जानिए कैसे काम करता है वैपकेयर – कोरोना मरीजों की जान बचाने में मददगार साबित हो रहा है वैपकेयर

Report manpreet singh 

 RAIPUR chhattisgarh VISHESH : कोरोना मरीजों की जान बचाने में मददगार साबित हो रहा है वैपकेयर, जानिए कैसे काम करता है ये डिवाइस l कोरोना के गंभीर मरीजों को सांस की समस्या के कारण वेंटिलेटर की जरूरत होती है। आइये जानें InnAccel कंपनी का बनाया Vapcare Device इन मरीजों की जान कैसे बचा रहा है।

 गंभीर रूप से बीमार मरीजों के लिए वेंटिलेटर कितना महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, ये कोरोना वायरस महामारी के समय में हमें पता चल गया है। खासकर ऐसे मरीज, जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो, उनके लिए वेंटिलेटर्स जीवन रक्षक साबित हो सकते हैं। निमोनिया एक ऐसी ही समस्या है, जिसमें बहुत सारे लोग सांस की कमी से जूझते हए मर जाते हैं। ऐसे में बेंगलुरू की स्टार्टअप कंपनी InnAccel ने एक कोरोना वायरस महामारी आने से पहले ही एक ऐसा डिवाइस बना लिया था, जो निमोनिया जैसी स्थिति वाले मरीजों की जान बचाने में बहुत मददगार है। इस डिवाइस को Vapcare Device नाम दिया गया, खबरों की मानें तो इसके इस्तेमाल से कोरोना वायरस महामारी के समय में सैकड़ों लोगों की जान बचाई जा सकी है।  

कंपनी के अधिकारियों के अनुसार उसने 6 राज्यों में अपने सिस्टम्स की सप्लाई की है। इसी कंपनी के बनाए Vapcare और Fetal Lite डिवाइसेज ने भी महामारी के दौरान हजारों लोगों की जिंदगियां बचाने का काम किया है।

 क्यों खास है वैपकेयर डिवाइस

वैप-केयर उन मरीजों के लिए फायदेमंद है जो गंभीर हालत के चलते आइसीयू में वेंटिलेटर पर पहुंच जाते हैं। ये डिवाइस मरीज के मुंह से ऑटोमैटिक तरीके से अतिरिक्त फ्लुइड को निकाल लेता है, जिससे वो फेफड़ों तक पहुंचकर निमोनिया के संक्रमण का कारण न बन जाए। अगर यही काम नर्स के द्वारा किया जाता है, तो उसमें लगातार देखरेख की भी जरूरत पड़ती है और समय भी ज्यादा लगता है, जबकि इस डिवाइस से ये काम ऑटोमैटिक तरीके से हो जाता है।

 हर साल 6 लाख लोग होते हैं गंभीर निमोनिया का शिकार

वैप का अर्थ है Ventilator-Associated Pneumonia। भारत में इस समस्या से लगभग 6 लाख लोग प्रभावित होते हैं, जिनमें से 30 प्रतिशत की मृत्यु हो जाती है। कोरोना वायरस महामारी के समय में इस डिवाइस का महत्व और अधिक बढ़ जाता है क्योंकि इसके प्रयोग से ऑटोमैटिक मशीन के जरिए ही बिना रोगी के संपर्क में आए उसके मुंह से निकलने वाली गंदगी को साफ किया जा सकता है, जिससे डॉक्टर्स और नर्सेज में इंफेक्शन का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा महामारी के समय में इस डिवाइस के प्रयोग से हॉस्पिटल स्टाफ का कीमती समय भी बचा है।

 इस डिवाइस को InnAccel Technologies के क्रिटिकल केयर यूनिट कोइयो लैब्स ने बनाया है, जिसके लीड इंजीनियर नितेश जांगीर हैं। वैपकेयर को बॉयोटेक्निकल इंडस्ट्री रिचर्स एसिस्डेंस काउंसिल (बीएआरएसी) की तरफ से मान्यता मिल चुकी है और ये 2015 में अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी के 16 हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी विनर्स में से एक हैं।

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