विशेषज्ञों का दावा-प्रदूषण में कमी होने से स्कूली बच्चों की बढ़ सकती है याददाश्त

Report manpreet singh 

Raipur chhattisgarh VISHESH :  नई दिल्ली, विशेषज्ञों का दावा है कि वायु प्रदूषण के स्तर में 20 प्रतिशत की कमी से स्कूल जाने वाले बच्चों की शिक्षा में वृद्धि हो सकती है और उन्हें लगभग एक महीने तक आगे देखा जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर बाहर वातावरण में प्रदूषण कम होता है, तो बच्चों के याददाश्त में बढ़ोतरी देखी जा सकती है। 

इंग्लैंड की मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के अनुसार वाहनों से होने वाले प्रदूषण खासकर नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के पांचवें भाग में कटौती करना जरूरी है। ऐसा करने से स्कूली छात्रों की याददाश्त में 6.1 फीसदी की वृद्धि हो सकती है। यह रिसर्च नाइट्रोजन डाइऑक्साइड के बारे में है, जो मुख्य रूप से इंडस्ट्री या गाडिय़ों के धुएं से उत्पन्न होती है।

मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के पर्यावरण स्वास्थ्य विशेषज्ञ मार्टी वैन ने कहा कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि प्रदूषण से बच्चे के ज्ञान का विकास प्रभावित होता है। इससे उनकी शिक्षा पर प्रतिकूल प्रभाव भी पड़ता है। इस चुनौती से तत्काल निपटने के लिए सरकार को नीति निर्धारित करनी चाहिए। प्रदूषण से बच्चे का दिमागी विकास प्रभावित हो सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने विशेष रूप से ब्रिटिश बच्चों की क्षमताओं का परीक्षण नहीं किया है लेकिन यह स्पेन में बच्चों पर हुई स्टडी पर आधारित है जहां स्कूल के बाहर बच्चे उच्च स्तर के प्रदूषकों के सम्पर्क में आ रहे थे।

स्पेनिश स्टडी के सबूतों से ज्ञात हुआ कि प्रदूषण लेवल में 20 फीसदी की कमी से बच्चों की याददाश्त चार सप्ताह तेज हो सकती है। वायु प्रदूषण चिंता का कारण बन गया है क्योंकि अधिक से अधिक शोध साबित करते हैं कि यह सांस संबंधी बीमारियों का कारण है। इससे ज्ञान में कमी, आईक्यू लेवल में कमी या बर्ताव में बदलाव नजर आ सकता है। गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण से गर्भवती महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। यह एक गंभीर समस्या बनती जा रही है जिस पर सोचने की जरूरत है।

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