बालको के प्रयास से समुदाय की महिलाएं बन रही सशक्त एवं आत्मनिर्भर
Report manpreet singh
Raipur chhattisgarh VISHESH बालको अपने संयंत्र के साथ सामुदायिक विकास कार्यों द्वारा महिलाओं को विभिन्न अवसर और कौशल निर्माण में समर्थन के साथ सशक्त बना रहा है जो यह सुनिश्चित करता है कि वे बाधाओं को पीछे छोड़ महिलाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरें। बालको, वेदांता के दृष्टिकोण के अनुरूप सामुदायिक कार्यों की मदद से महिलाओं को सशक्त तथा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रयासरत है। कंपनी ने महिलाओं के सशक्तिकरण एवं विकास के लिए उपयुक्त वातावरण को बढ़ावा देने तथा कौशल दक्षता सुनिश्चित करने हेतु विभिन्न पहल लागू की है।
बालको की प्रमुख सामुदायिक विकास पहल में से एक ‘उन्नति’ परियोजना है जो महिला स्व-सहायता समूह (एसएचजी) को सशक्त बनाने और संगठित करने का कार्य कर रहा है। यह उद्यमिता एवं स्थायी आजीविका के निर्माण के लिए उनकी क्षमताओं और कौशल का सम्मान करते हुए उन्हें व्यवसायिक रूप से निखारने पर केंद्रित है। एसएचजी की महिलाओं ने समुदाय में सकारात्मक बदलाव लाने जैसे माहवारी संबंधित मिथकों को दूर करने से लेकर स्थायी आजीविका, आवश्यक कौशल और मुफ्त प्राथनिक शैक्षणिक सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) की कार्य शैली का महत्वपूर्ण अंग है। कहते हैं बड़े परिवर्तनों की शुरुआत छोटी-छोटी बातों से होती है। जीवन में अवसर चारों तरफ बिखरे होते हैं। जरूरत तो केवल उन्हें पहचान कर पूरे आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने की होती है। कोरबा जिले के संगमनगर निवासी विजय लक्ष्मी सारथी बी.ए. में स्नातक हैं। वह अपनी बुजुर्ग माता-पिता और बेटे सहित अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालती हैं। बालको के प्रोजेक्ट उन्नति के तहत एक नैनो-एंटरप्राइज के माध्यम से टिफिन सेवाएं चलाने के लिए उनको प्रशिक्षण और संसाधन प्रदान किया। वर्तमान में वह अपने परिवार का भरण-पोषण करते हुए ₹12,000 से ₹15,000 की मासिक आय अर्जित करती हैं।
रेखा आदित्य जय माँ सर्वमंगला स्वं. सहायता समूह की सदस्य हैं। इनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता की चाह को ‘उन्नति’ की राह मिली। सबसे पहले इन्होंने उन महिलाओं से बातचीत की जिन्होंने उन्नति परियोजना की मदद से कुछ व्यवसाय शुरू किया था। उन्नति परियोजना ने व्यवसाय के क्षेत्र तथा ग्राहक जुड़ाव के कौशल को बिक्री योग्य व्यावसायिक अवसर में परिवर्तित करना सिखाया। इसके साथ मशरूम की खेती जैसे वैकल्पिक आय स्रोतों का कौशल प्रदान किया। सामुदायिक विकास के नैनो एंटरप्राइज के अंतर्गत श्रृंगार दुकान के लिए आवश्यक वस्तुएं प्रदान की गई। फैंसी स्टोर और मशरूम की खेती के रूप में इनको नियमित कमाई का जरिया मिला। उन्नति परियोजना ने आत्मविश्वास और कमाई दोनों को बढ़ाने का कार्य किया। इन्होंने अपने श्रृंगार दुकान के मासिक आय में 40% की वृद्धि प्राप्त की है।
इसी तरह समुदाय की अन्य महिलाएं भी उन्नति परियोजना से जुड़कर राखी, गुलाल तथा लक्ष्मी एवं गणेश की मूर्ति बनाने के कौशल से खुद को आर्थिक रूप से मजबू किया है। उन्नति परियोजना के तहत भित्ति कला, गोंकरा लोक कला, भित्ति कला, मिट्टी की मूर्तियाँ, छत्तीसा (स्थानीय व्यंजन), मशरूम और पेपर बैग आदि के लिए कार्यक्रम संचालित किया जा रहे हैं। बालको ने 12 उत्पादों के साथ 7 सूक्ष्म उद्यम इकाइयों स्थापित की हैं। प्रोजेक्ट उन्नति परियोजना के जरिए महिलाओं को अनेक गतिविधियों से जोड़ा गया है जिससे उन्हें आजीविका प्राप्त करने और खुद के पैरों पर खड़े होने में मदद मिली है।
सामुदायिक और सामाजिक सेवाओं के लिए समर्पित एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) जीपीआर स्ट्रैटेजीज़ एंड सॉल्यूशंस (जीपीआरएसएस) के साथ साझेदारी में चल रही इस परियोजना से कोरबा के 45 शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 535 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 5751 महिलाओं को विभिन्न कार्यक्रमों से लाभ मिल रहा है। परियोजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन विकास की दिशा में कार्य जारी है। महिलाओं को क्षमता निर्माण, वित्तीय प्रबंधन, सूक्ष्म उद्यमों के प्रचालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
बालको अपने सामुदायिक विकास कार्यक्रमों के माध्यम से छत्तीसगढ़ के 4 जिलों कोरबा, कवर्धा, सरगुजा और रायपुर सहित 123 गांवों में सालाना 1.5 लाख से अधिक लोगों तक लाभ पहुंचा रहा है। बालको सामुदायिक विकास परियोजनाओं का उद्देश्य शिक्षा, कृषि, स्थायी आजीविका, स्वास्थ्य, जल एवं स्वच्छता, महिला सशक्तिकरण, पर्यावरण, संरक्षण के साथ सभी के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना है। सामुदायिक संपत्ति सृजन जैसे वन तालाब कुआं आदि सामुदायिक विकास परियोजनाओं में शामिल है।