संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी कर बताया कि म्यांमार में साल 2022 में अफ़ीम उत्पादन बीते नौ साल पुराने स्तर के क़रीब पहुचा

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH संयुक्त राष्ट्र ने एक रिपोर्ट जारी करके बताया है कि म्यांमार में साल 2022 में अफ़ीम उत्पादन बीते नौ साल पुराने स्तर के क़रीब पहुंच गया है.साल 2022 में म्यांमार में अफ़ीम का उत्पादन लगभग 795 मीट्रिक टन हुआ जो उससे पिछले साल लगभग 423 मीट्रिक टन था. साल 2021 में ही म्यांमार में सैनिक तख़्तापलट हुआ था.

संयुक्त राष्ट्र मानता है कि अफ़ीम के उत्पादन में आई ये बढ़त म्यांमार के ख़राब आर्थिक हालात और असुरक्षा भरे माहौल की कहानी बयां करते हैं.अफ़ीम उत्पादन में हुई बढ़ोतरी की एक वजह हेरोइन बनाने में इस्तेमाल की जाने वाली ओपियम रेज़िन की वैश्विक क़ीमत बढ़ना भी है.

संयुक्त राष्ट्र के दुनिया भर में अपराध और नशीले पदार्थों पर नज़र रखने वाली एजेंसी के क्षेत्रीय प्रतिनिधि जेरेमी डगलस ने कहा है कि सैन्य तख़्तापलट की वजह से आर्थिक, सुरक्षा और प्रशासन से जुड़े पहलुओं में बदलाव आया और किसानों के पास अफ़ीम उत्पादन की ओर लौटने के सिवाए ज़्यादा विकल्प शेष नहीं थे.

म्यांमार, थाईलैंड और लाओस की सीमाएं जहां मिलती हैं, उसे स्वर्णिम त्रिभुज कहा जाता है.ये क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से अफ़ीम और हेरोइन उत्पादन के बड़े स्रोत के रूप में जाने जाते हैं.यूएन रिपोर्ट में बताया गया है कि साल 2022 में म्यांमार की अर्थव्यवस्था पर बाहरी और आंतरिक झटकों का असर पड़ा है. इनमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ती महंगाई शामिल है.ऐसे हालातों में अफ़ीम पैदा करने वाले किसानों को बहुत फ़ायदा पहुंचता है.

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