जहा नाग-नागिन करते हैं धर्म स्थल की रक्षा –कलचुरीकालीन भग्न मंदिर में है भक्तों की आस्था

रिपोर्ट मनप्रीत सिंह 

रायपुर छत्तीसगढ़ विशेष : डिंडौरी जिले के किसलपुरी गांव का एक अनोखा प्राचीन मंदिर…जिसे यहां के लोग देवी मंदिर के नाम से जानते हैं । लोग बरसों से इस धाम में पूजा-अर्चना करते रहे हैं । इस दर से कोई भी निराश नहीं लौटता…देवी सबकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं…स्थानीय लोगों का दावा है कि उन्होंने देवी के कई चमत्कार देखे हैं…वरदानी है इस मंदिर की चौखट…यहां माथा टेकने मात्र से दूर हो जाते हैं सारे दुख-दर्द… देवी करुणामयी है…उनका स्वरूप कल्याणकारी है…वो भक्तों पर कृपा बरसाती हैं…तभी तो यहां मुरादों का मेला लगता है।

इस दर पर श्रद्धालु पूरी श्रद्धा के साथ पहुंचते हैं। यहां कदम रखते ही शुरू होता है आराधनाओं का दौर….देवी के जयकारे से हर पल मंदिर का वातावरण गुंजायमान रहता है । मंदिर में लगी घंटियां कभी खामोश नहीं रहती है…हर वक्त यहां आस्था की स्वरलहरियां गूंजती हैं। लोगों की आस्था इस मंदिर से जुड़ी हुई है…ग्रामीण इस मंदिर के इतिहास के बारे में ज्यादा नहीं जानते…लेकिन इसे वो चमत्कारी धाम के रूप में ज़रूर देखते हैं । ये मंदिर प्राचीन होने के साथ ही काफी सिद्ध भी है….यही वजह है कि इस दरबार में श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है।

यहां कीमती अवशेषों के अलावा सात देवियों की प्रतिमा और भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है, जो फिलहाल मंडला संग्रहालय में सुरक्षित रख दी गई है । लेकिन उन प्रतिमाओं के अलावा भी यहां बहुत कुछ ऐसा है, जिन्हें संरक्षण की ज़रूरत है। इतिहासकार यहां के भग्न मंदिर को कलचुरीकालीन मानते हैं । मंदिर और प्रतिमाओं के निर्माण की शैली कलचुरीकालीन है । केवल यहीं ही नहीं बल्कि इस पूरे इलाके में यानी अमरकंटक से डिंडौरी तक कलचुरी काल में बने मंदिर दिखते हैं। किसलपुरी में मिली इन पुरातन निशानियां एक बड़े दायरे में फैली हुई हैं। इससे ये अनुमान लगाया जा सकता है कि यहां का निर्माण क्षेत्र काफी विस्तृत रहा होगा । मंदिर के अलावा भी कुछ और महत्वपूर्ण निर्माणों की संभावना से भी इतिहासकार इंकार नहीं करते हैं।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

MATS UNIVERSITY

ADMISSION OPEN


This will close in 20 seconds