एनआईटी रायपुर में “ग्रीन टेक्नोलॉजी और क्लाइमेट चेंज मिटीगेशन” पर एक दिवसीय वर्कशॉप का किया गया आयोजन
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Raipur chhattisgarh VISHESH राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान रायपुर के केमिकल इंजीनियरिंग विभाग और सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोकेमिकल्स इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (CIPET), रायपुर ने संयुक्त रूप से दिनांक 18 सितंबर 2024 को “ग्रीन टेक्नोलॉजी अप्रोच टू एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट एंड क्लाइमेट चेंज मिटीगेशन” पर एक दिवसीय वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप का उद्देश्य उत्तम पर्यावरण और क्लाइमेट चेंज समाधानों पर चर्चा और प्रैक्टिकल नॉलेज शेयर करना रहा। वर्कशॉप में चीफ गेस्ट के रूप में CSIR-NEERI, नागपुर के चीफ साइंटिस्ट डॉ. कृष्णमूर्ति कन्नन उपस्थित रहे। एनआईटी रायपुर के निदेशक डॉ. एन.वी. रमना राव ने मुख्य संरक्षक, और CIPET रायपुर के प्रिंसिपल डायरेक्टर और हेड, डॉ. आलोक कुमार साहू ने सह-संरक्षक की भूमिका निभाई। इस कार्यक्रम में डॉ. जे आनंद कुमार, एसोसिएट डीन, (आर एंड सी) डॉ. एम के त्रिपाठी, एसोसिएट डीन, (आर एंड सी), दोनों संस्थानों के अन्य संकाय सदस्य और प्रतिभागी उपस्थित रहे।
केमिकल इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के हेड डॉ. अमित केशव ने वर्कशॉप की शुरुआत करते हुए इसके थ्योरी और प्रैक्टिकल एस्पेक्ट्स के बारे में जानकारी दी। उन्होंने एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट के महत्व पर जोर दिया और सिंगापुर को इस क्षेत्र में एक ग्लोबल लीडर के रूप में बताया। डॉ. केशव ने सस्टेनेबल डेवलपमेंट और ग्रीन टेक्नोलॉजी अपनाने की जरूरत की बात कही ताकि क्लाइमेट चेंज को कम से कम किया जा सके, उन्होंने प्रतिभागियों से कार्बन गैस एमिशन कम करने के लिए इनोवेटिव तकनीकी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया।
इसके बाद, डॉ. आलोक कुमार साहू ने श्रोताओं को संबोधित किया और पॉलिमर और एनर्जी के यूज के प्रैक्टिकल अप्रोचेस पर फोकस किया। उन्होंने भारत के प्लास्टिक उत्पादन में तीसरे स्थान पर होने और इसके साथ होने वाली पर्यावरणीय चिंताओं के बारे में बात की। डॉ. साहू ने 2030 तक 500 GW अक्षय ऊर्जा के उत्पादन के लक्ष्य पर आशा व्यक्त की और पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने में समाज और विद्यार्थियों की भागीदारी पर जोर दिया।
निदेशक डॉ. एन.वी. रामना राव ने ग्रीन टेक्नोलॉजी की अवधारणा पर प्रकाश डाला और बताया कि कैसे इको-फ्रेंडली मटेरियल्स और प्रैक्टिसेज, एनवायरनमेंटल इम्पैक्ट को काफी हद तक कम कर सकते हैं। उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, सोलर और विंड एनर्जी जैसे रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज के फायदों पर जोर दिया और एनर्जी एफिशिएंसी से कार्बन गैस एमिशन को कम करने की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने प्रिसीजन फार्मिंग, ऑर्गेनिक फार्मिंग, और वेस्ट मैनेजमेंट जैसे रिसर्च क्षेत्रों के महत्व को भी उजागर किया। इसके साथ ही, डॉ. राव ने कार्बन कैप्चर और स्टोरेज (CCS) टेक्नोलॉजी का जिक्र किया, जो कार्बन एमिशन को पकड़ने और अन्य प्रोसेसेज़ में उपयोग करने की क्षमता रखती है।
डॉ. कृष्णमूर्ति कन्नन ने पिछले वक्ताओं द्वारा प्रस्तुत विचारों को आगे बढ़ाते हुए ग्रीन एनर्जी की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने इटली में आई हाल की बाढ़ का उदाहरण देते हुए बताया कि ऐसे चरम मौसम की घटनाएं कार्बन गैस एमिशन का परिणाम हैं। डॉ. कन्नन ने कार्बन कैप्चर के लिए एल्गी पर किए जा रहे अपने रिसर्च को साझा किया, जिसमें यह विधि बड़ी मात्रा में कार्बन पार्टिकल्स को वॉटर वेपर में बदलने की क्षमता रखती है, जिससे वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। उन्होंने डीएसटी के कार्बन कैप्चर और क्लाइमेट चेंज मिटीगेशन प्रोजेक्ट्स की चर्चा करते हुए उनके महत्व पर जोर दिया।
कार्यशाला का समापन डॉ. जे. आनंदकुमार द्वारा प्रस्तुत धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें वक्ताओं, आयोजकों और प्रतिभागियों का आभार व्यक्त किया गया। इस आयोजन ने एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट और क्लाइमेट चेंज मिटीगेशन पर व्यावहारिक अप्रोचेस पर डिस्कशन के लिए एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म प्रदान किया, जिससे प्रतिभागियों को भविष्य में सस्टेनेबिलिटी प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए मूल्यवान ज्ञान प्राप्त हुआ।