए पीसीपीएनडीटी एक्ट संसद में पास किया था। यह कानून 1996 से लागू किया गया है। इस अधिनियम में प्रसव पूर्व लिंग परीक्षण करना गैर कानूनी है। प्री नेटल डायग्नोस्टिक टेक्निक ‘पीएनडीटी’ एक्ट के तहत जन्म से पूर्व शिशु के लिंग की जांच पर पाबंदी है। ऐसे में अल्ट्रा साउंड या अल्ट्रा सोनोग्राफी कराने वाले जोड़े या करने वाले डाक्टर, लैब कर्मी को तीन से पांच साल तक की कैद हो सकती है। यही नहीं 10 हजार से लेकर एक लाख रुपए जुर्माने का भी प्रावधान है। बिना ट्रेनिंग सोनोग्राफी कर रहे एमबीबीएस व दूसरे डॉक्टरों को सुप्रीम कोर्ट ने अवैध माना है.

वर्सन
फेल हुए या अपात्र हुए डॉक्टरों को सोनोग्राफी अल्ट्रासाउंडया एक्सरे करने एवं  मान्यता लेने के लिए नीट का परीक्षा देना होगा आवश्यक छह माह की कोर्स के साथ डेढ़ साल का अनुभव होना बेहद जरुरी है. अपात्र होने बाद भी यदि किसी डॉक्टर के द्वारा अल्ट्रासाउंड, अल्ट्रा सोनोग्राफी, एक्सरे करते पाए जाने परकड़ी कार्यवाही की जाएगी
डॉ. एस.एल.आदिले, संचालक, संचानालय चिकित्सा शिक्षा

फेल होने वाले डॉक्टर्स की सूची

फेल हुए डॉक्टर में अपूर्व अग्रवाल, ललित कुमार अग्रवाल, देवानंद अग्रवाल, राजीव लोचन शर्मा, भोजराज मोहनानी, श्रेष्ठा मिश्रा, ज्योत्सना मिश्रा, ओमप्रकाश श्रीवास्तव, मनीषा जेठानी, जार्ज फिलोमिना, दीनदयाल साहू, राजीव कुमार रमन, छवि जांगडे, भास्कर प्रसाद, शिखर गुप्ता, और मंजीत सिंग चंद्रसेन पंद्रह ऐसे डॉक्टर हैं जिसे संचानालय चिकित्सा शिक्षा ने सोनोग्राफी, अल्ट्रासाउंड, एक्सरे, करने के लिए अपात्र घोषित हो गये हैं . अपात्र हुए डॉक्टर बिना छह महीने के  ट्रेनिंग एवं परीक्षा पास किये बगैर अल्ट्रासाउंड, सोनोग्राफी, एक्सरे नही कर सकेंगे .

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