Ministry of Housing & Urban Affairs : स्मार्ट ई-शौचालय: सार्वजनिक स्वच्छता बुनियादी ढांचे में नवीन पहल

सार्वजनिक स्वच्छता और सुविधा प्रदान करत करते हैं प्रौद्योगिकी आधारित शौचालय

Posted On: 20 SEP 2024 11:46AM

भारत में स्वच्छता का दायरा बढ़ाने के लिए उल्लेखनीय परिवर्तन हुए हैं, जो स्वच्छता को अत्याधुनिक तकनीक के साथ जोड़ कर, अभिनव समाधानों द्वारा संचालित हैं। देश, 2 अक्टूबर 2014 को ‘स्वच्छ भारत मिशन’ की शुरुआत के बाद से,  स्वच्छ, सुरक्षित और आसानी से सुलभ सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं की ओर बढ़ रहा है। स्वच्छ भारत मिशन ने शहरों में 6.36 लाख सामुदायिक और सार्वजनिक शौचालयों को एकीकृत किया है, जिससे देश के स्वच्छता के बुनियादी ढांचे को मज़बूत बनाया है ।

स्वच्छ भारत मिशन एक दशक पूरा कर रहा है और स्वच्छता ही सेवा अभियान “स्वभाव स्वच्छतासंस्कार स्वच्छता” थीम के अंतर्गत सातवां वर्ष मना रहा है। अब प्रौद्योगिकी-आधारित, उपयोगकर्ता-अनुकूल साफ-सफाई के तरीकों पर फोकस किया जा रहा है।  इस दिशा में एक और कदम उठाते हुए केंद्र सरकार ने ‘एक स्मार्ट ई-टॉयलेट’ की शुरुआत की है, जो आधुनिक सुविधाओं से लैस है।

हैदराबाद में लू-कैफे की स्थापना जनता के लिए स्मार्ट शौचालय उपलब्ध कराने की दिशा में एक प्रमुख पहल है । ये सुविधाएँ एक सार्वजनिक शौचालय और एक कैफ़े को आपस में जोड़ती हैं। यह कैफे न केवल लोगों को तरो-ताजा होने के लिए, बल्कि खाने-पीने के लिए एक आरामदायक स्थान उपलब्ध करवाता है  ।

मुसाफिरों के लिए शौचालय के आस-पास कैफे बनाया गया है । सौंदर्य की दृष्टि से आकर्षक और शानदार तरीके से डिज़ाइन किए गए लू कैफे लोगों को नए तरीके से सार्वजनिक स्वच्छता का अनुभव करवाते हैं।

महाराष्ट्र के पिंपरी चिंचवाड़ ने भी इसी तरह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के तहत शहर भर में 26 स्थानों पर आधुनिक शौचालयों का निर्माण किया है। ये स्मार्ट शौचालय आधुनिक सुविधाओं और इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों से लैस हैं, जिससे इनके रख -रखाव में भी आसानी होती है । दरवाज़ा खोलते ही स्वचालित फ्लशिंग सक्रिय होता है । पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कमरे, वॉयस असिस्टेंट, पावर बैकअप और स्वचालित फ्लशिंग सेंसर जैसी सुविधाएँ सार्वजनिक स्वच्छता के लिए एक नया मानक स्थापित करती हैं।

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महाराष्ट्र के नागपुर में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग गुलाबी और नीले रंग के स्मार्ट ई-शौचालय जेंडर-संवेदनशील बुनियादी ढाँचे पर ध्यान केंद्रित करते हैं। ये सुविधाएँ स्वचालित फ्लशिंग से सुसज्जित हैं, ईवी किरणों द्वारा कीटाणुरहित होती हैं, भुगतान आधारित है और स्वच्छता तथा पहुँच सुनिश्चित करती हैं। पुरी के मालतीपतपुर बस स्टैंड पर एआई-आधारित स्मार्ट शौचालयों को वायरस और बैक्टीरिया-मुक्त बनाये रखने के लिए यूवी लाइट की सुविधा है। पूर्वी भारत में  भुगतान-करके-उपयोग की सुविधा अपनी तरह की पहली सुविधाओं में से एक है, जो इस क्षेत्र में स्वच्छता प्रौद्योगिकी के लिए एक नया मानक स्थापित करते है।

तिरुवनंतपुरम जैसे अन्य शहरों में चिड़ियाघर में स्मार्ट शी टॉयलेट जैसे स्मार्ट ई-शौचालय स्थापित किए हैं, जो छोटे बच्चों और माताओं के लिए बहुत ज़रूरी सुविधा प्रदान करते हैं। ये सुविधाएँ मानव रहित हैं, स्टील से बनी हैं, इनमें सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन, इन्सिनरेटर, बेबी फीड स्टेशन और बहुत सारी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

भारत में स्मार्ट ई-शौचालय लोगों के लिए स्वच्छता, सुरक्षा और आराम सुनिश्चित कर सार्वजनिक स्वच्छता  परिदृश्य को नया स्वरूप दे रहे हैं। चाहे पिंपरी चिंचवाड़ के आधुनिक शौचालय हो, हैदराबाद का लू-कैफे हो या पुरी में एआई-आधारित नवाचारों हों । शहरी स्वच्छता का भविष्य स्मार्ट और समावेशी दोनों है। ये पहल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में एक नए युग की शुरुआत करती हैं , जंहा उन्नत तकनीक शहरी आबादी की रोज़मर्रा की ज़रूरतों को पूरा करती है। यह सुनिश्चित करती है कि स्वच्छता सुविधाएँ न केवल कार्यात्मक हों बल्कि गर्व और सुविधा का स्रोत भी हों।

संदर्भ:

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संतोष कुमार/ऋतु कटारिया/सौरभ कालिया

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