ऐसी ममतामयी माँ ही हो सकती है, बेटे बेटी की मौत के बाद पशुओ से ही प्यार दुसरो के घरों में बर्तन मांजकर पशुओ को खिलाती है खाना

रिपोर्ट मनप्रीत सिंह

रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : कोरिय, जीवन के दशक देखने को बस 15 बरस ही बाकी है। न आगे कोई न पीछे कोई लेकिन ममता ऐसी की पशु खुद इस बूढ़ी माँ की चौखट तक खाना खाने आ जाते है। अगर कही चौखट का दरवाजा बंद मिलता है तो खटखटाने भी लगते है। किसी के प्रति ऐसी ममता एक माँ में ही देखी जा सकती है। मदर्स डे पर हरिभूमि आपको एक ऐसी ही माँ के बारे में बता रहा है जो अकेले रहकर आवारा पशुओं का पेट पाल रही है। 25 साल पहले पति का साया सर से उठने के बाद से ये बूढ़ी माँ उन पशुओं के लिए माँ है जो आवारा पशु के तौर पर पहचाने जाते है। कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ के बस स्टैंड रोड़ में रहने वाली दुवासिया बाई सोंधिया का भरा पूरा परिवार था। शादी के बाद दो बच्चे हुए एक लड़का और लड़की। पति मजदूरी कर घर चलाते थे। परिवार के सभी सदस्यों का साथ एक एक कर छूटता गया। तब से ये महिला आवारा पशुओं को दिनभर में 3 से 4 बार खाना खिलाती है। दुवासिया के बेटे की मौत 18 साल की उम्र में हो गयी वही बेटी भी गंभीर बीमारी से चल बसी

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