देश की हर महिला अपनी ताकत और क्षमता के बल पर भारत को विकसित बनाने के ख्वाब को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोगों से यह संकल्प लेने का आग्रह किया कि वे ऐसा कुछ नहीं करेंगे, जिससे महिलाओं की प्रतिष्ठा कम होती हो. उन्होंने कहा कि बोलने में और आचरण में उन्हें (महिलाओं को) अपमानित करने संबंधी विकृति आई है. देश के 76वें स्वतंत्रता दिवस पर लालकिले की प्राचीर से अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत की तरक्की के लिए महिलाओं का सम्मान एक महत्वपूर्ण स्तंभ है और ‘नारी शक्ति’ का समर्थन करने की आवश्यकता है.
प्रधानमंत्री की इस टिप्पणी पर विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने महिलाओं के लिए विभिन्न नीतियों के जमीनी क्रियान्वयन को लेकर सरकार पर सवाल उठाए.प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हमारे आचरण में विकृति आ गई है और हम कभी-कभी महिलाओं का अपमान करते हैं. क्या हम अपने व्यवहार और मूल्यों में इससे छुटकारा पाने का संकल्प ले सकते हैं.”
उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि बोलने में और आचरण में ‘‘हम ऐसा कुछ न करें, जो महिलाओं का सम्मान कम करता हो.”महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक ट्वीट में इस मामले पर प्रधानमंत्री की ‘‘संवेदनशीलता” की तारीफ की.उन्होंने कहा, ‘‘लाल किले की प्राचीर से महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा की रक्षा करने की भावुक अपील करना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की संवेदनशीलता को दिखाता है.
देश की हर महिला अपनी ताकत और क्षमता के बल पर भारत को विकसित बनाने के ख्वाब को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है.”एकजुट भारत के महत्व का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि भारत के पास एकता की अवधारणा पर दुनिया को सिखाने के लिए काफी कुछ है और एकता की यह अवधारणा परिवार की संरचना से शुरू होती है.उन्होंने कहा कि लैंगिक समानता एकजुट भारत की कुंजी है.
उन्होंने कहा कि पारिवारिक संरचनाओं में बेटों और बेटियों को समान महत्व दिए बिना एकता का विचार खो जाएगा. उन्होंने कहा, ‘‘हमें भारत की विविधता का जश्न मनाना चाहिए…घर पर भी, एकता के बीज तभी बोए जाते हैं, जब बेटे और बेटी समान हों. अगर ऐसा नहीं होता तो एकता का मंत्र गूंज नहीं सकता. मैं उम्मीद करता हूं कि हम ऊंच-नीच या मेरा-तेरा के इस रवैये से छुटकारा पा सकें. लैंगिक समानता एकता का अहम मानदंड है.’