रिपोर्ट मनप्रीत सिंह

कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को निर्देश दिया था कि दोनों पक्षों की ओर से छह महीने में गवाही पूरी कर ली जाए। कोर्ट ने नौ महीने के भीतर इस मामले में फैसला सुनाने का आदेश दिया था। कोर्ट ने पाया कि नौ महीने बीतने के बाद भी अभी दोनों पक्षों की गवाही पूरी नहीं हुई है। कोर्ट ने स्पेशल जज एसके यादव को निर्देश दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की सुविधा का उपयोग किया जाए ताकि ज्यादा विलंब नहीं हो।
दरअसल स्पेशल जज एसके यादव ने सुप्रीम कोर्ट ने पिछले 6 मई को पत्र लिखकर सुनवाई पूरी करने की अवधि बढ़ाने का आग्रह किया था। उनके पत्र पर गौर करने के बाद कोर्ट ने 31 अगस्त तक इस मामले में फैसला करने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि वे इस मामले में फैसला सुनाने तक अपने पद पर बने रहेंगे।
कोर्ट ने कहा कि जज एसके यादव अपने रिटायरमेंट के तय समय के बाद भी केस की सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने जज एसके यादव को निर्देश दिया कि वे साक्ष्यों और गवाहों के बयान दर्ज कराने में तेजी लाएं। कोर्ट ने कहा कि पक्षकारों की मौखिक दलीलें सुनने के लिए कम समय दें और उनसे लिखित दलीलें पेश करने का निर्देश दें। सुनवाई के दौरान उत्तरप्रदेश सरकार ने कहा कि जज महोदय का कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 अप्रैल 2017 को 1992 के बाबरी विध्वंस मामले में सीबीआई को सभी 14 आरोपियों के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट के आपराधिक साजिश रचने की धाराओं को हटाने के आदेश को निरस्त करते हुए आपराधिक साजिश रचने की धाराओं को फिर से लगाने की अनुमति दी थी। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन नेताओं के खिलाफ रायबरेली की कोर्ट में चल रहे सभी मामले लखनऊ ट्रांसफर करने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में जिस सीबीआई कोर्ट का गठन किया था उसके जज एसके यादव हैं।