लॉकडाउन ने बढ़ाई शिक्षकों की मुसीबत — सरकार के आदेश से मंडरा रहा नौकरी पर खतरा

रिपोर्ट मनप्रीत सिंह 

रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : कोरोना संक्रमण की वजह से पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति है। देश के सभी शैक्षणिक संस्थान भी बंद हैं। निजी संस्थानों में भी ताले लटके हैं। बिहार से हर्ष है तो प्रायवेट स्कूल के शिक्षकों को नौकरी जाने का खतरा सता रहा है। दरअसल बीते कुछ दिनों पहले बिहार शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मार्च और अप्रैल की फीस नहीं लेने का आदेश जारी किया है। इस आदेश के बाद स्कूल एसोसिएशन से लेकर स्कूल प्रशासन मेंअसमंजस की स्थिति है। निजी स्कूल एन्ड चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष समाइल अहमद ने तो सीएम नीतीश कुमार को पत्र लिखकर उक्त आदेश वापस लिए जाने की मांग की है। समाइल अहमद ने शिक्षा विभाग के इस आदेश को तुगलकी फरमान बताते हुए अभिभावकों से भी गुहार लगाई है, कि राज्य के 25000 प्राइवेट स्कूलों के 5 लाख शिक्षकों के भविष्य को देखते हुए फीस का जरूर भुगतान करें , सरकार के इस आदेश से टीचर भी सहमत नहीं हैं। प्रायवेट शिक्षक भी सरकार से आदेश को वापस लेने की मांग कर रहे हैं । शिक्षकों का कहना है कि बच्चों की फीस से ही शिक्षकों का वेतन मिलता है ऐसे में शिक्षक की न सिर्फ माली हालत खराब होगी बल्कि नौकरी भी खतरे में पड़ जाएगी।
वहीं इससे इतर सरकार के इस फैसले को अभिभावक बच्चों के हित में बता रहे हैं। अभिभावकों की मानें तो ये डर बना है कि सरकार के आदेश के बाद भी स्कूल प्रशासन फीस माफ करेगा या नहीं। बता दें कि प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रणजीत कुमार सिंह ने 3 दिनों पहले ही आदेश जारी किया था कि राज्य के सभी निजी स्कूल मार्च और अप्रैल का फीस नहीं लेंगे साथ ही ट्रांसपोर्टेशन चार्ज भी नहीं ले सकेंगे।

फीस वसूलने ऑनलाइन क्लास ले रहे स्कूल

शिक्षा विभाग ने वैसे स्कूलों को फीस लेने की अनुमति दी है जो ऑनलाइन क्लास लगा रहे हैं, लेकिन सच्चाई ये है कि आरटीई के तहत पढ़ाई कर रहे 25 प्रतिशत बच्चे ऑनलाइन क्लास से वंचित हैं तो राज्य के 40 प्रतिशत स्कूलों में ऑनलाइन क्लासेज की समुचित व्यवस्था नहीं हो सकी है।

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