स्वर्ण मंदिर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व रविवार को बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा, 115 किस्म के स्वदेशी व आयात किए गए 110 टन फूलों के साथ सजाया गया स्वर्ण मंदिर

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : स्वर्ण मंदिर में श्री गुरु ग्रंथ साहिब का पहला प्रकाश पर्व रविवार को बड़े धूम धाम से मनाया जा रहा है , जिसको लेकर तैयारियां पहले ही शुरू हो चुकी हैं। पूरे देश के विभिन्न जगहों से पहुंचे 300 से अधिक कारीगर दिन रात स्वर्ण मंदिर को सजाने में जुटे थे l

गोल्डन टेंपल को 115 किस्म के स्वदेशी व आयात किए गए 110 टन फूलों के साथ सजाया गया, वहीं श्री गुरु ग्रंथ साहिब के पहले प्रकाश पर्व पर रविवार सुबह अमृतसर में नगर कीर्तन निकाला गया। इस पावन अवसर के लिए स्वर्ण मंदिर में फूलों की खूबसूरत सजावट से सजाया गया l गुरुघर, श्री अकाल तख्त साहिब और गुरुद्वारा बाबा अटल राय साहिब सजाए गए । इस दौरान सिख परंपराओं को दर्शाता युवाओं का गतका मुकाबला श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहा l

सिखों के 5वें गुरु अर्जन देव जी ने 1604 में स्वर्ण मंदिर में पहली बार गुरु ग्रंथ साहिब का प्रकाश किया था। 1430 अंग (पन्ने) वाले इस ग्रंथ के पहले प्रकाश पर संगत ने कीर्तन दीवान सजाए और बाबा बुड्ढा जी ने बाणी पढ़ने की शुरुआत की। पहली पातशाही से छठी पातशाही तक अपना जीवन सिख धर्म की सेवा को समर्पित करने वाले बाबा बुड्ढा जी इस ग्रंथ के पहले ग्रंथी बने।

1603 में 5वें गुरु अर्जन देव ने भाई गुरदास से गुरु ग्रंथ साहिब को लिखवाना शुरू करवाया, जो 1604 में संपन्न हुआ। नाम दिया ‘आदि ग्रंथ’। 1705 में गुरु गोबिंद सिंह ने दमदमा साहिब में गुरु तेग बहादुर के 116 शब्द जोड़कर इन्हें पूर्ण किया। 1708 में दशम गुरु गोबिंद सिंह ने हजूर साहिब में फरमान जारी किया था, “सब सिखन को हुकम है गुरु मान्यो ग्रंथ।’

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