लधु कथाये पर आधारित क्र्त महेश राजा – नासमझ
रिपोर्ट मनप्रीत सिंग
रायपुर छत्तीसगढ विशेष : लधुकथा क्र्त महेश राजा
संपादकीय महेश राजा : शाम हो रही थी।वे अपने घर के बाहर अहाते में टहल रहे थे।
उन्होंने देखा,चार युवक एक साथ गपशप करते चले आ रहे है।न उन्होंने मास्क लगाये थे और नहीं दूरी बनाये रखी थी।ठहाके लगा कर एक दूसरे को हाई-फाई भी कर रहे थे।
उनसे रहा नहीं गया।जैसे ही वे पास आये,उन्होंने कहा-“बच्चों तुमलोगों को पता है न।महामारी फैली हुई है।अपना और सबका ख्याल रखना जरुरी है।तुमलोगों ने मास्क भी नहीं लगाये है और नहीं सोशल डिस्टेंशन अपना रहे हो।”
उनमें से एक ने उग्र स्वर में कहा-“आप बुजुर्ग हो,घर में जाकर बैठो।हम जवान है ,हमें कुछ नहीं होने वाला।”
वे चुप हो गये।तभी उनमें से सबसे छोटा था,-“बोला-“जी,अंकल।आगे से हम ध्यान रखेंगे।”
उसने और एक दूसरे युवक ने जेब से रूमाल निकाल कर मुंह पर बांध लिया।
नवयुवक आगे बढ़ गये।वे स्तब्ध अपने स्थान पर खड़े रहे।फिर हाथ जोड़कर आसमान को देखते हुए बोले-“है प्रभु,ये नादान है।यह नहीं समझ रहे कि वे क्या कर रहे है।उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करना, उनकी रक्षा करना प्रभु।”
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