लोक डाउन स्पेशल , द्वारा बलवन्त सिंह खन्ना- सादा जीवन उच्च विचार एवं कार्य

रिपोर्ट मनप्रीत सिंह

रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : लॉक डाउन के समय हमे  सादा/स्वस्थ्य जीवनशैली को बेहतर करने के लिये काम करना होगा । हमारे लिये आदतों को पैदा करना आसान है लेकिन उन्हें खत्म या बदलने में बहुत मेहनत लगती है। सादी जीवनशैली के महत्व पर अक्सर जोर दिया जाता रहा है लेकिन कई लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते हैं। यहां तक ​​कि जो लोग इसे अपने जीवन जीने में सुधार करने के लिए पालन करने की योजना बनाते हैं उनकी संख्या अक्सर कम ही होती है क्योंकि ऐसा करने में बहुत दृढ़ संकल्प लगता है। कोरोना के महामारी ने पुरे विश्व के लोगो का दिनचर्या बदल दिया है। हम अपने-अपने घरो में मानो नजरबन्द कैदी हैं। यह वायरस मानव निर्मित है, या प्राकृतिक है,यह अभी तक स्पष्ठ नहीं हो पाया और यह अभी चर्चा का विषय भी नहीं। अभी मुख्य विषय है यह वायरस का तोड़ खोज पाना जिसपर पुरे विश्व के विद्वान लगे हैं। अगर यह वायरस प्राकृतिक है तो निश्चय ही मानव जीवन नें प्रकृति का  बेतहासा दोहन किया है या नुक्सान पहुचाया है। इसपर कोई दो राय नही की पर्यावरण पर मानव जीवन का क्या प्रभाव पड़ा है। कई पर्यावरणविदो ने अनेको बार खेद व्यक्त किया है, विरोध दर्ज किया है प्रकृति का  हो रहे दोहन के खिलाफ। बढ़ते जलवायु परिवर्तन के ऊपर अनेक राष्ट्र के लोग अपनी चिंता जताई हैं लेकिन हम फिर भी नहीं चेते और आज देखिये शायद यह प्रकृति का ही बदला हो आज पूरा मानव जीवन घरो में बंद हैं। और पर्यावरण मानो खुसिया मना रही हो। भारत का सबसे प्रदूषित शहर में आने वाला दिल्ली शहर का भी वातावरण आज बेहद साफ-सुथरा है। निश्चित ही हम इस विषम परिस्थिति से लड़कर बाहर निकलेंगे। लेकिन तब तक हमारा जीवन शैली में अनेक बदलाव आना स्वभाविक है।

              भारत आज भी गांवों में बस्ता है और गांवों की एक खासियत यह है की गांव में वस्तु-विनिमय का चलन वर्षो से चला आ रहा है। गांवों में पहले दैनिक उपयोग के सामग्री में केवल नमक को बस बाहर से लाया जाता था । शेष आवश्यक सामग्री गांवों में ही उपलब्ध हो जाया करते थे।  प्रत्येक परिवार में किसी न किसी सामग्री का उत्पादन या निर्माण होता था,अनाज हो, मसाले हो, हथकरधा कपडे हो अन्य सभी जरुरी सामना ग्राम स्तर में ही उपलब्ध होती थी। इसके लिये हमे बाहर बाजार पर निर्भर होने की कभी आवश्यकता ही नहीं पड़ी। इसलिये अभी जब पुरे देश में लॉक डाउन किया गया तो ग्रामीण अंचल में फिर से वही पुराने दिन याद आने लगे जो वर्तमान वैश्वीकरण के चलते विलुप्त के कगार पर आ खड़ी थी। आज ग्रामीण शहरी हर व्यक्ति बाजारीकरण पर निर्भर है। हर चीज हमे बाजार से खरीदना है निम्न हो, माध्यम हो या फिर उच्च वर्ग। किसान मजदुर हो या व्यवसायी-उद्योगपति हर कोई बाजार पर निर्भर हैं। आज ऐसा लगता है मनो प्रकृति ने हमारा पुराना दिन, पुराना संस्कृति याद दिला रहा हो कि हे मानुस तुम प्रकृति से बढ़कर नहीं हो अगर अपना जीवन चलायमान रखना है तो प्रकृति की पूजा करो और प्रकृति के साथ चलो। पिछले कुछ दशको में हमने प्रकृति का बेतहाशा दोहन किये हैं निर्माण के नाम पर हमने लाखो पेड़ो की क़ुरबानी दी है। निर्माण के नाम पर लाखो रकबा कृषि भूमि को हमने खो दिया है। वक़्त ने आज हमे अपने ही घरो में बंद कर के यह सोचने पर मजबूर किया है कि हमे सादगी जीवन शैली को ही अपनाकर रखना होगा। आज भी जब शहर बंद हुई तो लोग अपने-अपने गांवों की ओर भागे जहाँ सुकून है, जहाँ हमारे अपने है। इस महामारी से अवश्य ही विजयी तो होंगे लेकिन आगे बढ़ने के लिये हमे अपने जीवन में अनेक बदलाव लाना होगा जिससे अपने भविष्य को सुरक्षित और स्वस्थ्य रख सकें। हमे कुछ चीजो में बदलाव की अति आवश्यकता होगी।
                                              अधिकांश समय जंक फ़ूड खाना इन दिनों एक तरह से धर्म बन गया है। यह समय है जब आपको किसी प्रकार का जंक फ़ूड की उपलब्धता नही हो पा रही है इसके बावजूद आप जी रहे हो, आप स्वस्थ्य हो और आपका स्वास्थ्य पहले से बेहतर भी है।यही समय है जब हमे फैसला लेना होगा और इस लॉक डाउन का उचित लाभ लेना होगा और स्वस्थ भोजन पर विचार विमर्श करना होगा। यह न केवल आपको स्वस्थ रखेगा बल्कि आपको अच्छा आकार प्राप्त करने में भी मददगार साबित होगा।
                                 यंत्रो के बिना हमारा जीवन अधूरा सा हो गया है ज्यादातर लोग इन दिनों अपने मोबाइल स्क्रीन से चिपके रहते हैं। यह एक स्वास्थ्य के दृष्ठि से  ख़राब आदत है जिसे आपको तुरंत दूर करना चाहिए। बहुत ज्यादा टीवी देखना या लैपटॉप पर बहुत अधिक समय खर्च करना भी ऐसी चीज़ है जिससे आपको बचना चाहिए। पहले जब मोबाईल नहीं हुआ करते थे तब सयुंक्त परिवार में लोग एक साथ बैठकर अपने विचारो का आदान-प्रदान किया करते थे। एक दूसरे से प्रत्यक्ष बाते किया करते थे जो वर्तमान भागमभाग में खो सा गया था लेकिन आज जब हम पूर्णरूप से अपने-अपने घरो में अपने परिवार के साथ हैं तब हमे इसका भरपूर लाभ उठाते हुये भविष्य के लिये भी खुद को बदलना होगा। जितना आवश्यक या अति आवश्यक हो उतना ही हम इलेक्ट्रानिक सामान की उपयोग करें
                     ग्रामीण हो या शहरी आज हर जगह धूम्रपान/ नशा बहुत अत्यधिक है हमे इसे त्यागना होगा यह हमारे युवा नश्ल को ख़राब कर रहा है। सोचने की शक्ति फैसला लेने का सामर्थ्य सब कम होते जाता है। अभी तो केवल 40 दिन का लॉक डाउन है इसमें नशीली पदार्थ की उपलब्धता तो नहीं है लेकिन जर्दा खैनी उपलब्ध हो जा रहा है। यह सही समय है उनके लिये जो नशा के अत्यधिक आदि हैं। आप अपने जीवन शैली को बेहतर कर सकते हैं जब आज सब बंद है और  हम अपने घरो में अपनों के बीच हैं तब हम यह आसानी से कर सकते हैं बस एक संकल्प लीजिये की जज सब सामान्य हो जायेगा तब भी मैं धूम्रपान या नशा का  सेवन दोबारा नहीं करूँगा फिर देखियेगा निश्चित ही आपको अपने जीवन में बदलाव महसूस होने लगेगा।

  हम  अपने कार्यों में इतने व्यवस्थ हो जाते हैं कि भोजन तक को छोड़ देते हैं। सुबह के समय आमतौर पर हम सबसे अधिक व्यस्त होते हैं और उस समय के दौरान ज्यादातर लोगों की अन्य कार्यों को समायोजित करने के लिए नाश्ता छोड़ने की प्रवृत्ति होती है। यह सबसे खराब सजा है जो हम अपने शरीर को देते हैं। अपने दिनचर्या में भोजन का समय सही करने का भी यह उचित समय है। जब हम इन आदतों को जानते हैं जिनसे हमे बचना चाहिए एवं एक स्वस्थ जीवन शैली के तरीके से जीने के लिए काम करना होगा। अपने खाली समय के दौरान अपने शौक और हितों का पालन करें ताकि आपके पास अस्वास्थ्यकर आदतों में शामिल होने का समय न हो। अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए शारीरिक व्यायाम करें, यह तनाव और उसके नकारात्मक नतीजों को कम करने का एक बढ़िया तरीका है। एक स्वस्थ जीवन शैली विकसित करने में कुछ समय लगता है खासकर यदि हमे अपनी बुरी आदतो जिससे हम ग्रस्त हैं  उसको बदलने का काम आसान तो नहीं है लेकिन निश्चित रूप करने लायक ज़रूर है। यदि आप चीजों को ठीक करने की योजना बना रहे हैं तो यह समय उस योजना पर काम करने के लिये उपुक्त है। हमें खुद को बेहतर करना होगा,अपने समाज को बेहतर करना होगा,यह समय भी बीत जायेगा। बस हम अपने घरो में रहें, सावधानिया रखें,अच्छा सोचें,अच्छा करें शासन-प्रशासन के निर्देशो का पालन करें।

(लेखक बलवंत सिंह खन्ना, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय रायपुर से समाज कार्य विभाग के पूर्व छात्र एवं युवा सामाजिक कार्यकर्ता के साथ-साथ स्वतन्त्र लेखक व सम-सामयिक मुद्दों के विचारक हैं।)

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