रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ने दावा किया है कि नोएडा के ट्विन टावर के ध्वस्त होने से कंपनी को करीब 500 करोड़ का नुकसान हुआ

Report manpreet singh

Raipur chhattisgarh VISHESH : कंपनी के चेयरमैन आर के अरोड़ा ने रविवार को ख़ुद इसकी जानकारी दी, वहीं आर के अरोड़ा ने बताया कि ज़मीन खरीदने से लेकर ट्विन टावर के निर्माण, अलग-अलग अप्रूवल के लिए अधिकारियों को किए गए भुगतान से लेकर सालों से बैंकों को दिए जा रहे ब्याज़ की राशि और दोनों टावरों के खरीदारों को दिए गए 12 प्रतिशत ब्याज़ के भुगतान को जोड़ लें तो कंपनी को कुल 500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है.रियल एस्टेट कंपनी सुपरटेक ने दावा किया है कि नोएडा के ट्विन टावर के ध्वस्त होने से कंपनी को करीब 500 करोड़ का नुकसान हुआ है.

नोएडा के सेक्टर 93A में बना ट्विन टावर सुपरटेक कंपनी के एमराल्ड प्रोजेक्ट का हिस्सा थी. ट्विन टावर में बने 900 अपार्टमेंट्स की कुल मार्केट वैल्यू क़रीब 700 करोड़ थी.

अरोड़ा ने बताया कि दोनों ही टावर करीब 8 लाख स्क्वायर फिट की एरिया में बनाई गई थीं.उन्होंने कहा, ”हमने ये टावर नोएडा विकास प्राधिकरण के अप्रूवल के बाद ही बनवाई थी.

”सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रविवार दोपहर 2.30 बजे करीब 100 मीटर ऊंचे एपेक्स और सेयेन टावरों को गिरा दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने एमराल्ड कोर्ट परिसर के अंदर इन दो टावरों के निर्माण में मानदंडों का उल्लंघन पाया था. टावरों को ध्वस्त करने में 3700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया.

2011 में रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन की ओर से इलाहाबाद हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई. याचिका में आरोप लगाया गया है कि इन टावरों के निर्माण के दौरान उत्तर प्रदेश अपार्टमेंट मालिक अधिनियम, 2010 का उल्लंघन किया गया है.इसके मुताबिक केवल 16 मीटर की दूरी पर स्थित दो टावरों ने कानून का उल्लंघन किया था.

याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि इन दोनों टावरों को बगीचे के लिए आवंटित भूमि पर अवैध रूप से खड़ा किया गया था.2012 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए मामला आने से पहले, नोएडा प्रशासन ने 2009 में दायर योजना (40 मंजिलों वाले दो अपार्टमेंट टावर) को मंजूरी दे दी थी.

इस मामले में अप्रैल 2014 में फ़ैसला रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के पक्ष में आया था. इसी के तहत इन टावरों को गिराने का आदेश भी जारी किया गया था. यह भी आदेश दिया गया कि सुपरटेक को टावर गिराने का ख़र्च वहन करना चाहिए और उन लोगों को 14 फ़ीसदी ब्याज़ के साथ पैसा वापस करना चाहिए जिन्होंने यहां पहले से ही घर खरीदा है.

उसी वर्ष मई में, सुपरटेक ने फ़ैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और दावा किया कि निर्माण कार्य उचित मानदंडों के मुताबिक ही किया गया है.अगस्त 2021 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फ़ैसले को बरकरार रखने वाले सुप्रीम कोर्ट ने भी माना कि नियमों का उल्लंघन किया गया था.नतीजतन, आज, 28 अगस्त, 2022, ट्विन टावरों को पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया गया है.

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