रेत के बड़े दाम ने उड़ाए सब के होश – एक ट्रक रेत की कीमत 30,000 रुपए, आम आदमी की मुट्ठी से फिसली रेत

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : रायपुर, कोरोना संकटकाल में भारी-भरकम मंदी के बीच रेत कारोबार में बिचौलियों की मनमानी से आम जनता का दम निकलने लगा है। तय किए गए रायल्टी और लोडिंग चार्ज से आठ से दस गुना कीमत पर बिचौलिए रेत के कारोबार में उतर गए हैं। सोने जैसी कीमतों में 12 घनमीटर रेत के लिए 25 से 30 हजार रुपए तक की वसूली की जा रही है। सबकुछ प्रशासन की नाक के नीचे चल रहा है, जहां बिचौलिए लॉकडाउन लगने के पहले फरवरी महीने में खनिज का अवैध भंडारण करने के बाद अब शार्टेज बताकर मनमानी कीमतें वसूल रहे हैं। शासन की तरफ से निर्धारित गाइडलाइन में ट्रक में 10 घनमीटर रेत के लिए लोडिंग चार्ज और रायल्टी मिलाकर 18 सौ रुपए कीमत तय की गई, वहीं 12 घनमीटर के लिए 1840 रुपए में रेत परिवहन की शर्त रखी गई। परिवहन शुल्क मिलाकर भी रेत की कीमत असल में 3 हजार रुपए से लेकर 5 हजार रुपए तक होनी चाहिए, लेकिन रेत के ब्लैक मार्केट में आठ गुना ज्यादा कीमतों पर रेत का कारोबार चल रहा है।

शिकायतों पर खनिज विभाग मौन रेत के अवैध उत्खनन और परिवहनकर्ताओं के खिलाफ शासन ने सख्त कार्रवाई करने के निर्देश माइनिंग को दिए हैं। माइनिंग तथा राजस्व विभाग खानापूर्ति के लिए केवल ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ कार्रवाई करता है। इसके विपरीत माइनिंग विभाग के अधिकारी रेत घाटों पर जानबूझकर निरीक्षण करने तथा रेत के अवैध उत्खनन करने वालों के खिलाफ किसी भी तरह की कार्रवाई करने से बचते हैं। दो महीने पहले 16 हजार अब कीमत डबल लॉकडाउन हटने के बाद पहली बार जब अनलॉक-1 में शहर खुला। लिमिट ऑवर में सशर्त कारोबार करने की छूट मिली, तब रीयल एस्टेट के बाजार में एक ट्रक रेत के पीछे 13 से 16 हजार रुपए तक वसूले गए। अगले दो महीनों में अब यही कीमतें डबल कर दी गई हैं। एनजीटी का हवाला देकर 17 सौ रुपए रेत की वास्तविक कीमत, जो घर पहुंचाकर देने में पांच हजार के करीब पड़ती है, उस रेत को 25 से 30 हजार रुपए में घर पहुंचा रहे हैं।

निजी मकानों के साथ शासकीय निर्माण महंगा रेत की बढ़ी कीमतों का असर केवल निजी आशियानों ही नहीं, बल्कि शासकीय योजनाओं में चल रहे निर्माण कार्यों पर भी पड़ रहा है। बढ़ी हुई कीमतों की वजह से ठेकेदार आपदा एक्सटेंशन लेकर किसी तरह से नुकसान की भरपाई होने की राह तक रहे हैं। रेत की कीमत बढ़ने से सभी तरह के निजी तथा सरकारी निर्माण कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गए हैं। रायपुर में ही पांच सौ करोड़ रुपए से ज्यादा लागत के कई निर्माण कार्य अधूरे पड़े हुए हैं। कड़ी कार्रवाई करेंगे रेत के अवैध उत्खनन और परिवहन करने वालों के खिलाफ राजस्व के साथ माइनिंग विभाग के अफसर लगातार कार्रवाई कर रहे हैं। रेत सरकारी कीमत पर बिके, इसके लिए माइनिंग विभाग को निर्देशित किया गया है।

सरकार करे घाट का संचालन छत्तीसगढ़ रेत परिवहन संघ पहले ही यह मांग कर चुका है कि राज्य शासन द्वारा रेतघाट का संचालन हो, ताकि बिचौलियों की मनमानी पर काबू पाया जा सके। प्रोविंशियल ऑफ डैमेज पब्लिक एक्ट-1984 (संशोधित) लागू किया जाना चाहिए।

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