लाजवन्ती (छुई मुई). —- गजब की औषधि, देखे

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH : छुई-मुई की पत्तियों को स्पर्श करने से वे सिकुड़ जाते हैं। शायद इसीलिए इसका नाम लातवंती रखा गया होगा। यह एक औषधीय पौधा है जिसमें कई चमत्कारिक गुण होते हैं। इसका पौधा छोटा होता है। यह भारत में गर्म प्रदेशों में पाया जाता है। इसके पौधे जमीन पर रेंगते हुए बढ़ते हैं। इसकी पत्तियां चने की पत्तियों के समान नजर आती हैं, लेकिन आकार में छोटी होती हैं। इसके फूलों का रंग बैंगनी होता है। बारिश के मौसम में इसमें फल आते हैं। इसकी अनेक प्रजातियां मिलती हैं। 

इस पौधे की खासियत है कि इसकी पत्तियों को छूने पर वे सिकुड़ जाती हंै , दरअसल इसकी पत्तियां बहुत संवेदनशील होती है, जब हम इसे छूते हैं, तो उस जगह की कोशिकाओं का पानी आस पास की कोशिकाओं में चला जाता है जिसके कारण पत्तियां सिकुड़ जाती हैं। कुछ सेकण्ड बाद पानी पुन: वापस कोशिकाओं में आ जाता है और पत्तियां पुन: फैलकर सामान्य हो जाती हैं।

इसकी जड़ स्वाद में अम्लीय तथा कठोर होती है। चरक संहिता के संधानीय एवं पुरीषसंग्रहणीय महाकषाय में तथा सुश्रुत संहिता के प्रियंग्वादि व अम्बष्ठादि गणों में इसकी गणना की गई है। लाजवंती प्रकृति से ठंडे तासीर की और कड़वी होती है। 

विभिन्न भाषाओं में नाम- संस्कृत- लज्जालु, नमस्कारी, शमीपत्रा, हिन्दी-लजालु, छुई-मुई, अंग्रेजी- सेनमिसटिव प्लॉट, मराठी- लाजालु, बंगाली- लाजक, पंजाबी-लालवन्त, तैलुगू-अत्तापत्ती। 

इसका कई रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है, जैसे कि मधुमेह, अजीर्ण, कामला (पीलिया), पेशाब अधिक आना, नाड़ी का घाव, घाव में दर्द, गंडमाला, बवासीर, खूनी दस्त, खांसी, पित्त का बढऩा, प्लेग रोग, शिरास्फीति आदि।  

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