जिला शिक्षा अधिकारी – शासकीय सेवक हैं या फिर निजी स्कूलों के आम मुख्तियार , आज बिलासपुर में सांसद, विधायक और शिक्षा मंत्री का हो सकता है पुतला दहन
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH : मनमानी फीस वसूली को लेकर, अनेक निजी स्कूलों की दबंगई के खिलाफ पालको के दिल में धधक रहा है आक्रोश का ज्वालामुखी l निजी स्कूलों मैं बच्चों को पढ़ाने वाले प्रताड़ित सभी अभिभावक आज जनना चाहते है, जिला शिक्षा अधिकारी, शासकीय सेवक हैं या फिर निजी स्कूलों के आम मुख्तियार
शहर के हजारों-हजार बच्चो के पालकों से मनमानी फीस वसूली के इस मामले में…कलेक्टर डॉक्टर सारांश मित्तर से निर्णायक दखल की अपेक्षा* बिलासपुर। बिलासपुर की निजी स्कूलों के प्रबंधन को ना तो नियम कायदों की चिंता है और ना ही उनकी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों तथा शासन प्रशासन के अधिकारियों की। अभिभावकों के पेट में हाथ डालकर फीस वसूली की कोशिशों में जुटा स्कूल प्रबंधन अब ऑनलाइन क्लासेज से बच्चों की हकाल पट्टी की धमकी देने पर आमादा दिखाई दे रहा है। जबकि नियमानुसार किसी भी छात्र या बच्चे को शिक्षा से वंचित करना कानूनन अपराध है। बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन न मालूम किसकी शह पर, एजुकेशन फीस के नाम पर वो तमाम वसूलियां भी करना चाह रहा है, जिस पर लॉकडाउन और लगातार स्कूल बंद होने के कारण..उसका कोई हक नहीं बनता। प्रबंधन ने तमाम मदों से फीस के नाम पर वसूली जाने वाली रकम को एकमुश्त एजुकेशन फीस का नाम देकर अभिभावकों के साथ (उसे पटाने के लिए) बच्चों के नाम से भयादोहन शुरू कर दिया है। आश्चर्य की बात है कि प्रदेश में आम जनता और खासकर सारे छात्रों की चिंता करने वाले मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की सरकार इस मामले में दिए गए तमाम निर्देशों पर..और तो और जिला शिक्षा अधिकारी भी अमल नहीं करने का दुस्साहस कर रहे हैं।
शासन की ओर से फीस के मामले में और बच्चों की ऑनलाइन क्लासेस के मामले मैं जितने भी निर्देश तथा पत्र-प्रपत्र जिला शिक्षा अधिकारी को भेजे गए हैं। उन पर अमल करने की बजाय या तो उन्हें स्थानीय शिक्षा विभाग ने रद्दी की टोकरी के हवाले कर दिया है। या फिर इस पर अमल कर निर्णायक कार्रवाई करने कि उनकी कोई इच्छा नहीं है। निजी स्कूलों और शिक्षा विभाग के बीच नापाक गठबंधन का जो झोल है।
वही बिलासपुर में अभिभावकों की आर्थिक मानसिक प्रताड़ना का मुख्य कारण बन रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि बिलासपुर के निजी स्कूलों मैं पढ़ने वाले हजारों हजार बच्चों के अभिभावक, हर तरफ से खुद को हताश निराश महसूस कर रहे हैं। उनके भीतर फीस के नाम पर चल रही मनमानी के खिलाफ आक्रोश का ज्वालामुखी धधक रहा है। अगर इस ओर शिक्षा विभाग तथा जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस पहल नहीं की गई तो अभिभावकों के दिलों में धधक रहा आक्रोश चार-पांच दिनों के भीतर सांसद विधायक तथा शिक्षा मंत्री के ऐतिहासिक घेराव का रूप ले सकता है। और अगर ऐसा होता है तो इसके लिए केवल और केवल.. शिक्षा विभाग के वो अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे..