विकास और समृद्धि के नए द्वार खोलता सहकारी पुनर्जागरण : डॉ. मीनेश शाह

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डॉ. मीनेश शाह, (अध्यक्ष, एनडीडीबी, एनसीओएल एवं एनसीडीएफआई)

Raipur chhattisgarh VISHESH प्रतिवर्ष 23.1 करोड़ टन दूध का उत्पादन करने वाला भारत विश्व का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश हैऔर वैश्विक उत्पादन का लगभग एक-चौथाई योगदान देता है। सहकारिता ने लाखों छोटे और सीमांत किसानों को एकजुट कर, देश में 1.7 लाख से अधिक डेयरी सहकारी समितियों का नेटवर्क और 1000 लाख लीटर प्रतिदिन दूध प्रसंस्करण की क्षमता वाले विशाल संयंत्र स्थापित करने में मदद की है।

यह ऐतिहासिक सफलता देश भर की सहकारी संस्थाओं के कठिन परिश्रम और प्रयासों का परिणाम है। भारत में डेयरी केवल दूध उत्पादन तक सीमित नहीं है। यह 8 करोड़ से अधिक परिवारों की आजीविका का साधन है, जो ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाता है, उनके परिवारों को पोषण और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है तथा समावेशी ग्रामीण विकास का प्रमुख कारक है।
वर्ष 2019 में मत्स्यपालन, पशुपालन और डेरी के लिए एक अलग और समर्पित मंत्रालय की स्थापना, उसके बाद 2021 में सहकारिता मंत्रालय का गठन, भारत सरकार के सहकारी मॉडल में विश्वास और देश में समृद्धि लाने की सहकारिता की क्षमता को दर्शाता है। तीन साल की छोटी सी अवधि में मंत्रालय ने पूरे सहकारी क्षेत्र के समग्र और समावेशी विकास के लिए ‘सहकार से समृद्धि’ की सोच से कई महत्वपूर्ण शुरूआत की है।
भारत में डेयरी सहकारी संस्थाएं
भारत में 8 लाख से अधिक सहकारी समितियां हैं, जो 29 अलग-अलग क्षेत्रों में कार्यरत हैं और लगभग 29 करोड़ सदस्यों को साथ लेकर चल रही हैं। इनमें से कृषि/संबंद्ध सहकारी संस्थाएं अर्थात प्राथमिक कृषि ऋण समितियां (PACS), डेयरी एवं मत्स्य सहकारी संस्थाएं ग्रामीण जनसमुदाय को बाजार, ऋण, और तकनीकी सेवाएं प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये संस्थाएं सामग्रियों की खरीद और उत्पादों के विपणन की सुविधा देती हैं, जिससे किसानों को बाजार में उचित मूल्य प्राप्ति का अवसर मिलता है।
आज देशभर में डेयरी सहकारी नेटवर्क में 23 राज्य स्तरीय विपणन महासंघ और शीर्ष संस्थाएं, 268 जिला दूध संघ, और 1.44 लाख से अधिक ग्राम स्तरीय सक्रिय समितियां हैं, जिनमें लगभग 1.72 करोड़ सदस्य शामिल हैं। यह नेटवर्क प्रतिदिन लगभग 660 लाख किलोग्राम दूध एकत्रित करता है और 440 लाख लीटर दूध की बिक्री करता है।
डेयरी सहकारी संस्थाओं में डेयरी क्षेत्र में लगभग 70% महिलाएं कार्यरत हैं। ये संस्थाएं महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के इतर उनका मनोबल बढ़ाने और नेतृत्व कौशल के विकास को प्रेरित करती हैं। भारत में सहकारी डेयरी क्षेत्र “महिलाओं की भागीदारी” से आगे बढ़कर “महिलाओं के नेतृत्व” वाले डेयरी उद्योग की ओर अग्रसर हो रहा है।
सहकारी पुनर्जागरण
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “सहकार से समृद्धि” के विज़न को साकार करने के लिए सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाना और इसे जमीनी स्तर तक पहुंचाना प्राथमिक लक्ष्य है। केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारिता मंत्रालय ने उन पंचायतों और गांवों में नई PACS, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना का लक्ष्य रखा है, जहां ये अभी तक मौजूद नहीं हैं।
देश में लगभग 2.7 लाख ग्राम पंचायतें (GP) हैं। लगभग 1.6 लाख ग्राम पंचायत में कोई PACS नहीं है और लगभग 2 लाख ग्राम पंचायत में कोई डेयरी सहकारी समिति नहीं है। इसके मद्देनजर, फरवरी 2023 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अगले पांच वर्षों में 2 लाख PACS / डेरी/ मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना को मंजूरी दी। योजना के समय पर क्रियान्वयन और निगरानी के लिए गृह एवं सहकारिता मंत्री जी द्वारा मानक संचालन प्रक्रिया (मार्गदर्शिका) शुरू की गई है। योजना के अनुसार, नाबार्ड लगभग 70,000 नई बहुउद्देशीय PACS (M- PACS) बनाएगा, एनडीडीबी लगभग 1,03,000 डेयरी सहकारी समितियों (DCS) का गठन और सुदृढ़ीकरण करेगा, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड लगभग 11,500 मत्स्य सहकारी समितियों (FCS) की स्थापना करेगा और इनके अतिरिक्त, राज्य सरकारों द्वारा लगभग 25,000 नई M-PACS / डेरी/मत्स्य सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा।
श्वेत क्रांति 2.0
पिछले छह दशकों में एनडीडीबी और राज्य व केंद्र सरकारों के सहयोगात्मक प्रयासों से देश में लगभग 1.44 लाख सक्रिय डेरी सहकारी समितियां स्थापित हुई हैं। अब अगले पांच वर्षों में ‘श्वेत क्रांति 2.0’ के तहत 1.03 लाख नई बहुउद्देश्यीय डेरी सहकारी समितियों (M-DCS) के गठन और मौजूदा समितियों को सशक्त करने की योजना है। यह एक बड़ी उपलब्धि होगी और देश में दूध उत्पादन और वितरण को नई ऊंचाइयां मिलेंगी ।
नई बहु-राज्यीय सहकारी समितियां: स्थानीय से वैश्विक तक
ग्राम स्तर की सहकारी समितियों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मूल्य श्रृंखलाओं से जोड़ने के लिए तीन राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्यीय सहकारी समितियों की स्थापना की गई है (1) राष्ट्रीय सहकारी ऑर्गेनिक्स लिमिटेड (NCOL), (2) भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (BBSSL) (3) राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (NCEL) ये पहल भारत के सहकारी आंदोलन के इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम है।
NCOL का उद्देश्य जैविक उत्पादों की संभावनाओं को साकार करना और एक स्वस्थ कृषि पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। BBSSL उच्च गुणवत्ता वाले बीजों के उत्पादन, प्रसंस्करण और वितरण को बढ़ावा देता है। वहीं, NCEL सहकारी व्यापार को बढ़ाने और भारतीय उत्पादों को वैश्विक स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए काम करता है।
इसी तरह, फसल की पैदावार में सुधार और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक प्रणाली विकसित करने के लिए सहकारी समितियों के नेटवर्क के माध्यम से एकल ब्रांड के तहत गुणवत्ता वाले बीजों का उत्पादन, खरीद और वितरण करने के लिए बीबीएसएसएल का गठन किया गया है।
घरेलू सहकारी उत्पादों की वैश्विक पहचान बनाने के लिए, एनसीईएल की स्थापना देश के संपूर्ण सहकारी क्षेत्र द्वारा निर्यात के लिए एक छत्र संगठन के रूप में हुई है। यह समिति कृषि, बागवानी, डेरी, पोल्ट्री, पशुधन, मत्स्यपालन, चीनी, मसाले, ऑर्गेनिक उत्पाद, उर्वरक आदि में सहकारी प्रयासों को बढ़ावा देने में मदद करेगी।
निष्कर्ष
सहकारी संस्थाओं ने देश में मजबूत बुनियादी ढांचा खड़ा किया है। इन संसाधनों के बेहतर तालमेल और उपयोग से सामूहिक प्रभाव को और बढ़ाया जा सकता है। सदस्य किसानों की आय में वृद्धि के लिए सहकारी संस्थाओं को नए-नए उपाय अपनाने होंगे। इनमें उन्नत और आधुनिक तकनीकों का उपयोग, कार्यप्रणाली में सुधार, आय के साधनों में विविधता लाना और साझेदारी को बढ़ावा देना शामिल है। इन पहलों को अपनाकर, सहकारी संस्थाएं नई संभावनाओं का पता लगा सकती हैं, और अर्थव्यवस्था में अपनी भूमिका को और मजबूत कर सकती हैं।


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