थॉयराइड ग्रंथी की गठान को न करें अनदेखा
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH रायपुर, वर्तमान परिवेश में थॉयराइड की बीमारियां अब एक आम बीमारी हो चुकी है। इनमे से एक बीमारी जिसे थॉयराइड ग्रंथी की गठान कहते हैं(थॉयराइड नाड्यूल)। थॉयराइड के अंदर होने वाली गठानों को अनदेखा नहीं करना चाहिये, इसकी समय पर जांच और उपचार किये जाना बहुत आवश्यक है।
रामकृष्ण केयर सुपरस्पेशिलिटी अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ. सौरभ जैन का कहना है कि थॉयराइड ग्रंथी के अंदर गठान का होना आज आम परेशानी का सबब बन चुका है। डा. सौरभ जैन ने कहा कि प्रत्येक मनुष्य के शरीर में दो ग्रंथिया होती है जो शरीर के तापमान और व गतिविधियों के संतुलन को बनाये रखती है। यदि थॉयराइड ग्रंथी की सोनोग्राफी जांच की जाये तो प्रत्येक 10 में से 4 लोगों के ग्रंथियों में किसी न किसी प्रकार की गठानें मिलेगीं लेकिन सभी थॉयराइड गठानों का ऑपरेशन किया जाए यह जरूरी नहीं होता।
थॉयराइड की गठाने जो बाहर से दिखाई देती हैं या जिन गठानों के कारण मरीज को सांस लेने अथवा खाने या गुटकने में तकलीफ होती है एवं जिन गठानों के कारण थॉयराइड हार्मोन का स्तर बढ़ गया है उन्हे थॉयराइड एक्सपर्ट को दिखाने की ज़रूरत है।ऐसे मरीज जब वे अस्पताल में आते हैं तो सबसे पहले हम उनकी सोनोग्राफी करते है और उसके बाद सुई के द्वारा उसकी जांच की जाती है जिससे कि हमें यह पता लगाने में आसानी हो जाती है कि ये जो गठानें सादी है अथवा इनमें कैंसर के लक्षण है।
उनका कहना है कि यदि गठाने गले के अन्य हिस्से में भी दिखाई दे रही है तो मरीज को ऐसी परिस्थितियों में तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह लेनी चाहिए जिसमें जांच व परीक्षण की आवश्यकता होती है। डा. सौरभ जैन ने कहा कि ग्रंथियों की जांच के बाद यह देखा जाता है कि ग्रंथियां कितनी प्रभावित है। यदि एक ग्रंथी अधिक संक्रमित है तो उसे हटाते है, यदि संक्रमण दूसरी ग्रंथी में भी पाया गया अथवा जांच के दौरान कैंसर का कोइ शक है तो दोनों ग्रंथियों का ऑपरेशन ही एक मात्र विकल्प होता है।
मेडिकल भाषा में कहें तो यदि सर्जरी में एक ग्रंथी निकालते हैं तो उसे हेमीथायररॉइडेक्टॉमी और यदि दोनों ग्रंथियां निकालते हैं तो उसे टोटल हेमीथायररॉइडेक्टॉमी कहते हैं। कैंसर सर्जन डा. सौरभ जैन ने कहा कि यह एक बहुत ही सामान्य ऑपरेशन की एक प्रक्रिया है जिसमें मरीज को एक दिन के लिए भर्ती होना पड़ता है और दूसरे दिन उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। ऑपरेशन के बाद मरीज को थॉयरॉक्सीन दवा की जरुरत पड़ती है जिसका किसी भी प्रकार से कोई दूषप्रभाव नहीं होता है।
उनका कहना है कि इस बीमारी को समय रहते सामान्य ऑपरेशन के जरिए दूर किया जा सकता है। इन गठानों के दुष्प्रभावों जैसे सांस लेने व खाना गुटकने में तकलीफ अथवा आवाज में बदलाव जैसे दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है साथ ही इन गठानों में होने वाले कैंसर से भी मरीज बच सकते हैं।
Другим местом установки барьерного элемента системы ОЗДС являются входы и выходы на объект. В этих местах барьер обеспечивает точечный контроль движения людей, транспорта и грузов на и со внутренней территории объекта. Барьер может быть представлен в виде турникетов, ворот, шлагбаумов, ресепшн-десков, калиток и прочих.